क्रूरता की सारी हदें की पार... सास की हत्यारी बहू को फांसी की सजा , इस तरह दिया था खौफनाक वारदात को अंजाम

मध्‍य प्रदेश की रीवा जिला अदालत ने सास की हत्या के मामले में बहू को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इसे क्रूरतम हत्या माना है। इस हत्या की वजह तो मामूली थी, लेकिन जिस तरह से इस वारदात को अंजाम दिया गया उसे जानकार आपकी रुह कांप जाएगी।

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Vikram Jain
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MP Rewa court murder case Daughter in law gets death sentence
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BHOPAL. मध्य प्रदेश की रीवा जिला अदालत ने 30 साल बाद किसी मामले में मौत की सजा सुनाई है। रीवा जिला अदालत ने एक बहू को उसकी सास की हत्या करने का दोषी मानते हुए फांसी की सजा दी है। जिला कोर्ट ने 30 साल बाद इतना बड़ा फैसला सुनाया है, जिसमें किसी को सजा-ए-मौत की सजा दी है। फैसला सुनाते हुए भी अदालत ने इसे क्रूरतम हत्या माना है। घरेलू झगड़े के बाद बहू ने सास की धारदार हथियार से गोदकर हत्या की थी।

जानिए जुल्म की पूरी दास्तां

वारदात रीवा के मनगवां थाना क्षेत्र के अंतरैला प्लांट गांव में हुई थी। यहां 12 जुलाई 2022 के दिन 50 साल की सरोज और बहू कंचन घर में अकेली थीं। दोनों के बीच मामूली बात पर झगड़ा हो गया, यह विवाद इतना बढ़ गया की कंचन ने घर में रखा हंसिया उठाया और सास पर एक के बाद एक बार करना शुरू कर दिया। हत्यारी बहू ने सास के ऊपर क्रूरतापूर्वक हंसिया से 95 से ज्यादा वार किए थे। चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनकर पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची तो घर में हर तरफ खून बिखरा हुआ था। जिसके बाद पुलिस ने गंभीर रुप से जख्मी सरोज को संजय गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल ले गई, जहां डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया था।

ससुर और बहू को किया था गिरफ्तार

इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज कर बहू कंचन कोल और ससुर वाल्मीकि कोल को आरोपी बनाया था। दोनों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया और फिर जांच कर चालान पेश किया था। 

कोर्ट ने माना क्रूरतम हत्या

अब दो साल बाद इस मामले में रीवा न्यायालय में चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश पद्मा जाटव ने प्रकरण की सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सास की हत्या की आरोपी बहू कंचन कोल को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इसे क्रूरतम हत्या माना है। 

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सबूतों के अभाव में ससुर बरी

सरकारी वकील ने बताया कि मृतका सरोज कोल के पति वाल्मिकि कोल को भी सह आरोपी बनाया गया था। आरोप था कि उसने बहू को हमले के लिए उकसाया था। हालांकि, सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया गया।

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30 साल बाद किसी को मौत की सजा

बड़ी बात यह भी है कि जिला अदालत ने 30 साल बाद किसी मामले में मौत की सजा सुनाई है। इससे पहले नाबालिग से दुष्कर्म कर हत्या करने के दोषी पाए गए एक कैदी और जेल प्रहरी को फांसी की सजा सुनाई गई थी।

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