INDORE : मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) की लेटलतीफी और परीक्षा सिस्टम के ट्रैक पर नहीं होने से आखिर होता क्या है? यह जानने के लिए द सूत्र ने इंदौर के भंवरकुआं क्षेत्र में जाकर उम्मीदवारों से बात की और वाट्सअप पर भी संदेश भेजकर जानकारी मांगी। कई उम्मीदवारों ने दुखी मन से अपनी बात साझा की।
जली रोटियां खा रहे, एक टिफिन दोनों समय
- एक उम्मीदवार ने बताया कि घर से महीने के तीन से चार हजार रुपए ही आते हैं, किराए में आधी राशि चली जाती है। टिफिन दोनों बार बुलाएं इतने रुपए नहीं बचते हैं, इसलिए एक ही टिफिन को दोनों वक्त चलाते हैं।
- रुपए कम होने से एक ही कमरे में पांच-छह उम्मीदवार मिलकर रहते हैं।
- गांव, छोटे शहरों में पढ़ाई सामग्री उपलब्ध नहीं होती, यहां कोचिंग की फीस नहीं दे सकते, इसलिए लाइब्रेरी में फीस भरकर दिन भर वहा पढ़ते हैं।
- एक उम्मीदवार ने तो बताया कि वह लाइब्रेरी में ही काम करता है. वहीं कुछ रुपए मिल जाते हैं. वहीं रह लेता है और फिर वहीं पढ़ाई करता है और काम करता है।
- एक उम्मीदवार ने द सूत्र को बताया कि कई बार जली रोटियां आती है, वहीं खा लेते हैं, गर्मियों में सब्जी खराब हो जाती है, तो आचार और प्याज के साथ रोटी खा लेते हैं।
- द सूत्र को एक उम्मीदवार ने बताया कि उसकी माता नहीं है कोविड में पिता भी चले गए। दोस्त और टीचर ही खाने और रहने की व्यवस्था करते हैं।
- चाय पीने के लिए भी महीनों तक पैसे नहीं रहते हैं। फिर भी हम डटे हैं कभी तो हमारी पीड़ा पीएससी और यह सिस्टम समझेगा।
- एक उम्मीदवार ने द सूत्र को मैसेज करके बताया कि लगातार सिटिंग से बैकबोन समस्या हो गई है। चलने-फिरने में भी समस्या है लेकिन पीएससी को इन बातों सो कई मतलब नहीं रहता है।
शादी का दबाव, घर बुला रहे
कुछ उम्मीदवारों ने द सूत्र को कहा कि हमे तो परिवार वालों ने इंदौर से ही बुला लिया है और अब गांव आ गए हैं। क्योंकि महीने के एक-दो हजार रुपए भी उनके लिए देना संभव नहीं था। घऱ् में शादी का दबाव है. उम्र 29-30 साल हो चुकी है और बोल रहे हैं कि कब तक करेगा तैयारी। कई लोग रिजल्ट के इंतजार में इंदौर से अपने घर, गांव लौट गए हैं।
किसे बताएं 87-13 फीसदी क्या है?
कुछ उम्मीदवारों ने कहा कि पांच साल से रिजल्ट रूका हुआ है, ओबीसी आरक्षण का विवाद होने के बाद ही साल 2019 का रिजल्ट रूक गया, फिर सितंबर 2022 में 87-13 फीसदी का नियम आ गया और हम और हमारे जैसे हजारों उम्मीदवार 13 फीसदी के भंवर में आ गए। बस इंतजार कर रहे है कि कब रिजल्ट आएगा और कब नियुक्ति होगी।
सिलेक्ट हो चुके उम्मीदवारों से भी शिकायत
एक उम्मीदवार ने कहा कि हमारे बीच से ही निकले चयनित हो चुके साथियों से भी शिकायत है, वह अपनी सक्सेस स्टोरी डालते हैं लेकिन हम लोग किस तरह पिस रहे हैं इसकी बात किसी मंच से नहीं करते हैं। उनकी कुछ मर्यादा, सीमा होगी लेकिन बात रखने का एक तरीका होता है कम से कम हम लोगों की पीड़ा तो रख सकते हैं। लेकिन चयन होने के बाद कोई वापस झांकने नहीं आता, हां कोचिंग में मेंटोर जरूर बन जाते हैं।
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क्या है समस्या?
