MPPSC राज्य सेवा परीक्षा 2025 के रिजल्ट पर रोक के हाईकोर्ट फैसले के मतलब, क्या है विवाद

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की राज्य सेवा परीक्षा 2025 के प्री रिजल्ट पर हाईकोर्ट की डबल बैंच ने रोक लगा दी है। हालांकि, रिजल्ट पहले ही 5 मार्च को जारी हो चुका था...

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Sanjay Gupta
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मप्र लोक सेवा आयोग के राज्य सेवा परीक्षा 2025 के प्री के रिजल्ट घोषित करने पर जबलपुर हाईकोर्ट की डबल बैंच ने रोक लगा दी है। लेकिन यह रिजल्ट तो पांच मार्च को जारी हो चुका है और इसमें 4 हजार 694 उम्मीदवारों को मेन्स के लिए पास घोषित किया गया है। फिर हाईकोर्ट के आदेश के मायने क्या होंगे, आखिर विवाद क्या है और इसका क्या असर होगा। इस पर द सूत्र स्थिति स्पष्ट कर रहा है।

पहले तो यह स्थिति साफ कि अभी कुछ नहीं रुक रहा

  • पहले तो यह स्थिति साफ कर दें कि अभी इस परीक्षा को लेकर कुछ नहीं रुक रहा है। क्योंकि रिजल्ट को लेकर याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं को असमंजस था कि रिजल्ट जारी नहीं हुआ है। इसलिए उन्होंने इसे रोकने की मांग कर दी, लेकिन यह जारी हो चुका है। इसलिए इस आदेश से तकनीकी तौर पर कुछ नहीं रुक रहा है।

  • इसकी मेन्स 9 से 14 जून तक है। इसके पहले ही सात मई को अगली सुनवाई है। वहीं मेन्स रोके जाने पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। यानी यह स्थिति भी अभी तक साफ है कि मेन्स समय पर होगी। क्योंकि आयोग की किसी अगली प्रक्रिया पर रोक नहीं लगी है। रोक प्री के रिजल्ट घोषित पर लगाई थी वो तो पहले ही जारी हो चुका है।

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अब बड़ा सवाल मुद्दा क्या है

अब पहले मुद्दा बताते हैं, याचिकाकर्ता भोपाल निवासी ममता देहरिया ने मध्य प्रदेश राज्य सेवा भर्ती नियम 2015 के नियम 4 (1)(a)(ii), 4 (2)(a)(ii) और 4 (3)(a)(ii) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके साथ ही, सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) द्वारा 7 नवंबर 2000 को जारी एक परिपत्र और MPPSC द्वारा 31 दिसंबर 2024 को प्रकाशित भर्ती विज्ञापन को भी असंवैधानिक करार देने की अपील की गई थी।

  • दरअसल इस सर्कुलर के जरिए प्रावधान है कि यदि आरक्षित वर्ग ने पहले से कोई छूट ली है तो उसे मेरिट में आने वाली छूट यानी अधिक नंबर आने पर अपने वर्ग को छोड़कर अनारक्षित वर्ग में जाने की छूट नहीं मिलती है।

  • जैसे यदि अनारक्षित वर्ग के अंक आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार से ज्यादा हैं तो अनारक्षित वर्ग के व्यक्ति को आरक्षित वर्ग में शिफ्ट होना चाहिए और उसकी सीट पर अन्य आरक्षित उम्मीदवार आ जाएगा।

  • लेकिन साल 2000 के नियम के अनुसार यदि अनारक्षित ने अन्य छूट ली है तो, वह अधिक अंक आने पर भी अनारक्षित की छूट नहीं ले सकता है। यह छूट एक ही बार मिल सकती है, यानी एक ही परीक्षा में वह आरक्षण कैटेगरी का लाभ बार-बार नहीं ले सकता है।

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आयोग में यह छूट चलती है

दरअसल, आयोग पीएससी आरक्षित वर्ग को तीन तरह की प्रमुख छूट देता है, पहले तो परीक्षा शुल्क में छूट, इन्हें कम शुल्क लगता है, दूसरा उम्र में छूट यानी यदि आरक्षित वर्ग से अधिक उम्र तक वह आयोग की परीक्षा में आ सकता है, तीसरी छूट कटऑफ की, अनारक्षित वर्ग के लिए कटऑफ अंक 40 फीसदी लाना अनिवार्य है तो आरक्षित वर्ग के लिए यह 30 फीसदी है।

अब यह दो छूट लेने पर नहीं मिलती जंप होने की छूट

परीक्षा शुल्क की छूट को आरक्षण वर्ग के लाभ में नहीं गिना जाता है। अब होता यह है कि कई बार अनारक्षित वर्ग उम्मीदवार उम्र की सीमा की छूट लेता है। यह छूट लेने के कारण वह जब परीक्षा में अधिक अंक लाता है तो फिर उसे अनारक्षित वर्ग में जाने का लाभ नहीं मिलता है क्योंकि आरक्षण का लाभ एक परीक्षा में एक ही बार लिया जा सकता है। वहीं यदि वह उम्र सीमा का छूट नहीं लेता और कटऑफ अंक उसके कम आते हैं और वह 30 फीसदी अंक वाली छूट लेकर परीक्षा पास करता है तो फिर उसे अधिक अंक लाने पर अनारक्षित में जाने की छूट नहीं मिलती है। उसे उसी कैटेगरी में रहना होता है।

