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मध्य प्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग यानी स्टेट जीएसटी में एंटी एवेजन ब्यूरो (AEB) सबसे मलाईदार पोस्टिंग होती है। इसकी कार्यशैली भी लगातार विवादों में रहती है, लेकिन सीधे भोपाल से इस ब्यूरो में पोस्टिंग के तार जुड़े होने के चलते इस पर नकेल कसना हमेशा चुनौती भरा रहता है। ऐसी ही कोशिश पहले तत्कालीन आयुक्त आईएएस लोकेश जाटव ने की और अब आयुक्त आईएएस धनराजू एस ने की, लेकिन इसी कोशिश में भोपाल से इंदौर तक हंगामा मच गया और फिर हुई जमावट।
सभी को बदलने की चली फाइल
इंदौर में दो एंटी एवेजन ब्यूरो ए और बी है। वहीं भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और सतना में एक-एक ब्यूरो हैं। कुल छह ब्यूरो काम करते हैं जो टैक्स चोरी मामले में जानकारी मिलने पर आयुक्त की मंजूरी से छापे मारते हैं। लेकिन लगातार शिकायतें आना आम बात है। इसी के चलते आयुक्त धनराजू एस ने एक फाइल चलाई, इसमें अनुशंसा की गई कि सभी एईबी के अधिकारियों को बदल दिया जाए और इसकी जगह नए अधिकारियों की नियुक्ति की जाए। कुल मिलाकर आयुक्त पूरी की पूरी टीम को हटाकर नए अधिकारियों को यहां पदस्थ करना चाहते थे।
हड़कंप मचने के बाद, भोपाल में हुई जमावट
इस फाइल के चलने के बाद दो तरह के अधिकारी सक्रिय हुए। पहले तो वह जो इन ब्यूरो में पदस्थ थे, अभी उन्हें करीब एक साल ही हुआ है, वह यहां पर कम से कम तीन साल टिके रहना चाहते हैं। इसके साथ ही वह दूसरे अधिकारी सक्रिय हो गए, जो इनकी जगह पर मलाईदार पोस्टिंग चाहते थे। फाइल के पीछे-पीछे यह सभी भी भोपाल की ओर दौड़ चले। लेकिन यहां पर वर्तमान में पदस्थ अधिकारियों की लॉबिंग मजबूत साबित हुई और उन्होंने मंत्रालय से इस फाइल पर दो लाइन की नोटशीट लिखवा ली।
इसमें लिखवाया गया कि पहले आयुक्त इन सभी ब्यूरो द्वारा किए गए कामों की डिटेल भेजें, इनके काम से कितनी टैक्स चोरी रूकी और कितना राजस्व आया। यह कहते हुए यह फाइल को भोपाल से वापस इंदौर भेज दिया गया। यानी अडंगा लगवा दिया गया। अब यह फाइल वापस इंदौर लौट आई है और आयुक्त टेबल पर पड़ी हुई है।
अभी कौन अधिकारी किस ब्यूरो में पोस्ट
एंटी एवेजन ब्यूरो ए इंदौर- अतुल श्रीवास्तव ज्वाइंट कमिश्नर है, इनके साथ यहां एक डिप्टी कमिश्नर, पांच असिस्टेंट कमिश्नर और पांच सीटीओ के साथ ही इंस्पेक्टर, कराधान सहायक व अन्य स्टाफ है।
एंटी एवेजन ब्यूरो बी इंदौर- सोनाली जैन, ज्वाइंट कमिश्नर है। इसके साथ ही एक डीसी, पांच एसी, पांच सीटीओ, 6 इंस्पैक्टर, तीन कराधान सहायक व अन्य स्टाफ है।
एंटी एवेजन ब्यूरो भोपाल- यहां नीरज श्रीवास्तव ज्वाइंट कमिश्नर है व एक डीसी, पांच एसी, दो सीटीओ, सात इंस्पैक्टर व अन्य स्टाफ है।
एंटी एवेजन ब्यूरो, जबलपुर- यहां पर गणेश सिंह कुंवर ज्वाइंट कमिश्नर हैड है। व एक डीसी, चार एसी, दो सीटीओ, नौ इंस्पैक्टर व अन्य स्टाफ है।
एंटी एवेजन ब्यूरो, ग्वालियर- यहां धूम सिंह चौहान, ज्वाइंट कमिश्नर प्रमुख व एक डीसी, तीन एसी, दो सीटीओ व अन्य स्टाफ है।
एंटी एवेजन ब्यूरो, सतना- यहां पर दीप खरे ज्वाइंट कमिश्नर है, एक डीसी, पांच एसी, दो सीटीओ व अन्य स्टाफ है।
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जाटव ने लगा दी रोक, स्वतंत्र सिंह ने दी थी छूट
अपनी साफ छवि के लिए पहचान रखने वाले आईएएस लोकेश जाटव जब आयुक्त बने तो इन्होंने एंटी एवेजन पर जमकर नकेल कस दी। हालांकि लगातार भ्रष्टाचार शिकायतों के चलते जाटव ने छापे के अधिकार रोक दिए और सभी सर्कल अधिकारियों को पावर शिफ्ट कर दी। लेकिन जब जाटव हटे और स्वतंत्र सिंह आयुक्त बने तो उन्होंने एंटी एवेजन को फिर पावरफुल बना दिया और उन्हें अधिकार लौटा दिए।
इसी के चलते वह एंटी एवेजन की शिकायतों में घिरा गए और सीएम डॉ. मोहन यादव ने उन्हें कुछ ही माह में रवाना कर दिया और साफ छवि वाले आईएएस धनराजू एस की नियुक्ति कर दी। उनके पास भी जब एंटी एवेजन की कार्य़शैली को लेकर बातें पहुंचने लगी तो उन्होंने सभी अधिकारियों को ही बदल डालने की फाइल चला दी, लेकिन उनकी इस फाइल पर विंग के अधिकारियों की लॉबी भारी पड़ी और इसे बैरंग लौटा दिया गया।
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