MPPSC के बाहर धरना जारी, आयोग ने सुनी बात, लिखित आश्वासन की मांग

मप्र लोक सेवा आयोग से विविध मांगों को लेकर नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (एनईवाययू) के बैनर तले बुधवार को शुरू हुआ महा आंदोलन गुरुवार को भी जारी है।

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Sanjay gupta
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मप्र लोक सेवा आयोग से विविध मांगों को लेकर नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (एनईवाययू) के बैनर तले बुधवार को शुरू हुआ महा आंदोलन गुरुवार को भी जारी है। आयोग के दफ्तर के बाहर युवा बुधवार को पूरी रात भर कड़ाके की ठंड में जमे रहे और सुबह से ही बैठे हैं। हालांकि आयोग के ओर से अधिकारी बुधवार शाम को बात सुन चुके हैं लेकिन मामला लिखित आश्वासन पर अटका हुआ है।

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युवाओं की यह मांगें

आंदोलन के दौरान युवाओं की मुख्य मांग है कि साल 2019 से रुकी मेन्स की कॉपियां दिखाई जाएं और मार्कशीट भी दी जाएं, साल 2025 की परीक्षा में 700 पद और वन सेवा में 100 पद कम से कम हों, सौ फीसदी पर रिजल्ट जारी हो, पीएससी में विविध सुधार हो जैसे इंटरव्यू के अंक जारी हों आदि। असिस्टेंट प्रोफेसर व अन्य परीक्षा के कैलेंडर जारी हो। लेकिन इसमें से अधिकांश मांग शासन स्तर की है।

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लेकिन अधिकांश मांगे शासन स्तर की, आयोग के हाथ बंधे

इस मामले में आयोग के हाथ बंधे हुए हैं। कारण है कि कई प्रमुख मांगे शासन स्तर से ही हो सकती है। जैसे राज्य सेवा परीक्षा 2025 के पदों को लेकर मांग है तो यह विभागों के ऊपर है कि वह रिक्त पदों की जानकारी भेजते हैं कि नहीं। इसके लिए आयोग अक्टूबर माह से विभागों से पत्राचार कर रहा है और रिक्त पद मांग रहा है। वन विभाग ने तो कोई डिमांड ही नहीं दी, इसलिए राज्य वन सेवा परीक्षा ही अभी असमंजस में है। इसी तरह सिविल इंजीनियरिंग, एडीपीओ जैसे पद की भी जानकारी नहीं आई है।

• 100 फीसदी रिजल्ट, 87-13 की समाप्ति यह सभी मामले शासन स्तर पर ही होगा, क्योंकि 27 फीसदी आरक्षण के चलते विवादों के बीच खुद सामान्य प्रशासन विभाग ने सितंबर 2022 में आयोग को इसके आदेश दिए थे।

• मेन्स की कॉपियां दिखाने का मामला भी इसी 27 फीसदी आरक्षण में उलझा है, क्योंकि कॉपियां दिखाने के साथ ही नंबर पता चलेंगे और फिर नया लिटिगेशन शुरू होने की आशंका है। क्योंकि अभी 13 फीसदी का रिजल्ट ही होल्ड है, ऐसे में आयोग केवल चयनितों की सूची और अंक जारी कर बाकी मामले में गोपनीयता बरते हुए हैं। इसे लेकर वैसे भी हाईकोर्ट में मामला चल रहा है जिसमें 13 फीसदी की मेरिट जारी करने का मुद्दा भी है।

• फिर बात आती है इंटरव्यू प्रक्रिया में कम अंक करने की, तो प्री के सवालों की गलतियों में सुधार करने और मेंस की कॉपियां जांच प्रक्रिया में भी सुधार जैसे कदम उठाने की। यह जरूर आयोग के दायरे में आता है। हालांकि इंटरव्यू के अंक मेंस के अंक से अधिकतम 12 फीसदी मानक के अंदर ही है, लेकिन लगातार देखा जा रहा है कि मेंस में उम्मीदवार के नंबर ज्यादा होने के बाद भी इंटरव्यू में कम होते हैं। इसी के चलते यह मांग बार-बार उठ रही है। वहीं प्री के सवालों पर हर बार कोर्ट में केस लग रहा है। साल 2023 का केस तो चल ही रहा है। इसमें भी अधिक कुशल विशेषज्ञों को लेकर काम किया जा सकता है। हालांकि आंसर की प्रोविजनल जारी होती है और फिर आपत्तियां आयोग लेता है और फिर फाइनल आंसर की संशोधन के साथ जारी होती है, लेकिन हर बार कुछ सवाल पर विवाद उठता ही है और कोर्ट में केस जाता है। इससे अंत में नुकसान युवाओं का ही होता है जैसे कि 2023 का मेंस का रिजल्ट अभी तक रुका हुआ है।

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लिखित आश्वासन चाहते हैं युवा

एनईवाययू के राधे जाट ने कहा कि हम लिखित आश्वासन चाहते हैं। हम चाहते हैं जो आयोग के बस में है वह आयोग करे और जो शासन स्तर पर होना है वह आयोग शासन स्तर पर पहुंचाए। सौ फीसदी रिजल्ट जारी होना चाहिए, इस 87-13 फीसदी के फेर में लाखों युवाओं का भविष्य खराब हो रहा है। वही पीएससी की ओर से अंडर सेक्रेटरी एनके सचदेवा ने ज्ञापन लिया और उन्हें सार्वजनिक तौर पर आश्वस्त किया कि जो भी मांग है आयोग उस पर विचार करेगा, विभागों से रिक्त पदों की जानकारी ली जा रही है और भी शासन को इससे अवगत कराएंगे। बाकी जो सुधार की मांग हो रही है वह भी सलाहकार समिति में मांग रखी जाएगी।

A HANUMAN JI

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