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अब बड़ा सवाल क्या प्री का रिजल्ट बदलेगा

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या याचिका की मांग मानी जाती है तो रिजल्ट बदलेगा क्या। यह बड़ा पेचीदा विषय है। कारण है कि यदि हाईकोर्ट आदेश देते हुए साल 2000 के सर्कुलर को रद्द कर परीक्षा नियम में बदलाव की बात करते के साथ इसे इस पर लागू करता है तो फिर प्री के रिजल्ट को बदलने की मांग उठेगी। ऐसे में जिन्हें अनारक्षित कैटेगरी में जंप नहीं किया है तो उन्हें वह सीट देना होगी और फिर उनकी खाली जगह पर आरक्षित वर्ग का अन्य उम्मीदवार सफल होगा। ऐसे में मामूली बदलाव तो रिजल्ट में आएगा। यदि ऐसा हुआ तो फिर आयोग को संशोधित रिजल्ट जारी कर उनसे भी मेन्स में फार्म भरवाने होंगे और जो नए बदलाव में बाहर होंगे उन्हें असफल घोषित करना होगा।

अब इससे भी बड़ा सवाल- यह तो 24 साल से चल रहा

इससे भी बड़ा एक सवाल यह है कि यह नियम तो 2000 से ही चल रहा है। इतने पीछे नहीं भी जाएं और इसी ताजा स्थिति में ही रहें तो फिर यह नियम तो क्या पीएससी और क्या ईएसबी सभी भर्ती परीक्षाओं में लागू होगा क्योंकि यह तो भर्ती नियम है, जो राज्य शासन से जारी है। इस मामले में राज्य शासन और भर्ती एजेंसियां पूरी तरह से परेशान होंगी। एक के बाद याचिका लगेगी और सभी जगह यह मांग उठेगी, वर्तमान भर्तियों में भी और जो हो चुकी, उनमें भी। इसमें हाईकोर्ट के सामने यह भी सवाल उठेगा कि यदि वह इस नियम को रद्द करती है तो फिर इसे लागू कब से माना जाए और यह किन परीक्षाओं पर लागू होगा क्या राज्य सेवा परीक्षा 2025 पर ही या फिर अभी तो राज्य सेवा परीक्षा 2023, 2024 के भी इंटरव्यू होने वाले हैं और रिजल्ट आना है। तो क्या इनके रिजल्ट में भी बदलाव की मांग नहीं उठेगी। जानकारों के अनुसार हाईकोर्ट क्या आदेश देता है और क्या इसे भूतलक्षी से लागू करते हैं या फिर एक परीक्षा पर या फिर अन्य परीक्षाओं के लिए भी, यह बहुत बड़ा सवाल है। ऐसे में सभी परीक्षाओं और भर्ती का भविष्य इस सुनवाई पर टिक गया है। क्योंकि इसके आधार पर हर रिजल्ट में बहुत बड़ा तो नहीं लेकिन आंशिक बदलाव बिल्कुल संभव है।

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कोर्ट ने यह दिया है आदेश

कोर्ट ने सरकार और आयोग को स्पष्ट निर्देश दिया है कि जब तक इस मामले पर अंतिम निर्णय नहीं आ जाता, MPPSC हाईकोर्ट की अनुमति के बिना परीक्षा के नतीजे जारी नहीं करेगा। इस मामले की अगली सुनवाई 7 मई 2025 को होगी, जिसमें सरकार और आयोग को अपना पक्ष पेश करना होगा। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा 2025 प्री के कुल 18 विभागों के 158 पदों के लिए हुई थी। इस परीक्षा के माध्यम से 10 एसडीएम, 22 उप पुलिस अधीक्षक, 10 अतिरिक्त सहायक विकास आयुक्त, 65 बाल विकास परियोजना अधिकारी, 14 वित्त विभाग, 7 सहकारी निरीक्षक सहित 158 पद भरे जाने हैं।

पीएससी ने क्या बोला

पीएससी के ओएसडी डॉ. रविंद्र पंचभाई ने 'द सूत्र' को बताया कि रिजल्ट तो जारी हो चुका है, आगे प्रक्रिया पर रोक नहीं लगी है। लेकिन इस संबंध में विधिक सलाह पर आगे बढ़ेंगे, वैसे भी मेंस 9 जून से है और सात मई को अगली सुनवाई है। इसके बाद ही फैसला करेंगे। जहां तक आरक्षण नियम की बात है तो यह नीतिगत मामला है और राज्य शासन से ही तय होता है।

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