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INDORE. मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने राज्य सेवा परीक्षा 2023 का अंतिम रिजल्ट 8 नवंबर को जारी किया था। इसके (MPPSC) टॉपर की लिस्ट में सामने आया कि वह युवा ही इसमें आगे हैं, जो पहले ही किसी ना किसी पद पर चयनित हो चुके हैं।
अब वह निचले पदों से उच्च डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी के पदों पर आए हैं। वहीं हजारों युवा ऐसे हैं जो एक के बाद एक मैंस दे रहे हैं, कई इंटरव्यू भी दे रहे हैं। वहीं, इसके आगे चयन सूची में उनका नाम ही नहीं आ रहा है।
इसका सबसे बड़ा कारण 87 फीसदी फार्मूला है। इसके साथ ही, इसकी आड़ में पीएससी के जरिए कॉपियां नहीं दिखाने और अंक नहीं बताने जैसी गोपनीयता शामिल है।
देखिए किस तरह चयनित लगातार हो रहे सफल
रैंक 1- टॉपर अजीत मिश्रा अभी नायब तहसीलदार हैं। वहीं, अब डिप्टी कलेक्टर बने हैं। पहले भी वह चयनित हो चुके थे।
रैंक 2- भुवनेश चौहान साल 2021 में डीएसपी पद पर चयनित हो चुके हैं।
रैंक 3- यशपाल स्वर्णकार अभी आडिट सेवा में हैं। साल 2021 में वह इसमें पीएससी से चयनित हुए थे, फिर वह 2022 में जीएसटी इंस्पेक्टर पर चयनित हुए। यह उनका तीसरा चयन है।
रैंक 4- अभिषेक जैन भी इसके पहले 2024 में डीएसपी पर चयनित हो चुके थे। वह इसके पहले जनपद सीईओ, लेखा सेवा में भी चयनित हो चुके हैं। अभी जनपद सीईओ लखनादौन में पदस्थ हैं।
रैंक 6- प्रिया अग्रवाल भी पूर्व में साल 2021 की पीएससी में लेबर डिपार्टमेंट में चयनित हो चुकी हैं।
रैंक 9- कल्पेश सिंघई भी पूर्व चयनित और अभी नगरीय विकास प्राधिकरण में पदस्थ हैं।
रैंक 10- अदिति जैन वह अभी ट्रेजरी ऑफिसर हैं। अब वह डिप्टी कलेक्टर पद पर चयनित हुई हैं।
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भारती धाकड़ को देखिए, सात परीक्षा के बाद सफल
इधर भारती धाकड़ साल 2018 से पीएससी दे रही थी। सात बार राज्य सेवा परीक्षा और पांच बार इंटरव्यू दे चुकीं है। वहीं, भारती धाकड़ को अब जाकर सफलता मिली है। वह ब्लॉक ऑफिसर पद पर चयनित हुई हैं।
वह राज्य सेवा परीक्षा 2018, 2019, 2020, 2022 का भी इंटरव्यू दे चुकी थीं। वहीं, अब जाकर राज्य सेवा परीक्षा 2023 में सफल हुईं है।
इसी तरह एक अभ्यर्थी ने द सूत्र को मैसेज किया कि वह चार बार से लगातार मैंस दे रहे हैं, लेकिन वह अब भी सफल नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि मुझे अपनी गलतियां ही पता नहीं चल रही हैं कि कहां चूक हो रही है।
क्या है 87 फीसदी फार्मूला का फेर और गोपनीयता
साल 2019 में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने का फैसला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट में याचिकाएं लगीं और ओबीसी को 14 फीसदी से ज्यादा आरक्षण देने पर स्टे हुआ था।
इससे राज्य सेवा परीक्षा 2019 का रिजल्ट होल्ड हो गया। इसके साथ ही विविध भर्तियों के रिजल्ट होल्ड होने लगे। इसके बाद राज्य शासन ने सितंबर 2022 में यह 87-13-13 फीसदी फार्मूले का नियम लागू किया था।
इस नियम में तय किया गया कि 14 फीसदी ओबीसी आरक्षण के साथ 87 फीसदी पदों पर रिजल्ट जारी करेंगे। बाकी 13 फीसदी पद ओबीसी/अनारक्षित दोनों के लिए अलग-अलग रखे जाएंगे।
इनकी अंतिम चयन सूची भी दोनों के लिए बनेगी, लेकिन इसे लिफाफे में बंद रखा जाएगा। जब आरक्षण पर फैसला होगा तब यह सूची जारी होगी। यदि आरक्षण 27 फीसदी मान्य तो फिर यह 13 फीसदी होल्ड पद ओबीसी के खाते में नहीं तो अनारक्षित के खाते में जाएंगे।
इसके बाद पीएससी ने 87% को मूल और 13% को प्रोविजनल रिजल्ट कैटेगरी में रखकर रिजल्ट देना शुरू किया था। वहीं, प्री और मेन्स के इंटरव्यू के बाद 13 प्रतिशत की चयन सूची रोक दी थी। साथ ही, एक और विवादित फैसला लिया कि 87 प्रतिशत में भी उन्हीं का रिजल्ट बताया जाएगा, जो चयनित होंगे। इसका मतलब, जितने पद होंगे, उनके ही नाम और अंक जारी होंगे। ऐसे में, मूल रिजल्ट में भी सफल नहीं होने वालों के अंक नहीं बताए जाएंगे।
जैसे अभी राज्य सेवा परीक्षा 2023 में करीब 600 उम्मीदवारों ने 87 फीसदी कैटेगरी में इंटरव्यू दिया था। वहीं, अंतिम चयन सूची में आए 197 चयनितों के ही अंक (मेंस और इंटरव्यू दोनों के) बताए गए। बाकी 400 उम्मीदवारों को नहीं पता कि वह मेंस में रूके या इंटरव्यू में आखिर कहां चूक हुई। उधर 13 फीसदी प्रोवीजनल में तो रिजल्ट हमेशा की तरह लिफाफे में बंद है। किसी को नहीं पता कौन चयनित हुआ है?