औसतन दो साल में हो रहा एक परीक्षा शेड्यूल पूरा
हाल के समय में पीएससी ने 2020, 2021 के अंतिम रिजल्ट जारी कर भर्ती की है, राज्य सेवा परीक्षा 2019 तो एक अलग केस था जिसमें चार साल लग गए। वहीं 2022 परीक्षा के इंटरव्यू होना है जो नंवहर माह से शुरू हो रहे हैं, रिजल्ट दिसंबर अंत तक संभावित होगा। मेंस 2023 का रिजल्ट सात माह से नहीं आया है।
इस तरह हो रही सिस्टम में देरी
राज्य सेवा परीक्षा 2020
इसकी प्री जुलाई 2021 में हुई, इसका रिजल्ट जनवरी 2022 में आया और फिर मेंस अप्रैल में हुई और इसका रिजल्ट नौ माह बाद फरवरी 2023 मे आया। अप्रैल-मई 2023 में इंटरव्य हुए और जून 2023 में अंतिम भर्ती रिजल्ट आया।… करीब दो साल में शेड्यूल पूरा हुआ।
राज्य सेवा परीक्षा 2021
इसकी प्री दिसंबर 2023 में हुई, रिजल्ट जनवरी 2024 में आया और मेंस जुलाई में होकर उसका रिजल्ट चार माह में नवंबर 2023 में जारी हुआ। इंटरव्य अप्रैल-मई 2024 में होकर जून 2024 मे अंतिम रिजल्ट आया। यह परीक्षा शेड्यूल करीब डेढ़ साल में पूरा हुआ, जो हाल के समय में सबसे तेज था।
राज्य सेवा परीक्षा 2022
इसकी प्री मार्च 2023 में हुई, रिजल्ट जुलाई में आया, मेंस जनवरी 2024 में हुई और इसका रिजल्ट करीब पांच माह में 7 जून 2024 को जारी हुआ। लेकिन इसके बाद अब इंटरव्यू नंवबर-दिसंबर में होंगे। रिजल्ट दिसंबर अंत या जनवरी में होगा। यानी शेड्यूल पूरा होने में करीब-करीब दो साल लग जाएंगे।
राज्य सेवा परीक्षा 2023
इसकी प्री दिसंबर 2023 में हुई और 18 जनवरी 2024 में ही रिजल्ट आया और फिर विरोध, आंदोलन के बीच सबसे कम समय देकर आयोग ने जिद में 11 मार्च से ही मेंस भी करा दी। प्री रिजल्ट के 55 दिन बाद ही मेंस हो गई लेकिन रिजल्ट देने में आयोग की ढिलाई है कि 7 माह में भी खत्म नहीं हो रही है, आज दिनांक ( 23 अक्टूबर ) तक इसका रिजल्ट जारी नहीं हुआ है। उधर इसका इंटरव्यू शेड्यूल मार्च-अप्रैल में हैं। यानी यह होता भी है तो रिजल्ट मई में आएगा यानी इसका शेड्यूल भी डेढ़ साल से अधिक समय में पूरा होगा।
पीएससी का क्या है पक्ष
पीएससी का एक ही तर्क रहता है कि शेड्यूल समय पर कराने की पूरी कोशिश करता है आयोग, लेकिन कोर्ट में केस की वजह से भी देरी होती है, वहीं 87-13 का मामला शासन स्तर का मामला है, को सुप्रीम कोर्ट में गया है। इनके लिए आयोग कुछ नहीं कर सकता है। यह नीतिगत मामले हैं। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के चलते वैल्यूशन में कुछ देरी हुई थी। रिजल्ट कानूनी बाध्यता के कारण होल्ड हो जाते हैं।
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