MPPSC की राज्य सेवा परीक्षा 2025 केस पर अपडेट, क्या कर रही है सरकार, आयोग

मध्य प्रदेश राज्य सेवा परीक्षा 2025 की मेंस परीक्षा को लेकर हाईकोर्ट में लंबित दो याचिकाओं ने हजारों उम्मीदवारों की चिंता बढ़ा दी है। आयोग की निष्क्रियता, शासन की ढील और अदालत की प्रक्रिया में देरी के चलते परीक्षा और अन्य भर्तियों के रिजल्ट अटके हुए हैं।

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Sanjay Gupta
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मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की राज्य सेवा परीक्षा 2025 को लेकर दो याचिकाएं 9253/2025 और 11444/2025 हजारों उम्मीदवारों के लिए जी का जंजाल बन गई हैं। याचिका में परीक्षा नियम 2015 को लेकर जो मुद्दे उठाए हैं, वह पहले ही विविध केस में सुप्रीम कोर्ट में तय हो चुके हैं। लेकिन यह बात मध्य प्रदेश शासन कि ओर से शासकीय अधिवक्ता पुरजोर तरीके से यह बात ही अभी तक नहीं रख सके हैं। हजारों उम्मीदवारों के लगातार मैसेज, फोन द सूत्र के पास आ रहे हैं कि अभी इसमें क्या चल रहा है बताईए। द सूत्र को उच्च स्तर पर बात करके जो जानकारी मिली है वह अपडेट हम दे रहे हैं। 

उच्च स्तर अधिकारियों ने द सूत्र को क्या बताया

आयोग ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है, इसे देखते हुए द सूत्र ने सीधे भोपाल स्तर पर उच्च अधिकारियों से ही बात की। उन्होंने अनौपचारिक तौर पर कहा कि हमने आयोग को कहा है कि वह राज्य सेवा परीक्षा 2025 मेंस की तैयारी करें और समय पर कराना सुनिश्चित करें, यदि इसमें देरी होती है तो इसमें जवाब मांगा जाएगा।

अधिकारियों ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट से इसी सप्ताह हम फैसला आने की उम्मीद कर रहे हैं, इसी सप्ताह लिस्टिंग में जवाब पुटअप कर मेंस को लेकर मंजूरी चाहते हैं। लेकिन हम कितनी भी तैयारी करें, फैसला तो हाईकोर्ट से ही होना है। अधिकारी को जब हमने यह बताया कि आयोग ने तो मेंस के फार्म ही नहीं भरवाए, तो वह खुद चौंक गए और कहा कि इस मामले में वह आयोग से बात करेंगे कि क्या तैयारी कर रहे हैं। 

आयोग को यह करना था लेकिन वह कर क्या रहा है

इस मामले में पीएससी ने पूरी तरह से चुप्पी साध ली है, चेयरमैन डॉ. राजेश लाल मेहरा, सचिव प्रबल सिपाहा और ओएसडी डॉ. रविंद्र पंचभाई सभी इस मामले में चुप है। आयोग ने यह मामला मप्र शासन और हाईकोर्ट के बीच का मान लिया है और हाथ पर हाथ धरकर बैठा है। जब सरकार और हाईकोर्ट कुछ डायरेक्शन देगा तब कुछ करेंगे।

आयोग ने पांच मार्च को राज्य सेवा परीक्षा 2025 प्री का रिजल्ट दिया था, मेंस 9 जून से घोषित है, यानी उन्हें मार्च अंत से मेंस के फार्म भरवाने थे, वैसे फार्म के लिए वह 20-25 दिन का समय देते हैं, माना जा रहा था कि जैसे प्री में कम समय दिया वैसे ही मेंस में भी 10-15 दिन का समय देंगे। लेकिन 13 मई हो चुकी है और मेंस के लिए फार्म भरवाने की कोई प्रक्रिया ही आयोग ने नहीं की है। 

हाईकोर्ट ने याचिका 9253/2025 में दो अप्रैल 2024 को आदेश दिए थे कि आयोग मेंस बिना हाईकोर्ट की मंजूरी के नहीं कराए। लेकिन फार्म भराने और मेंस की तैयारी संबंधी प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं लगाई थी। लेकिन आयोग ने कुछ नहीं किया। 