अब ऐसा साल 2019 से चल रहा है। राज्य सेवा परीक्षा 2019, 2020, 2021, 2022, 2023 और 2024 के अंतिम चयन सूची आ चुकी है। इसमें 13 फीसदी वाले होल्ड हैं। वहीं 87 फीसदी कैटेगरी में भी इंटरव्यू देने वालों में से भी केवल सफल उम्मीदवारों को ही अपने अंक पता हैं। बाकी जो फेल हो चुके हैं उन्हें नहीं पता कि वहां गलती कर रहे हैं।
ना कॉपियां दिखा रहे, ना अंक बता रहे
पीएससी से अपनी कई मांगों को लेकर उम्मीदवारों ने आंदोलन किया था। यह धरना दिसंबर 2024 में चार दिन तक निरंतर चला था। इसमें यह अहम मांग थी कि 87 फीसदी की कॉपियां दिखाई जाएं, अंक बताए जाएं।
इसमें कहने को सहमति भी बनी और कहा गया कि आयोग अपनी बोर्ड बैठक कर इसे लेकर फैसला लेगा। वहीं, अब इस आंदोलन को भी 11 माह हो चुके हैं, लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया है। आयोग ने भी इसमें चुप्पी साध ली है।
राज्य सेवा परीक्षा 2019 के पहले आयोग उम्मीदवारों के अंक भी बताता था। साथ ही एक तय शुल्क लेकर मेंस की सभी कॉपियां भी दिखाता था। इससे युवाओं को पता चलता था कि वह कहां गलती कर रहे हैं। इसमें सुधार करते थे। वहीं, अब यह 6 साल से बंद हो चुका है।
उम्मीदवार मांग कर रहे हैं कि कम से कम 87 फीसदी वालों की तो कॉपियां दिखाओ, अंक बताओ, लेकिन सब चुप है।
इस गोपनीयता का कारण बेवजह का डर
दरअसल, इस गोपनीयता के पीछे आयोग का बड़ा डर छिपा है। कारण है कि यह 87-13-13 फीसदी फार्मूला ही अंसवैधानिक है। वैसे यह डर 13 फीसदी कैटेगरी के अंक/रिजल्ट बताने में तो समझ आता है। वहीं, 87 फीसदी कैटेगरी में नहीं बताने का कोई कारण नहीं है और बेवजह का डर है। क्योंकि 87 फीसदी में बाकी जो फेल हुए हैं।
इनके अंक निश्चित ही मेरिट में आने वालों से कम ही होंगे। ऐसे में इन्हें बताने में कोई हिचक नहीं होना चाहिए। वहीं, आयोग को भविष्य में कभी भी 13 फीसदी का रिजल्ट जारी होने पर होने वाले संवैधानिक खतरे का डर सता रहा है।
इसलिए संवैधानिक डर का खतरा
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुसार, चयन मेरिट पर होता है। आयोग के अनुसार, जो उम्मीदवार प्री में जिस कैटेगरी में था, वही कैटेगरी मैंस और इंटरव्यू तक रहेगा। वहीं, मेरिट मैंस और इंटरव्यू के अंक पर बनती है। इसलिए, जो उम्मीदवार प्री में निचले अंक पर था, वह मैंस में टॉप कर सकता है।
अब समस्या यह है कि जिन उम्मीदवारों को प्रोवीजनल में रखा गया, उनके मैंस और इंटरव्यू के अंक अधिक हैं, तो उन्हें 87% में आना चाहिए। इसी तरह कई उम्मीदवारों को 13% से 87% में आकर उच्च पद मिलने की संभावना है।
यह लिफाफे खुलने के बाद कई केस में ऐसा देखने में भी मिल सकता है। ऐसे में इन्हीं सभी के चलते आयोग ने चयनितों को छोड़कर बाकी अंक बताने और कॉपियां दिखाना ही बंद कर दिया है।
87 फीसदी के अंक बताने से युवाओं को होता फायदा
87 फीसदी में अंक और कॉपियां बताने से युवाओं को काफी लाभ होता। इसमें युवा देख पाते कि वह किस विषय में कमजोर हैं और कहां गलतियां कर रहे हैं। इससे उन्हे सुधार का भी मौका मिलता। इंटरव्यू में यदि कम अंक आ रहे हैं तो वह इसकी भी तैयारी तेज करते। वहीं, इस विवादित फार्मूले ने हजारों युवाओं को उलझा कर रख दिया है।
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