सागर में 23 महीने से बंद पड़ा है रेलवे ओवरब्रिज का काम, मंत्री खटीक पर लग रहे पत्नी की जमीन बचाने के आरोप

मध्य प्रदेश के सागर जिले के नरवानी गांव के पास बन रहे रेलवे ओवरब्रिज पर विवाद जारी है। यहां मंत्री खटीक भी ब्रिज बनने का विरोध कर रहे हैं। करीब 23 महीनों से ब्रिज बनने का काम रुका हुआ है।

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Dablu Kumar
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birendra kathik
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मध्यप्रदेश के सागर जिले में बनने वाला गुड़ा रेलवे ओवरब्रिज को लेकर विवाद जारी है। यह ओवरब्रिज बीना-कटनी सेक्शन पर मौजूद नरवानी गांव के पास बनने वाला है। पिछले 23 महीनों से इसका काम अधूरा पड़ा है। इसके पीछे की बड़ी वजह केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री और टीकमगढ़ सांसद डॉ. वीरेंद्र कुमार खटीक का विरोध है। उनका कहना है कि यह ओवरब्रिज स्थानीय लोगों की जमीन और घरों को प्रभावित करेगा। साथ ही, इसके कारण उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

ओवरब्रिज का मंत्री ने जताया विरोध

डॉ. वीरेंद्र कुमार खटीक ने ओवरब्रिज को लेकर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने मांग की थी कि ओवरब्रिज की लोकेशन को एक किलोमीटर आगे शिफ्ट किया जाए। इसके बाद रेलवे ने सेतु निगम (Setu Nigam) को अलाइनमेंट की समीक्षा करने का आदेश दिया। इसके कारण काम रुक गया। इस विवाद में अब एक नई बात सामने आई है। जांच के दौरान यह पता चला कि जहां ओवरब्रिज का निर्माण होना था। उस जगह पर मंत्री की पत्नी के नाम पर कुछ जमीन दर्ज है।

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मंत्री की पत्नी की जमीन पर क्यों हो रही चर्चा 

जानकारी के मुताबिक, इस जमीन का कुल क्षेत्रफल 0.05 हेक्टेयर (5381 वर्गफीट) है। यह जमीन ब्रिज के नीचे आ जाएगी। इससे यह जमीन व्यावसायिक उपयोग के लिए नहीं रह जाएगा। इस जमीन की कीमत में गिरावट का अंदेशा है, जो मंत्री के परिवार के लिए बेहतर नहीं हो सकता है। चर्चाएं इस बात को लेकर भी हो रही हैं कि मंत्री की पत्नी की जमीन पर पेट्रोल पंप और अस्पताल खोलने की योजना है और मंत्री की बेटी और दामाद डॉक्टर हैं।

सागर जिले में 7 ओवरब्रिज को मिली है मंजूरी

सागर जिले में भी 7 ऐसे ओवरब्रिज बनाने की मंजूरी मिली थी। इसमें से कुछ का काम पूरा हो चुका है। इन ब्रिजों में से एक गुड़ा-नरवानी गांव के पास रेलवे गेट नंबर-32 पर बनना था। इस ओवरब्रिज के निर्माण का टेंडर सेतु निगम ने मई 2022 में पूरा किया और जनवरी 2023 में वर्क ऑर्डर जारी कर निर्माण कार्य शुरू किया गया था।

मंत्री खटीक ने 20 अप्रैल 2023 को लिखे गए पत्र के बाद इस परियोजना में देरी हुई। सितंबर में अलाइनमेंट रिव्यू का आदेश जारी किया गया। इसके चलते काम पूरी तरह से ठप हो गया। अब तक न तो पुरानी डिजाइन पर काम फिर से शुरू किया गया है और न ही नई डिजाइन को लेकर कोई ठोस निर्णय लिया जा सका है।

ओवरब्रिज की लागत

गुड़ा रेलवे ओवरब्रिज की लागत 19.63 करोड़ रुपए निर्धारित की गई है। यदि यह ब्रिज एक किलोमीटर आगे शिफ्ट किया जाता है, जैसा कि मंत्री ने सुझाव दिया था, तो इसकी लागत तीन गुना बढ़ सकती है। नई डिजाइन में ब्रिज की ऊंचाई और लंबाई दोनों बढ़ेंगी। मौजूदा ब्रिज की लंबाई 730 मीटर है, जबकि नई डिजाइन में यह 1000 से 1100 मीटर तक हो सकती है।

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नए ओवरब्रिज से किसे कितना फायदा

नई लोकेशन पर ब्रिज का अधिकांश हिस्सा निजी जमीन से गुजरेगा। इससे मुआवजे का बोझ बढ़ेगा। अनुमान है कि इस नए स्थान पर बनने वाले ओवरब्रिज की कुल लागत 60 करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है। वहीं, मौजूदा जगह पर रेलवे गेट बनने से लोगों को राहत मिल सकती है। क्योंकि उन्हें रेलवे गेट पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे समय और टोल टैक्स की बचत होगी।

मंत्री खटीक का बयान

इस मामले में केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक का कहना है- मुझे कुछ नहीं बोलना। आपके पास सारी खबर है। मुझे पता है कि आपको क्या निकालना है, इसलिए मुझे इस मामले में कुछ कहने की जरूरत नहीं है।

रेलवे का जवाब

रेलवे ने इस मामले में कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। सीपी मंडलोई ने कहा कि वह जानकारी देने के लिए अधिकृत नहीं हैं और जबलपुर सीपीआरओ से संपर्क करने की बात कही। सीपीआरओ हर्षित श्रीवास्तव ने पहले स्थिति पता करने के बाद जानकारी देने का वादा किया, लेकिन बाद में यह कहा कि मामला डिवीजन देख रहा है और वहीं से जानकारी ली जाए।

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सेतु निगम का बयान

सेतु निगम कार्यपालन यंत्री नवीन मल्होत्रा ने कहा रेलवे से आदेश आया था कि निर्माण कुछ समय के लिए रोक दिया जाए। वह अलाइनमेंट का रिव्यू कर डिजाइन फाइनल करेंगे। इसके बाद अब तक दूसरी डिजाइन फाइनल नहीं हुई है।

FAQ

गुड़ा रेलवे ओवरब्रिज की निर्माण लागत क्या है?
गुड़ा रेलवे ओवरब्रिज की निर्माण लागत 19.63 करोड़ रुपये है। अगर इसे मंत्री के प्रस्ताव अनुसार शिफ्ट किया जाता है तो इसकी लागत तीन गुना बढ़ सकती है।
मंत्री ने ओवरब्रिज की लोकेशन बदलने की मांग क्यों की थी?
मंत्री ने लोकेशन बदलने की मांग इस कारण की थी कि वर्तमान लोकेशन पर स्थानीय लोगों की जमीन प्रभावित हो रही थी, जिससे उन्हें नुकसान हो सकता था।

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