मेंस के लिए उलटी गिनती शुरू हो चुकी है और अब 25 दिन मात्र रह गए हैं। ऐसे में फार्म भरवाना, सेंटर तय करना यह सब टेढ़ी बात लगती है। वहीं दो अप्रैल जब हाईकोर्ट ने मेंस पर स्टे किया तब भी आपत्ति नहीं ली और ना ही 15 अप्रैल को यह स्टे हटाने के लिए मजबूती से तर्क रखे और ना ही अभी तक आयोग और सरकार ने हाईकोर्ट में जल्द लिस्टिंग कर स्टे हटाने के लिए कोई अतिरिक्त मेहनत की। 

हाईकोर्ट में अभी तक क्या हुआ

  • हाईकोर्ट में परीक्षा नियम 2015 को चुनौती देते हुए 9253 याचिका पहले लगी। इसमें 25 मार्च को आदेश हुए कि प्री का रिजल्ट घोषित नहीं किया जाए। लेकिन बाद में हाईकोर्ट के संज्ञान में आया कि यह रिजल्ट तो 5 मार्च को जारी हो चुका है।
  • इसके बाद हाईकोर्ट ने दो अप्रैल को सुनवाई के दौरान बिना हाईकोर्ट मंजूरी के मेंस कराने पर रोक लगा दी और साथ ही प्री के कटआफ की सूची मांगी। इस दौरान 11444 याचिका और लग गई। 
  • 15 अप्रैल को हाईकोर्ट में दोनों याचिका पर संयुक्त सुनवाई हुई और आयोग ने प्री के कटआफ की सूची बंद लिफाफे में दी, जिसे हाईकोर्ट ने सार्वजनिक किया और कहा कि इसमें छिपाने वाली बात कुछ नहीं है। लेकिन मेंस पर लगाए गए स्टे हटाने पर कुछ नहीं हुआ। परीक्षा नियम 2015 को लेकर शासन से जवाब मांगा गया और अगली तारीख 6 मई लग गई।
  • 6 मई को केस लिस्टेड नहीं हुआ, फिर 8 मई तारीख बताई गई, लेकिन केस लिस्ट नहीं हुआ। इसके बाद अभी भी केस लिस्ट नहीं हुआ है। यह कब होगा अभी क्लियर नहीं है। मप्र शासन इसी सप्ताह इसे लिस्ट कराने की बात कर रहा है। 
  • इस मामले में शासकीय अधिवक्ता और शासन ने भी पूरी कमजोरी दिखाई है और हाईकोर्ट में कभी भी दमदारी से यह बात नहीं रखी कि मेंस से रोक हटाई जाए और ना ही पहले सुप्रीम कोर्ट में हुए फैसलों की जानकारी दी गई। वहीं उधर आयोग ने मेंस की प्रक्रिया करने के लिए रोक नहीं के बाद भी फार्म भराने जैसी प्रक्रिया शुरू नहीं की। 

हाईकोर्ट में 20 मई तक क्लियर होना जरूरी

उधर MP हाईकोर्ट की रेगुलर वर्किंग 20 मई तक है, 21 मई से गर्मियों की छुट्टी लग जाएगी। वर्किंग डे की बात करें तो अभी 13 से 16 मई और फिर 19 व 20 मई है। यानी इस दौरान यदि मेंस से स्टे नहीं हटा तो फिर मेंस किसी भी हाल में जून में नहीं होगी और मामला फिर कम से कम दो माह खिंचेगा। क्योंकि जून अंत में फिर सुनवाई होगी और इसके बाद स्टे हटता है तो फिर मेंस की प्रक्रिया होगी।

वहीं जब इसी कारण से आयोग ने रिजल्ट रोके हैं तो वह भी आयोग जारी नहीं करेगा। रिजल्ट पर रोक नहीं होने के बाद भी आयोग ने इसे इस याचिका से ही लिंक करके फैसला लेना शुरू कर दिया है और वह खुद रिजल्ट घोषित करने में डर रहा है। ऐसे में जब तक परीक्षा नियम 2015 की याचिका निराकृत नहीं हो जाती रिजल्ट नहीं आएंगे। 

