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Rape accused High Court Photograph: (thesootr)
जबलपुर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के द्वारा एक रेप के मामले में आरोपी को जांच एजेंसियों के सहयोग करने और अपने डिजिटल उपकरणों की जांच कराए जाने की शर्त पर जमानत दी है साथ ही जांच दौरान आपत्तिजनक सामग्री पाए जाने पर उसे पीड़ित और एजेंसी को लौटाए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
शादी का झांसा देकर निजता के उल्लंघन का मामला
मध्य प्रदेश के भोपाल में महिला थाने में रेप के मामले में FIR दर्ज हुई थी। जिसमें आरोपी के द्वारा अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट जबलपुर में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की गई । दरअसल इस FIR में यह आरोप लगाया गया है कि आरोपी के द्वारा पीड़ित महिला के साथ शादी का झांसा देकर लगातार रेप किया गया है। पीड़ित महिला के द्वारा बताया गया की 2010 से 2018 तक उसके साथ रेप किया जाता रहा। साथ ही आरोपी के द्वारा उसकी कुछ पर्सनल और आपत्तिजनक फोटो भी अपने दोस्तों के साथ शेयर की जा रही है इसके बाद पीड़िता के द्वारा उसके साथ हुए इस दुष्कर्म की शिकायत महिला थाना भोपाल में की गई।
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सहमति से बना संबंध आपराधिक मामला नहीं
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ओर पीड़ित दोनों बालिग हैं साथ ही दोनों इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं उन्होंने कोर्ट को बताया कि 2006 में दोनों के बीच दोस्ती हुई और 2010 से 2018 तक दोनों के बीच सहमति से संबंध बनाए गए इसके बाद 2018 से याचिकाकर्ता किसी अन्य जगह कार्यरत है और उनके बीच किसी भी प्रकार का कोई संबंध अब नहीं है। अधिवक्ता ने कोर्ट में यह भी बताया कि 2018 से अभी तक कोई भी संबंध नहीं होने के बाद भी पीड़िता के द्वारा 10 दिसंबर 2024 को FIR दर्ज करवाई गई। इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई भी मामला नहीं बनता है और उसे अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाए।
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शादी का झांसा देकर पीड़िता की निजता का हनन
इस याचिका पर पीड़िता की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि आरोपी के द्वारा शादी का झांसा देकर 8 से 10 साल तक पीड़िता की निजता का हनन किया गया है और उसे शादी का झांसा देकर शादी करने से इनकार कर दिया है इसलिए पीड़िता की निजता का उल्लंघन किए जाने का स्पष्ट मामला है जो आईपीसी की धारा 376(2)(N) के तहत दंडनीय है और आरोपी की अग्रिम जमानत खारिज की जाए। साथ ही याचिका पर शासन की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि निजता उल्लंघन के साथ आरोपी के द्वारा पीड़िता की आपत्तिजनक तस्वीरों को भी अपने मित्रों के साथ शेयर किया गया है इसलिए आरोपी को पुलिस हिरासत में लेकर पूछताछ किया जाना आवश्यक है इसलिए उसे अग्रिम जमानत पर रिहा न किया जाए।
कोर्ट ने शर्तों के साथ दी अग्रिम जमानत
इस याचिका पर सुनवाई जस्टिस देवनारायण मिश्र की सिंगल बेंच में हुई जहां कोर्ट ने पाया कि 2010 से 2018 तक आरोपी और पीड़िता रिश्ते में थे और दोनों बालिग हैं लेकिन 2024 में दर्ज की गई FIR के मद्देनजर अदालत ने मामले की योग्यता पर टिप्पणी किए बिना आरोपी को सशर्त अग्रिम जमानत दी। साथ कोर्ट ने आरोपी को जांच एजेंसियों का सहयोग करने एवं अपने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, लैपटॉप, मोबाइल एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जांच एजेंसियों को सौंपे जाने के भी निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि आरोपी अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स के पासवर्ड भी जांच एजेंसी को सौंपगा और यदि पीड़िता से संबंधित कोई भी आपत्तिजनक सामग्री या अतरंगी फोटो प्राप्त होते हैं तो उन्हें पीड़िता और जांच एजेंसी को लौटाने पड़ेंगे । इसके साथ ही 50 हजार के मुचलके पर आरोपी को सशर्त जमानत पर रिहा करने के निर्देश देते हुए याचिका का निपटारा किया गया।