मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा उच्च शिक्षा विभाग में ओबीसी (OBC) वर्ग के सहायक प्राध्यापकों के बैकलॉग पदों में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं।
अब यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है, जहां याचिकाकर्ताओं ने आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए नियुक्तियों की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं। हाईकोर्ट ने MPPSC को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
ओबीसी वर्ग के 31 बैकलॉग पद थे रिक्त
सागर निवासी लीलाधर लोधी सहित अन्य अभ्यर्थी जिन्हें साल 2022 की भर्ती में बैकलॉग पदों पर प्राथमिकता ना देते हुए इंटरव्यू से बाहर कर दिया गया था। अब उन्होंने कोर्ट में याचिका लगाई है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वर्ष 2019 में अंग्रेजी विषय के तहत ओबीसी वर्ग के 31 बैकलॉग पद रिक्त थे, जिनमें से कई पद सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार ओबीसी वर्ग से ही भरे जाने चाहिए थे। लेकिन इन पदों को न तो 2022 की भर्ती प्रक्रिया में शामिल किया गया और न ही समय रहते भरा गया।
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कम अंक देकर दिखाया बाहर का रास्ता
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर और हितेंद्र गोलहानी ने कोर्ट को बताया कि साल 2022 में MPPSC ने अंग्रेजी विषय के लिए 200 सहायक प्राध्यापकों के पद निकाले, लेकिन उसमें ओबीसी के बैकलॉग पदों का कोई जिक्र नहीं था।
यह भर्ती प्रक्रिया अभी चल रही है और इस भर्ती में याचिकाकर्ता भी शामिल थे लेकिन उन्हें इंटरव्यू में कम अंक देकर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। वहीं कई ओबीसी अभ्यर्थियों को 13% होल्ड पर भी रखा गया है।
इसके बाद 2024 के एक विज्ञापन में आयोग ने 2019 के ओबीसी बैकलॉग पदों को शामिल कर दिया। जिससे यह सवाल खड़े हो गए कि यह देरी और वर्गवार आरक्षण का उल्लंघन क्यों हुआ?
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अब MPPSC को देना होगा जवाब
ओबीसी भर्ती विवाद में जस्टिस एमएस भट्टी की सिंगल बेंच ने याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए कहा कि अगर ओबीसी वर्ग के योग्य उम्मीदवार 2019 से होल्ड पर थे, तो उन्हें बाहर का रास्ता क्यों दिखाया गया?
कोर्ट ने लोक सेवा आयोग के वकील और राज्य के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह को याचिका की अग्रिम प्रति सौंपने का निर्देश देते हुए जवाब दाखिल करने को कहा है।
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SC की गाइडलाइन की भी अनदेखी
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश का हवाला भी दिया जिसमें कहा गया है कि बैकलॉग पदों को अगली भर्ती में उसी वर्ग से ही भरा जाना चाहिए, जिसमें वे रिक्त हैं। लेकिन आयोग ने 2024 के नए विज्ञापन में 2019 के ओबीसी पदों को फिर से शामिल कर असंवैधानिक तरीका अपनाया।
सुनवाई में कोर्ट के सामने यह आया कि यह मामला ओबीसी उम्मीदवारों के भविष्य और आरक्षण नीति की पारदर्शिता से जुड़ा हुआ है। अब 31 जुलाई की सुनवाई में लोक सेवा आयोग को अपना पक्ष रखना होगा।
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