लाखों की संख्या में उम्मीदवार परेशान

इस केस की वजह से जहां राज्य सेवा परीक्षा मेंस 2025 जो नौ जून से प्रस्तावित है, उस पर असमंजस है क्योंकि हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया है।  वहीं इसमें परीक्षा नियम 2015 को भी चुनौती होने से आयोग ने असमंजस के चलते अपने स्तर पर ही फैसला लेते हुए बाकी रिजल्ट होल्ड कर दिए हैं, जो 25 मार्च से होल्ड पर चल गए हैं।

इसके चलते विविध एमपीएससी की परीक्षा दे चुके उम्मीदवार जहां रिजल्ट के इंतजार में अटके हुए हैं जिसमें विविध विषयों के असिस्टेंट प्रोफेसर 2022 की भर्तियां है तो वही आईटीआई, हैंडलूम जैसी कई परीक्षाओं के रिजल्ट भी अटके हुए हैं। यह रिजल्ट तीन-चार महीने से रूके हुए हैं।

असिस्टेंट प्रोफेसर 2024 भी बढ़ाने की उठी मांग 

उधर एक और समस्या है जून में आयोग की असिस्टेटं प्रोफेसर 2024 भर्ती परीक्षा प्रस्तावित है, उधर नौ जून से राज्य सेवा परीक्षा 2025 प्रस्तावित है, अब कौन सी परीक्षा होगी, कौन सी नहीं होगी, किसी को कुछ नहीं पता। वहीं उम्मीदवारों की ओर से अब यह मांग भी आ रही है कि जब असिस्टेंट प्रोफेसर 2022 के ही रिजल्ट नहीं आए तो फिर एपी 2024 को अभी नहीं कराना चाहिए, क्योंकि जो एपी 2022 में चयनित होंगे वह एपी 2024 में रिजल्ट पता नहीं होने के चलते बैठेंगे, ऐसे में अन्य योग्य उम्मीदवारों के लिए पद नहीं बचेंगे और रिक्त रह जाएंगे। इसलिए उम्मीदवारों की मांग है कि पहले आयोग 2022 की एपी का रिजल्ट जारी कर दे, फिर एपी 2024 का आयोजन करे। 

शासन ने यह जवाब देने की की है तैयारी

इस मुद्दे पर कुछ दिन पहले ही द सूत्र ने विस्तृत रिपोर्ट पेश करते हुए बताया था कि सुप्रीम कोर्ट में भी यह मुद्दा उठ चुका है और वहां से इस नियम को मंजूर किया गया है। द सूत्र ने टीना डाबी सहित अन्य केस का उदाहरण दिया था। अब सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) भोपाल ने यही रिपोर्ट बनाई है और इसमें अधिवक्ताओं के जरिए यही पक्ष हाईकोर्ट में रखने जा रहा है। 

इसमें कहा जाएगा कि यदि आरक्षण का लाभ किसी स्तर पर एक बार ले चुके हैं तो फिर उसे अनारक्षित में मूव नहीं कर सकते हैं। जीएडी अधिकारियों ने द सूत्र को इसकी पुष्टि की है और कहा है सुप्रीम कोर्ट में चले विविध केस की जानकारी हम हाईकोर्ट में पेश करेंगे।  

यह है परीक्षा सेवा नियम 2015 मप्र नियम

यह रूल कहता है कि यदि किसी उम्मीदवार ने आरक्षण संबंधी किसी तरह की छूट ली है (इसमें यात्रा व्यय लेना और परीक्षा शुल्क की छूट लेना शामिल नहीं) तो फिर उसे प्री, मेंस, इंटरव्यू के बाद की मेरिट बनने के दौरान अपने संबंधित आरक्षण वर्ग यानी एसटी, एससी, ओबीसी में ही रखा जाएगा और उसे अनारक्षित कैटेगरी में मेरिट अंकों के आधार पर शिफ्ट नहीं किया जाएगा।

इस नियम को ही चैलेंज कर दिया गया, जिसमें 25 मार्च 2025 को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट चीफ जस्टिस की बैंच ने प्री के रिजल्ट घोषित करने पर रोक लगा दी, फिर 2 अप्रैल को कैटेगरी वाइस कटआफ अंक मंगे और मेंस पर स्टे लगा दिया और अब 15 अप्रैल को कैटेगरी अंक आने के बाद इस नियम को लेकर जवाब मांगा है और 6 मई को सुनवाई होगी। 

