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सिंहस्थ 2028 की तैयारियों के बीच एक बड़ा बदलाव सामने आया है। राज्य सरकार ने लैंड पूलिंग एक्ट (Land Pooling Act) को वापस लेने का फैसला किया है। इस एक्ट का मुख्य प्रभाव उज्जैन के किसानों और सिंहस्थ मेला क्षेत्र पर था।
इसके चलते कई महीनों से किसानों का विरोध जारी था। अब सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उज्जैन में लैंड पूलिंग लागू नहीं होगा। साथ ही, यहां की भूमि पर स्थायी अधिग्रहण नहीं किया जाएगा।
सहमति से काम होगा आगे- सीएम
सीएम मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने एक बैठक में इस फैसले का ऐलान किया है। इस बैठक में किसान संघ, बीजेपी पदाधिकारी और उज्जैन जिला प्रशासन के सदस्य शामिल थे। सीएम ने कहा, सिंहस्थ दिव्य, भव्य और विश्वस्तरीय होगा। हम साधु-संतों और किसानों की भावनाओं का पूरी तरह से सम्मान करेंगे।
इसका मतलब यह है कि अब सिंहस्थ के लिए किसी भी किसान की जमीन का स्थायी अधिग्रहण नहीं होगा। साथ ही, आगे सभी कार्यों में सहमति जरूरी होगी।
सिंहस्थ 2028, उज्जैन की तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री @Hkhandelwal1964, किसान संघ के प्रतिनिधियों, जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ विस्तृत समीक्षा बैठक आयोजित हुई।
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) November 17, 2025
बैठक में सिंहस्थ को दिव्य, भव्य और… pic.twitter.com/kcpUPXTXfK
लैंड पूलिंग एक्ट खत्म होने पर अब क्या होगा?
लैंड पूलिंग एक्ट हटने के बाद उज्जैन में भूमि पुनर्व्यवस्था (land redistribution) की प्रक्रिया खत्म हो गई है। साथ ही, दीर्घकालीन कब्जे (long-term possession) की प्रक्रिया भी समाप्त हो चुकी है।
वहीं, स्पिरिचुअल सिटी बनाने के लिए जमीन लेने की योजना रद्द कर दी गई है। पहले सरकार का उद्देश्य था कि उज्जैन में स्थायी शहर बसाया जाए। वहीं किसानों ने महीनों से इस कदम के खिलाफ आंदोलन किया था।
एमपी में लैंड पूलिंग एक्ट की खबर पर एक नजर...
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अब क्या होगा? जिला प्रशासन की नई योजना
अब जिला प्रशासन 50 किलोमीटर लंबी और 18 मीटर चौड़ी सड़क बनाएगा। इसके लिए 125 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। भू-अधिग्रहण एक्ट के तहत किसानों को कलेक्टर की गाइडलाइन का दो गुना मुआवजा मिलेगा। यह मुआवजा कुल 250 करोड़ रुपए होगा।
किसान पहले अपनी सहमति से जमीन देंगे। अगर कोई किसान सहमत नहीं होता, तो उनकी जमीन भूमि भू-अधिग्रहण एक्ट के तहत ली जाएगी। ऐसी स्थिति में कोर्ट-कचहरी भी होने की संभावना बनी रहेगी।
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क्या हैं नए फैसले के नियम?
अब सिंहस्थ में अखाड़ों को स्थायी निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी। पहले लैंड पूलिंग एक्ट में प्रावधान था कि अखाड़े अपनी जमीन खरीदकर स्थायी निर्माण कर सकते थे। अब यह विकल्प समाप्त हो गया है। इसके बजाय, अखाड़ों को केवल अस्थायी निर्माण की अनुमति दी जाएगी।
अब सिंहस्थ में अखाड़ों को स्थायी निर्माण की अनुमति नहीं मिलेगी। पहले लैंड पूलिंग एक्ट में यह प्रावधान था कि अखाड़े स्थायी निर्माण कर सकते थे। वहीं, अब यह विकल्प खत्म हो गया है। अब अखाड़ों को केवल अस्थायी निर्माण की अनुमति दी जाएगी।
सड़क का क्या होगा? इसपर उठे सवाल
सिंहस्थ के बाद मेला क्षेत्र में 50 किमी लंबी सीमेंटेड सड़क बन रही है। फिलहाल इसका कोई ठोस उपयोग नहीं बताया गया है। मेला क्षेत्र में स्थायी निर्माण की अनुमति नहीं है। इस सड़क का उपयोग केवल अस्थायी गतिविधियों के लिए किया जा सकता है।
अफसरों का कहना है कि बाबा महाकाल के बढ़ते फुटफॉल को देखते हुए धार्मिक पर्यटन बढ़ सकता है। इसके आसपास अस्थायी टेंट सिटी बनाई जा सकती है।
जानें क्या था लैंड पूलिंग एक्ट?
सरकार ने लैंड पूलिंग एक्ट लाया था। इसमें किसान की आधी जमीन जाती थी। इसमें प्रावधान था कि सरकार 50% जमीन लेती, बाकी 50% जमीन किसान को लौटाती। सरकार वाले हिस्से पर स्थायी निर्माण होते। किसान अपनी बची हुई जमीन पर सीमित गतिविधियां ही कर सकता था।
वहीं, जमीन जाने पर मुआवजा नहीं मिलता था। इसी एक्ट के तहत सरकार उज्जैन में स्थायी कुंभ सिटी बनाने जा रही थी। इसमें पक्की सड़कें, सीवरेज, गार्डन और स्थायी ढांचे बनने थे। किसान इसी योजना का विरोध कर रहे थे।
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