उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की बांसडीह विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक केतकी सिंह ने हाल ही में एक विवादित बयान दिया है। उन्होंने प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज में मुसलमानों के लिए अलग वार्ड या बिल्डिंग बनाने की मांग की है। उनका तर्क है कि मुसलमानों को हिंदू त्योहारों जैसे होली, रामनवमी और दुर्गा पूजा से परेशानी होती है, इसलिए चिकित्सा सुविधा के दौरान भी उन्हें अलग व्यवस्था मिलनी चाहिए।
विधायक के बयान के प्रमुख अंश
विधायक केतकी सिंह ने कहा कि मुसलमानों को तय करना है कि क्योंकि होली, दीवाली, रामनवमी जब होती है तो उनको दिक्कत होने लगती है। हो सकता है कि हमारे साथ इलाज कराने में भी उनको दिक्कत होने लगे। जब इतना खर्चा हो ही रहा है तो महराज जी (सीएम योगी) से एक कमरा बना ही दिया जाए, एक अलग विंग या बिल्डिंग बना ही दिया जाए। अगर आपको हमारे साथ रहने में दिक्कत है तो वहां इलाज करा लो।
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राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: किसने क्या बोला-
विधायक के इस बयान पर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं। एनडीए के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और योगी सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने इस बयान से असहमति जताई है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में कोई घायल पहुंचता है तो उसकी जाति-धर्म नहीं पूछी जाती, उसका इलाज किया जाता है। जब कोई दुर्घटना होती है तो लोग सिर्फ ब्लड खोजते हैं। कोई ये नहीं देखता कि हिन्दू, मुस्लिम, सिख या ईसाई का ब्लड है। अगर इस तरह की बात होगी तो क्या अलग ट्रेन, बस और हवाई जहाज भी चलाने चाहिए?"
समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी इस बयान की आलोचना की है। सपा प्रवक्ता फखरूल हसन ने कहा, "यह बयान बीजेपी की असली मानसिकता को दर्शाता है।"
सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने विधायक के बयान की निंदा की है। उन्होंने कहा कि हॉस्पिटल को हिंदू मुस्लिम में बांटा जाएगा तो फिर बेसिक शिक्षा के स्कूल, माध्यमिक शिक्षा के कॉलेज और उच्च शिक्षा के विश्वविद्यालयों में भी अलग-अलग बंटवारा करना पड़ेगा। ये सिलसिला इतना लंबा होगा, जो न संभलने वाला होगा। विधायक जी की बातों से जाहिर होता है कि उनके दिलों दिमाग में मुसलमानों के खिलाफ बहुत नफरत भरी है। जबकि वो सबकी विधायक हैं, किसी एक सम्प्रदाय की नहीं। उनको सद्भाव और भाईचारे की बात करनी चाहिए।
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राजनीतिक बहस का मुद्दा
विधायक के इस बयान से समाज में विभाजन की भावना को बल मिला है। स्वास्थ्य सेवाओं में धर्म के आधार पर विभाजन की मांग ने सामाजिक सौहार्द पर प्रश्नचिह्न लगाया है। विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इस बयान की कड़ी आलोचना की है, जिससे यह मुद्दा राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है।