भाजपा विधायक शाक्य बोले- मेरी हालत ठीक वैसी जैसे 'गरीब की लुगाई, सब गांव की भौजाई'

गुना के भाजपा विधायक पन्ना लाल शाक्य ने प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा उनकी अनदेखी और उचित तवज्जो न मिलने को लेकर अपनी नाराजगी सार्वजनिक रूप से जाहिर की है। बुधवार को प्रेस से बातचीत में शाक्य ने कहा कि मैं एक आरक्षित (अनुसूचित जाति) सीट से निर्वाचित हूँ।

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Reena Sharma Vijayvargiya
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MP News : मध्य प्रदेश के गुना से भाजपा विधायक पन्ना लाल शाक्य ने प्रशासनिक अधिकारियों की उपेक्षा और नजरअंदाज किए जाने को लेकर गहरी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि आरक्षित सीट से चुने जाने के कारण उन्हें वह सम्मान नहीं मिलता, जो किसी जनप्रतिनिधि का हक है। शाक्य ने अपने कड़वे अनुभव और गुना नगर निगम में शामिल किए जाने वाले गांवों के मसले पर अपनी चिंता व्यक्त की है।

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प्रशासन की उपेक्षा पर शाक्य का खुला दर्द 

भाजपा विधायक पन्ना लाल शाक्य ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा, "मैं आरक्षित (अनुसूचित जाति) सीट से चुना गया हूं, इसलिए मेरी हालत वैसी ही हो गई है जैसे गरीब की लुगाई, सब गांव की भौजाई।" उनका आरोप है कि प्रशासन उनकी आवाज़ को नजरअंदाज कर रहा है, जबकि गैर-इलेक्टेड या गैर-चयनित लोगों को प्राथमिकता मिल रही है। यह स्थिति एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि के लिए चिंता का विषय है।

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हरिपुर गांव को नगर निगम में शामिल करने का विवाद 

गुना नगर निगम विस्तार के दौरान 36 गांवों को शामिल करने का प्रस्ताव था, जिसमें हरिपुर गांव भी था। भाजपा जिलाध्यक्ष के सामने हुई बैठक में प्रशासन ने यह जानकारी दी थी। लेकिन अचानक किसी दबाव में आकर हरिपुर को नगर निगम में शामिल न करने का फैसला लिया गया। शाक्य ने कहा कि वे इस मुद्दे को मुख्यमंत्री के सामने रखेंगे।

शाक्य ने बताया कि हरिपुर गांव में सरकारी भवनों पर रसूखदारों ने कब्जा कर रखा है, और गांव के लोग नगर निगम में शामिल होना चाहते हैं। इसके बावजूद, स्थानीय सरपंच की असहमति के कारण यह प्रस्ताव लागू नहीं हो पा रहा। विधायक ने कलेक्टर को पत्र लिखकर अपनी असहमति और चिंता जताई है।

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विधायक की चेतावनी और प्रशासन के लिए जवाबदेही 

पत्र में शाक्य ने स्पष्ट किया है कि यदि हरिपुर के सरपंच की असहमति के कारण यह पंचायत नगर निगम में शामिल नहीं की गई, तो वे खुद भी गुना नगर निगम के गठन का विरोध करेंगे। उन्होंने प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यदि नगर निगम नहीं बनता, तो इसकी पूरी जवाबदेही जिला प्रशासन की होगी।

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विधानसभा प्रतिनिधि की आवाज़ बनी मिसाल 

शाक्य की यह पीड़ा एक व्यापक सामाजिक और राजनीतिक समस्या को दर्शाती है, जहां आरक्षित वर्ग के प्रतिनिधि को भी प्रशासनिक नजरअंदाजी का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है, जहां हर जनप्रतिनिधि की आवाज़ को महत्व मिलना चाहिए।

मुख्य मुद्दे 

मुद्दाविवरण
विधायक की शिकायतप्रशासन द्वारा नजरअंदाजी और उपेक्षा
नगर निगम विस्तार36 गांवों को शामिल करने का प्रस्ताव
हरिपुर गांव विवादहरिपुर को शामिल न करने का निर्णय
सरपंच का विरोधस्थानीय सरपंच की असहमति
विधायक की चेतावनीनगर निगम न बनने पर प्रशासन की जवाबदेही
भाजपा विधायक आरक्षित वर्ग विधायक प्रशासनिक सीट गुना