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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिससे प्रदेशभर के हजारों अतिथि शिक्षकों को राहत मिली है। अदालत ने माध्यमिक शिक्षक और प्राथमिक शिक्षक चयन परीक्षा 2025 के लिए आवेदन करने वाले अतिथि शिक्षकों को बिना अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड किए आवेदन करने की अनुमति दी है। इस फैसले के बाद वे सभी उम्मीदवार आवेदन कर सकेंगे, जो आवश्यक अनुभव शर्त पूरी करने के बावजूद अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड न कर पाने के कारण फॉर्म भरने से वंचित रह गए थे। अदालत के इस फैसले से शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता आएगी और योग्य अभ्यर्थियों के अधिकारों की रक्षा होगी।
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ईएसबी ने इस बार लगाया था नया नियम
मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (ESB) द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में इस बार एक नया नियम लागू किया गया था, जिसके तहत आवेदन के समय ही 200 दिवस और तीन सत्रों का अतिथि शिक्षक अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड करना अनिवार्य कर दिया गया था। पहले की भर्तियों में दस्तावेज़ सत्यापन (काउंसलिंग) के समय ही यह प्रमाण पत्र मांगा जाता था, लेकिन इस बार इसे आवेदन प्रक्रिया का हिस्सा बना दिया गया। इस नए नियम के कारण बड़ी संख्या में ऐसे योग्य अभ्यर्थी भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गए, जिनके पास पर्याप्त अनुभव था, लेकिन आवेदन के समय वे अपने प्रमाण पत्र अपलोड नहीं कर सके।
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नए नियम के खिलाफ याचिका दाखिल
इस समस्या को लेकर सिवनी निवासी सुनीता कटरे, कृष्णकांत शर्मा और अन्य अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इस नए नियम ने उनके मौलिक अधिकारों का हनन किया है और यह नियम भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता को बाधित करता है। याचिका में कहा गया कि पहले की भर्तियों में अतिथि शिक्षकों को दस्तावेज़ सत्यापन के समय अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की अनुमति थी, लेकिन इस बार इसे आवेदन प्रक्रिया का हिस्सा बना दिया गया, जो असंगत और अनुचित है।
पिछली भर्ती प्रक्रियाओं का दिया गया हवाला
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता धीरज तिवारी और ईशान सोनी ने न्यायालय में विस्तार से तर्क प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि भर्ती नियमों की धारा 12(6) के अनुसार, उम्मीदवारों को शैक्षणिक योग्यता और पात्रता से जुड़े दस्तावेज़ दस्तावेज़ सत्यापन के समय प्रस्तुत करने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि मध्य प्रदेश स्कूल एजुकेशन सर्विसेज (टीचिंग कैडर) सर्विस कंडीशंस एंड रिक्रूटमेंट रूल्स, 2018 में कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया है कि अतिथि शिक्षक अनुभव प्रमाण पत्र आवेदन के समय ही अपलोड किया जाना चाहिए। इसके अलावा, वर्ष 2023 की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आवेदन की अंतिम तिथि 1 जून 2023 थी, लेकिन अतिथि शिक्षक अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड करने की अंतिम तिथि 31 मार्च 2024 तक बढ़ाई गई थी। जब पिछली भर्ती प्रक्रियाओं में उम्मीदवारों को यह सुविधा दी गई थी, तो 2025 की भर्ती में इसे अनिवार्य करना संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन होगा।
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बिना अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड किए सबमिट होगा फॉर्म
जस्टिस द्वारिकाधीश बंसल की एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों को स्वीकार करते हुए उनके पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने स्पष्ट किया कि अतिथि शिक्षक बिना अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड किए केवल "YES" विकल्प चुनकर आवेदन कर सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान पोर्टल पर आवेदन करते समय अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड करने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया जाएगा और उम्मीदवार केवल यह घोषणा कर सकते हैं कि वे आवश्यक अनुभव शर्तों को पूरा करते हैं।
आवेदन के समय अनुभव प्रमाण पत्र नहीं है आवश्यक
इस फैसले से उन सभी अभ्यर्थियों को लाभ मिलेगा जो 200 दिवस और तीन सत्रों की न्यूनतम अनुभव शर्त को पूरा कर रहे हैं, लेकिन आवेदन के समय उनके पास प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं था। अब वे बिना किसी बाधा के आवेदन कर सकेंगे और दस्तावेज़ सत्यापन के समय अपने प्रमाण पत्र जमा कर सकेंगे। यह निर्णय भर्ती प्रक्रिया को अधिक न्यायसंगत बनाएगा और यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी योग्य उम्मीदवार केवल तकनीकी कारणों से भर्ती से वंचित न रह जाए।
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अब पोर्टल में होंगे बदलाव
इस फैसले के बाद कर्मचारी चयन मंडल को अपने पोर्टल में आवश्यक बदलाव करने होंगे ताकि आवेदन प्रक्रिया में "YES" विकल्प जोड़ा जा सके। इस बदलाव के बाद, जो अभ्यर्थी अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड नहीं कर सकते, वे भी आवेदन कर पाएंगे और बाद में दस्तावेज़ सत्यापन के समय अपना प्रमाण पत्र जमा कर सकेंगे। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि भर्ती प्रक्रिया न्यायालय की निगरानी में चलेगी और सरकार तथा चयन मंडल को इस आदेश का पालन सुनिश्चित करना होगा। यह फैसला न केवल हजारों अतिथि शिक्षकों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी योग्य उम्मीदवार केवल तकनीकी कारणों से भर्ती से वंचित न रह जाए और सभी को समान अवसर मिल सके। इस निर्णय के बाद, अब सभी योग्य अभ्यर्थी बिना किसी बाधा के आवेदन कर सकते हैं और उनका अंतिम चयन दस्तावेज सत्यापन के आधार पर होगा, जिससे भर्ती प्रक्रिया में समानता बनी रहेगी।
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