BHOPAL. लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Elections ) में तीसरे चरण की वोटिंग के पहले मध्य प्रदेश में राजनीतिक दलों के चुनाव प्रचार में आई तेजी के बीच दल-बदल का सिलसिला भी जारी है। मुरैना-श्योपुर सीट पर दो दिन पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता रामनिवास रावत ( Ramnivas Rawat ) के बीजेपी का दामन थाम लेने के बाद अब बीजेपी को भी बड़ा झटका लगा है। पूर्व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री और आदिवासी समाज के कद्दावर नेता मुकेश मल्होत्रा कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने गुरुवार को मुरैना जिले में आयोजित प्रियंका गांधी ( Priyanka Gandhi ) की चुनावी सभा में कांग्रेस की सदस्यता ले ली है। हालांकि, मुकेश एक माह पहले ही बीजेपी में शामिल हुए थे, लेकिन एक माह में ही उनका मोह भंग हो गया।
विजयपुर विस सीट से लड़ चुके हैं निर्दलीय चुनाव
श्योपुर जिले के आदिवासी नेता और 10 साल पहले राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त कर चुके मुकेश मल्होत्रा ने 2023 के विधानसभा चुनाव में विजयपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय मैदान में उतरे थे। तब पूरे क्षेत्र के आदिवासियों ने उनका साथ दिया था और चुनाव में उन्हें 45 हजार वोट मिले थे। मुकेश मल्होत्रा विजयपुर विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय हैं। वह पहले बीजेपी में थे, तब सरकार ने उन्हें सहरिया विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया था।
कांग्रेस का साथ छोड़ दिया
विधानसभा चुनाव 2023 में टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था। फिर पिछले मार्च महीने में मुकेश ने कराहल कस्बे में बीजेपी के एक कार्यक्रम में बीजेपी के लोकसभा प्रत्याशी शिव मंगल सिंह तोमर और बीजेपी जिला अध्यक्ष सहित वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में BJP की सदस्यता ले ली थी। मुकेश मल्होत्रा को अब कांग्रेस से टिकट मिलने की उम्मीद है। यही वजह है कि उन्होंने डेढ़ माह में ही बीजेपी से नाता तोड़कर फिर से कांग्रेस का दामन थाम लिया।
आदिवासी समाज के बड़े नेता हैं मुकेश : अतुल चौहान
आदिवासी नेता मुकेश मल्होत्रा के बीजेपी छोड़कर कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के बाद पार्टी के नेता खुशी जाहिर कर रहे हैं। श्योपुर कांग्रेस जिलाध्यक्ष अतुल चौहान का कहना है कि मुकेश आदिवासी समाज के बड़े नेता हैं। उन्होंने प्रियंका गांधी की सभा के दौरान हमारी पार्टी की सदस्यता ली है। उनके आने से लोकसभा चुनाव में हमें बड़ा लाभ होगा। मुकेश ने पिछले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय मैदान में उतरकर करीब 45 हजार वोट हासिल किए थे। बीजेपी हमेशा आदिवासियों की उपेक्षा करती आई है।