इकलौते RTO मैदानी पोस्टिंग से दूर, कमाई के लिए ARTO को जिलों की कमान

परिवहन विभाग में कितनी कमाई होती है ये सौरभ शर्मा मामले को देखकर समझा जा सकता है। विभाग में पद और पोस्टिंग की जोड़तोड़ और कमाई वाली जगह पर नियम विरुद्ध सालों-साल काबिज रहते हैं।

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Sanjay Sharma
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MP Transport Department officials transfer and corruption case
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BHOPAL. परिवहन विभाग प्रदेश में सबसे ज्यादा कमाई का महकमा रहा है। इसका सिस्टम ऐसा बना दिया गया है कि नीचे से ऊपर तक हर किसी को मलाई काटने मिल ही जाती है। यही वजह है कि प्रदेश में परिवहन विभाग में जिलों से लेकर चेक पोस्ट तक अफसर और सिपाही पोस्टिंग की जुगाड़ में लगे रहते हैं। इस पर लाखों रुपए पानी की तरह बहाने में भी हर्ज नहीं समझते क्योंकि एक बार ही पोस्टिंग ही इन लाखों रुपए को करोड़ों में बदल देती है।

परिवहन विभाग में कितनी कमाई होती है ये आरक्षक सौरभ शर्मा मामले को देखकर  समझा जा सकता है। परिवहन विभाग में पद और पोस्टिंग की जोड़तोड़ और कमाई वाली जगह पर नियम विरुद्ध सालों-साल काबिज रहते हैं, इसका गुणाभाग भी कम रोचक नहीं है। 

अफसरों पर लागू नहीं होता नियम

आमतौर पर प्रदेश में एक ही स्थान पर अधिकतम तीन साल की पदस्थापना का नियम है। लेकिन ऐसा कोई नियम परिवहन विभाग में कमाऊ अफसरों पर लागू नहीं होता है। इसके एक नहीं बेशुमार उदाहरण हैं। यही नहीं विभाग में कमाऊ अफसरों की पूछपरख अपने से सीनियर अधिकारियों से भी ज्यादा होती है। यही वजह है परिवहन आरक्षक होने के बावजूद सौरभ शर्मा का रसूख बड़े अफसरों से कम नहीं था। चेकपोस्टों के जरिए होने वाली वसूली पर रोकने के लिए बीते दो दशकों में एक भी कार्रवाई प्रदेश में नहीं हुई है। इससे भी साफ हो जाता है कि वसूली की इस व्यवस्था में ऊपर से नीचे तक सब शामिल हैं।

नियुक्ति नहीं, खाली पड़‍े RTO के पद

अब बात करते हैं परिवहन विभाग में बीते सालों में किस जिले में अधिकारी कितने सालों से पदस्थ हैं। किस अफसर पर दो या ज्यादा जिलों के दायित्व हैं। उनका ट्रांसफर क्यों नहीं हुआ। दरअसल विभाग में लंबे समय से सीधी नियुक्ति नहीं होने के कारण अब क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी यानी RTO के पद खाली पड़‍े हैं। विभाग के पास फिलहाल इकलौते आरटीओ के रूप में निर्मल कुमरावत ही बचे हैं। कुमरावत सीनियरटी में सबसे अव्वल हैं लेकिन सिस्टम में जोड़तोड़ न कर पाने की वजह से उन्हें मैदानी पोस्टिंग नहीं दी गई है। वे लंबे समय से ग्वालियर स्थित परिवहन आयुक्त मुख्यालय में अटैच हैं। जबकि उनसे जूनियर अफसर जिले, संभाग, परिवहन उड़नदस्तों और चेकपोस्टों पर काबिज होकर कमाई कर रहे हैं।

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RTO मुख्यालय अटैच, जिलों पर ARTO काबिज

आरटीओ न होने की वजह से जिलों की कमान सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी या ARTO के हिस्से में है। स्थिति ये है कि अब जिलों में काबिज एआरटीओ अपने पद के साथ सीधे RTO ही लिखने लगे हैं। कुछ जिलों में तो कृपापात्र परिवहन निरीक्षक ही RTO की कुर्सी संभाल रहे हैं। एआरटीओ जितेन्द्र शर्मा जुलाई 2017 से नरसिंहपुर जिले में पदस्थ हैं। कुछ महीने पहले यानी साल 2024 में उन्हें नरसिंहपुर के साथ ही भोपाल आरटीओ का जिम्मा भी सौंप दिया गया। इंदौर आरटीओ में ARTO अर्चना मिश्रा 11 साल से तैनात हैं। वे हर बार दिव्यांग होने का सहारा लेकर अपना ट्रांसफर रुकवाने में कामयाब हो जाती हैं। रीवा में साल 2018 यानी 7 साल से एआरटीओ मनीष कुमार त्रिपाठी जमे हुए हैं।

 

