संजय गुप्ता @ INDORE. मप्र लोक सेवा आयोग ( MPPSC ) की राज्य सेवा परीक्षा 2023 को लेकर उलझन बढ़ गई है, लेकिन फिलहाल आयोग इसे समझने के लिए तैयार नहीं है। राज्य सेवा प्री 2023 ( MPPSC PRE ) को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में लगी याचिकाओं पर हाईकोर्ट अभी तक करीब 50 उम्मीदवारों को मेन्स में बैठाने के अंतरिम आदेश जारी कर चुका है और अभी भी लगातार याचिकाएं लग रही हैं। वहीं इन आदेशों में हाईकोर्ट द्वारा लिखी गई अंतिम तीन लाइन एमपीपीएससी ( MPPSC ) के लिए साफ सख्त संदेश दे रही है।
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यह हैं, वह तीन लाइन
हाईकोर्ट द्वारा दो पन्नों के जारी आदेशों के अंत में यह तीन लाइन लिखी गई हैं-
mppsc को याचिकाकर्ता के फार्म स्वीकार करने का निर्देश दिया जाता है और कोर्ट अगली तारीख पर पीएससी की सुनवाई के बाद तारीख बढ़ाने का आदेश दे सकती है। इससे अन्य उम्मीदवारों को भी असुविधा होगी, जिनका इस कोर्ट में प्रतिनिधित्व नहीं है।
क्या है इन लाइन का अर्थ
विधिक जानकारों के अनुसार इस लाइन का सीधा अर्थ है कि इन प्री के गलत प्रश्नों के कारण जो भी उम्मीदवार बार्डर पर अटक गए और मेंस के लिए क्वालीफाइ नहीं कर सके, उन्हें इन्हीं आधार पर पात्रता मिलेगी। संभव है कि अगली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट इस तरह का आदेश जारी कर दे कि जोभी उम्मीदवार प्री के इन सवालों के कारण पास नहीं हो सके हैं, वह सभी पात्र घोषित किए जाते हैं। क्योंकि हर उम्मीदवार हाईकोर्ट नहीं पहुंच सकता है। हाईकोर्ट की मंशा भी इसी तरह की दिख रही है। इसलिए जब गुरुवार को अन्य उम्मीदवारों की अधिवक्ता अंशुल तिवारी द्वारा याचिका लगी तो सिर्फ एक मिनट की सुनवाई में सभी उम्मीदवारों को पात्र घोषित कर मेन्स के फार्म भराने संबंधी आदेश जारी हो गए।
यह हैं कोर्ट की महत्तवपूर्ण लाइनें
इसके मायने हैं कि रिजल्ट को रिवाइज्ड करना पड़ेगा
यदि हाईकोर्ट सभी को इन प्रश्नों के आधार पर पात्र घोषित करता है तो फिर एमपीपीएससी ( MPPSC ) के पास दो ही विकल्प होंगे, वह या तो रिव्यू में जाकर स्टे लेकर आए या फिर रिजल्ट को रिवाइज्ड करे और फिर से जारी करे। ऐसे में पात्र और अपात्र उम्मीदवारों की नई सूची बन जाएगी।
फिर मेन्स 2023 का क्या होगा?
1- हाईकोर्ट ने इसमें से तीन मामलों की सुनवाई 4 मार्च को रखी है, बाकी सुनवाई 12 मार्च को रखी है।
2- हाईकोर्ट यदि किसी भी समय यह आदेश करता है कि इन प्रश्नों के आधार पर सभी पात्र हैं, तो फिर पीएससी को रिजल्ट रिवाइज्ड करना होगा या फिर स्टे लाना होगा।
3- अभी की स्थिति में आयोग विधिक मामला समझने के लिए तैयार नहीं दिख रहा है और वह 11 मार्च से ही मेन्स कराने के लिए अड़ा रहकर, इसे अब खुद की प्रतिष्ठा का विषय अधिक बना रहा है और उम्मीदवारों के बारे में कम सोच रहा है।
4- यदि 11 मार्च से ही मेन्स कराई और प्री के रिजल्ट को रिवाइज्ड करने की नौबत आई तो फिर पेंच 2019 परीक्षा जैसा होगा, जिसमें स्पेशल मेन्स कराना पड़ी थी। यानी बाद में पात्र घोषित होने वाले उम्मीदवारों के लिए आयोग को स्पेशल मेन्स कराना होगी।
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ऐसे में बेहतर क्या होगा?
इस स्थिति में और उम्मदीवारों की मांग को भी देखते हुए बेहतर होगा कि मेन्स को फिलहाल स्थगित किया जाए और पहले प्री के रिजल्ट का विधिक मामला हाईकोर्ट में ही सुलझ जाए। हाईकोर्ट से इस पर अंतिम फैसला आने के बाद ही पीएससी को आगे बढ़ना चाहिए। जिस तरह से वह असिस्टेंट प्रोफेसर मामले में समझदारी दिखा रहा है, यही समझदारी की जरूरत राज्य सेवा मेन्स 2023 के लिए भी है। नहीं तो इस परीक्षा के लिए आगे कानूनी उलझन बढ़ती जाएगी। इससे दो बातें होंगी, उम्मीदवारों को मेन्स के लिए अतिरिक्त समय मिलेगा, जिसके लिए लंबे समय से मांग चल रही है और पीएससी भी विधिक उलझन से बच जाएगा।