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BHOPAL. मध्य प्रदेश सरकार ने महिलाओं को रात में काम करने की मंजूरी दी है। इस निर्णय के तहत, महिला कर्मचारियों को सुरक्षा और सुविधा दोनों मिलेगी। ओवरटाइम के लिए दोगुना वेतन भी दिया जाएगा। नाइट शिफ्ट के लिए महिला कर्मचारियों की लिखित सहमति जरूरी होगी।
खास सुविधाएं नाइट ड्यूटी करने वाली महिलाओं को दी जाएगी। यह संशोधन अधिनियम राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू किया गया है।
एमपी में रात शिफ्ट करने पर क्या बदला?
अब महिलाएं मॉल, बाजार और कारखाने में रात शिफ्ट में काम कर सकेंगी। काम रात 9 बजे से सुबह 7 बजे तक किया जा सकेगा। कारखानों में रात 8 से सुबह 6 बजे तक ही ड्यूटी होगी।
महिला सुरक्षा को कितना ध्यान रखा गया?
शिफ्ट में कम से कम 10 महिलाएं होंगी। एंट्री-एग्जिट प्वॉइंट पर महिला सुरक्षा गार्ड रहेंगी। सुरक्षित ट्रांसपोर्ट और भोजन, पानी, रेस्ट-रूम जरूरी है। यौन उत्पीड़न रोकथाम के कानून लागू होंगे।
5 प्वाइंट में समझें क्या है पूरा मामला
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मध्यप्रदेश कारखाना संशोधन अधिनियम 2025 क्या है?
मध्यप्रदेश कारखाना संशोधन अधिनियम 2025 एमपी सरकार के जरिए लाया गया है। यह एक संशोधन कानून है। यह कानून मुख्य रूप से श्रमिकों के अधिकारों और कामकाजी परिस्थितियों से जुड़ा है।
इस अधिनियम के प्रमुख बिंदु निम्न हैं:
इस संशोधन के तहत अब महिलाएं दिन के साथ-साथ रात में भी कारखानों में काम कर सकेंगी।
पहले महिलाओं की रात में काम करने पर पाबंदी थी, जिसे इस अधिनियम में तहत हटा दिया गया है।
श्रमिकों की सहमति के बिना ओवरटाइम काम नहीं कराया जा सकेगा।
ओवरटाइम का भुगतान दोगुना देना जरूरी होगा।
एक सप्ताह में अधिकतम 48 घंटे और तीन महीने में 144 घंटे तक ओवरटाइम किया जा सकेगा। यह पूरी तरह श्रमिक की इच्छा पर आधारित होगा।
एक दिन में काम करने की अधिकतम सीमा 8 से 12 घंटे तक की जा सकती है।
पहले कानून में 'पुरुष' शब्द का उल्लेख था, जिसे हटा कर समान अधिकार महिलाओं को भी दिए गए हैं।
ठेका श्रमिकों की सीमा बढ़ाकर 20 से 50 कर दी गई है, जिससे छोटे उद्योगों में भी अधिक ठेका श्रमिक काम कर सकेंगे।
यह संशोधन केंद्र सरकार की नीति के अनुरूप है और इससे श्रमिकों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
यह अधिनियम राज्य के श्रम कानूनों में सुधार और आधुनिक परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए श्रमिकों के हित में बदलाव लाने का प्रयास है।
इससे श्रमिकों के काम के घंटे, ओवरटाइम नियम और महिलाओं के काम करने के समय में सुधार किया गया है। यह अधिनियम श्रमिक सुरक्षा और अधिकारों को बढ़ाता है, साथ ही उद्योगों में कामकाजी नियमों को लचीलापन प्रदान करता है। ओवरटाइम वेतन एमपी के तहत लागू किया जाएगा।
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दोगुना वेतन और सहमति का क्या मतलब है?
ओवरटाइम करने वाले कर्मचारियों को दोगुना वेतन मिलेगा।
महिलाओं की लिखित सहमति के बिना रात ड्यूटी नहीं लगेगी।
खास शर्तें जो महिला कर्मचारी को सुरक्षा देती हैं
सभी सुविधाएं और सुरक्षा महिला नजरिए से तय हुई हैं।
मेटरनिटी लीव से कोई वंचित नहीं रहेगा।
दुकान या स्थान पर कर्मचारी महिलाओं की संख्या 10 या उससे ऊपर हो।
पूरे कानून को किस तरह लागू किया गया?
मध्यप्रदेश कारखाना संशोधन अधिनियम 2025 से रात शिफ्ट की व्यवस्था लागू है। इस अधिनियम को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली है। नई नीति 14 नवंबर 2025 से पूरे राज्य में लागू हो चुकी है। इस संसोधन के तहत एमपी में महिलाओं की नाइट ड्यूटी लगेगी।
राज्य सरकार का बड़ा कदम
यह नीति महिला सशक्तिकरण, रोजगार एवं समानता का उदाहरण है। रात शिफ्ट की आजादी से महिलाओं की भागीदारी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। जल्द ही महिला नाइट शिफ्ट नोटिफिकेशन जारी होगा।
महिलाओं के लिए अहम फैसला
श्रम विभाग, मध्य प्रदेश शासन के अपर सचिव बसंत कुर्रे ने इस मामले पर कहा कि महिलाओं के लिए ये एक अहम फैसला है। सरकार इसके लिए लंबे समय से प्रयासरत थी। इससे कार्यस्थलों पर महिलाओं की स्वतंत्रता और समानता को लेकर माहौल निर्मित होगा।
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महिला अधिकार मंच भोपाल, म.प्र. की राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्योति सिंह ने कहा कि महिला अधिकार मंच सरकार के निर्णय का स्वागत करता है। सुरक्षा-प्रबंधों के बारे में और जानकारी की जरूरी है। महिलाओं के लिए रात्रि पाली में काम करने का अधिकार समान अवसर की दिशा में एक कदम है। सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के बिना यह कदम प्रभावी नहीं हो सकता।
उन्होंने अपनी मुख्य अपेक्षाएं भी बताईं...
- सुरक्षा मानकों का पालन - कार्यस्थल के आसपास उचित लाइटिंग, CCTV, सुरक्षा गार्ड, हेल्पलाइन होनी चाहिए।
सुरक्षित परिवहन व्यवस्था - रात में आने-जाने के लिए विश्वसनीय और जाँच-परख परिवहन सुविधा हो।
संवेदनशील वातावरण - शारीरिक, मानसिक उत्पीड़न के खिलाफ शून्य-सहनशीलता नीति लागू हो।
कानूनी सुरक्षा व निगरानी - सरकार सुरक्षा-मानकों की नियमित निगरानी करे।
ज्योति सिंह ने कहा कि महिला अधिकार मंच मानता है, अवसर तभी सार्थक हैं, जब सुरक्षा सुनिश्चित हो। महिलाएं सामाजिक दबाव और उत्पीड़न से जूझती हैं, जिससे वे डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। हम चाहते हैं कि सुरक्षा और न्याय केवल औपचारिकता न बने, बल्कि वास्तविक रूप से उपलब्ध हो। हम सरकार से अपील करते हैं कि महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
FAQ
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