एआरटीओ को दूर वाले जिलों का अतिरिक्त प्रभार

एआरटीओ जगदीश प्रसाद बिल्लौरे आठ साल यानी 2017 से खंडवा आरटीओ में काबिज हैं। वे बीते दो साल से बुरहानपुर क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय की दोहरी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। रतलाम में एआरटीओ दीपक मांझी और देवास में जया बसावा साल 2019 से तैनात हैं। वे छह साल से एक ही जिले में तैनात हैं लेकिन विभाग को उनकी पोस्टिंग की सुध ही नहीं है। दमोह में क्षितिज सोनी और भिंड-मुरैना जिलों में अर्चना परिहार चार साल से कार्यालय चला रहे हैं। सागर में संभागीय मुख्यालय होने के बावजूद एआरटीओ सुनील कुमार शुक्ला को टीकमगढ़ और पन्ना जिलों का दोहरा दायित्व मिला है। विक्रमजीत सिंह कंग छतरपुर के साथ ही ग्वालियर में आरटीओ संभाल रहे हैं। जगदीश सिंह रायसेन, कृतिका मोहटा झाबुआ- अलिराजपुर जिलों में चार साल से एआरटीओ पदस्थ हैं। जितेन्द्र सिंह रघुवंशी जबलपुर और प्रदीप शर्मा इंदौर जैसे बड़े जिले साल 2022 से संभाल रहे हैं।

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अफसरों की कमाई, जिलों में लोग परेशान

परिवहन विभाग में अफसरों की कमी भी कमाई का जरिया बन गई है। क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के नाम पर विभाग के पास एक ही अफसर है तो सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी यानी एआरटीओ के पद भी खाली पड़े हैं। इस वजह से कई एआरटीओ अपनी पहुंचे का फायदा उठाकर दो-दो या उससे ज्यादा जिलों पर काबिज हैं, यानी एक साथ दो या तीन जिलों से होने वाली वसूली उनके हिस्से आ रही है।

 इसलिए आरटीओ में भटकते हैं लोग

परिवहन मंत्री उदयप्रताप सिंह के जिले में तैनात एआरटीओ जितेन्द्र शर्मा को भोपाल का जिम्मा दे दिया गया है। अब वे सप्ताह में चार दिन भोपाल में रहते हैं और कभी- कभार ही नरसिंहपुर पहुंचते हैं। इस वजह से नरसिंहपुर जिले में आरटीओ से संबंधित कामकाम या तो अटके रहते हैं और लोग चक्कर लगाते हैं। नरसिंहपुर परिवहन मंत्री उदयप्रताप सिंह का गृह जिला है इसके बावजूद जनता परेशान है। इसी तरह छतरपुर एआरटीओ विक्रमजीत सिंह कंग को ग्वालियर आरटीओ भी संभालना पड़ रहा है। दोनों शहरों के बीच आने-जाने में ही दिन बीत जाते हैं और लोग चक्कर ही काटते रहते हैं। 

खंडवा एआरटीओ जगदीश प्रसाद बिल्लौरे भी ऑफिस में कम ही मिलते हैं क्योंकि उन्हें बुरहानपुर भी आना- जाना होता है। सागर जैसे बड़े जिले के साथ एआरटीओ सुनील शुक्ला को दो सौ किमी दूर पन्ना और डेढ़ सौ किमी दूर टीकमगढ़ जिलो का जिम्मा भी दे रखा है। सरकारी काम- काज के पांच दिन में वे कब किस जिले में रहेंगे ये उन्हें ही नहीं पता होता इसलिए लोग मुश्किल उठाते भटक रहे हैं।

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ARTO नहीं इसलिए निरीक्षकों की मौज

अधिकारी- कर्मचारियों की कमी पर जहां दूसरे विभागों में खूब खींचतान होती है। नई भर्ती के लिए लिखा-पढ़ी होती है लेकिन परिवहन विभाग में इस कमी की आड़ में कई अफसर मौज कर रहे हैं। इसी वजह से इस विभाग में कर्मचारियों की कमी पर कोई शिकायत करता नजर नहीं आता। इकलौते आरटीओ और दो दर्जन से कुछ ज्यादा एआरटीओ वाला परिवहन विभाग भी इस पर चुप्पी साधे है। आरटीओ की जगह एआरटी को जिम्मेदारी सौंपना तो ठीक है लेकिन कई जिलों में परिवहन निरीक्षकों को ही अघोषित रूप से आरटीओ बना दिया गया है। ये परिवहन निरीक्षक वरिष्ठ पद पर सालों से काम कर रहे हैं और इनमें से कई तो सेवानिवृत्ति की कगार पर पहुंच चुके हैं।

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किस परिवहन निरीक्षक को किस जिले का प्रभार

मनोज तेहनगुरिया का मूल पद परिवहन निरीक्षक है लेकिन वे इनदिनों छिंदवाड़ा आरटीओ की कुर्सी पर काबिज हैं। इससे पहले वे सागर, उज्जैन, नर्मदापुरम आरटीओ का जिम्मा भी संभाल चुके हैं। उनके समकक्ष पद वाले आशुतोष भदौरिया सीधी, अनुराम शुक्ला के पास बैतूल जिले में क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय का जिम्मा है। जबलपुर संभागीय परिवहन कार्यालय में तैनात परिवहन निरीक्षक रमा दुबे को मंडला आरटीओ सौंपा गया है। इसके अलावा राकेश भूरिया के पास शाजापुर, नंदलाल गामड़ को नीमच, रीना किराड़े को बड़वानी, विक्रम सिंह को सिंगरौली, ऋतु अग्रवाल को खरगौन, हृदेश यादव को धार, सुरेन्द्र सिंह गौतम को अनूपपुर, राकेश कुमार को हरदा, रंजना कुशवाह को शिवपुरी, श्योपुर और अशोकनगर, ज्ञानेन्द्र वैश्य को राजगढ़ और गुना जिलों का प्रभार दिया गया है। परिवहन निरीक्षक गिरजेश वर्मा विदिशा, राजेन्द्र स्वर्णकार निवाड़ी और संजय श्रीवास्तव सतना आरटीओ के पद पर काम संभाल रहे हैं।

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