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परीक्षा नियम आज का नहीं साल 2000 से है

मप्र राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 आज से नहीं दरअसल नवंबर 2000 में तत्कालीन सीएम दिग्विजय सिंह की सरकार के समय यह नियम बना कि आरक्षित वर्ग को कई तरह की छूट दी जाती है (शुल्क व व्यय के अतिरिक्त उम्र की छूट, पास होने के कटआफ की छूट आदि), ऐसे में यदि एक आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार उम्र या कटआफ जैसी छूट भी लेता है (परीक्षा शुल्क व व्यय को छूट नहीं माना गया) तो फिर उसे मेरिट में अंकों के आधार पर अनारक्षित में नहीं जाना चाहिए। उसी वर्ग में रहना चाहिए। इसी नियम के आधार पर हमेशा भर्ती चली आ रही है। 

टीन डाबी सहित कई अन्य केस में सुप्रीम कोर्ट लगा चुका ये मुहर

1.टीना डाबी ने यूपीएससी 2015 में टाप किया, लेकिन उन्हें इसके बाद भी एससी कैटेगरी की सीट मिली अनारक्षित में नहीं शिफ्ट किया गया। इसका कारण है कि प्री 2015 के लिए अनारक्षित का कटआफ 107 था और एससी के लिए 94, टीना टाबी को प्री में 96.66 फीसदी अंक मिले और वह एससी कैटेगरी के कटआफ अंक छूट के साथ ही मेंस के लिए पास हुई।

हालांकि वह मेंस में सबसे ज्यादा अंक हासिल कर टॉपर बनी, उनके मेंस में कुल 2025 अंक में से 1063 आए और वह टापर बनी। लेकिन एससी कैटेगरी के तहत प्री में कटआफ छूट लेने के कारण वह अनारक्षित में शिफ्ट नहीं हुई और उन्हें अपना होम टाउन भी नहीं मिला था। वह राजस्थान कैडर की आईएएस हुई। 

2.इसी तरह दीपी विरूद्ध भारत सरकार का भी केस है, उन्होंने भी ओबीसी से अनारिक्षत में जाने की मांग की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि उन्होंने ओबीसी छूट का लाभ लिया है तो वह अनारक्षित में नहीं जा सकती।

3. जितेंद्र सिंह विरुद्ध भारत सरकार केस में भी यही बात उठी और साल 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में भी यही कहा कि यदि आरक्षित वर्ग की कोई छूट ली तो फिर अनारक्षित में शिफ्ट नहीं कर सकते हैं।

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डीओपीटी ने भी बना रखा है नियम

केंद्र के डिपार्टमेंट आफ पर्सोनेल एंड ट्रेनिंग का भी यह नियम है कि एसटी, एससी, ओबीसी आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार यदि परीक्षा में किसी तरह की छूट कैटेगरी की लेते हैं, तो उन्हें अनारक्षित में शिफ्ट नहीं किया जाएगा। यही केंद्र का नियम मप्र सरकार ने भी लिया है। 

इस तरह की छूट मिलती है

केंद्र की छूट की बात करें तो अनारक्षित कैटेगरी में परीक्षा देने के अवसर कम है. वहीं कैटेगरी में कितने बार भी दे सकते हैं. इसी तरह प्री कटआफ अंक, उम्रसीमा की छूट, योग्यता व अन्य छूट भी रहती है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है जब कोई छूट ली तो फिर उसी कैटेगरी में ही रहेंगे, क्योंकि इसी कैटेगरी में रहकर मेंस दी, इंटरव्यू दिया और अंत में सफलता पाई। 

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हाईकोर्ट जबलपुर में नियम 2015 खत्म करने की मांग

वहीं हाईकोर्ट में लगी याचिका में परीक्षा नियम 2015 को ही चुनौती दी गई है और इसे खारिज करने की मांग उठी है। साथ ही नवंबर 2000 के गजट नोटिफेकशन को भी खारिज करने की मांग इसमें की गई है। यही नहीं राज्य सेवा परीक्षा 2025 के लिए जारी नोटिफिकेशन जिसमें इस नियम 2015 का हवाला है उसे ही रद्द करने की मांग की गई है।

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