BREAKING : MPPSC राज्य सेवा प्री 2023 के दो सवाल गलत थे, MP हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, द सूत्र सौ फीसदी सही था

प्रेस की स्वतंत्रता वाले विलियम बैंटिंक के सवाल को हाईकोर्ट ने गलत माना और इसी तरह कबड्‌डी संघ के मुख्यालय के सवाल पर भी पीएससी के जवाब को गलत माना गया है।

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Pratibha ranaa
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अधिवक्ता अंशुल तिवारी और जबलपुर हाईकोर्ट

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संजय गुप्ता, INDORE .

इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस यानी IAS एक्जाम की तैयारी कराने वाले संस्थान दृष्टि IAS कोचिंग इंस्टीट्यूट के संस्थापक डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने हाल ही में कहा है कि MPPSC की परीक्षाएं लड्डू की तरह हैं... जिन्हें कोई भी उठाकर खा लेता है... और अब जो खबर हम आपको दिखाने वाले हैं... उसके बाद आप सोचेंगे कि शायद डॉ. दिव्यकीर्ति ने सच ही कहा था... दरअसल, मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग यानी MPPSC मेन्स-2023 को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है... इस फैसले से पहले द सूत्र लगातार जो संभावनाएं जाहिर कर रहा था और आयोग को चेता रहा था कि उसे अंतिम फैसला आने तक मेन्स परीक्षा नहीं करानी थी... वो सौ फीसदी सटीक साबित हुआ... इस मामले को लेकर हाईकोर्ट ने प्रारंभिक परीक्षा के दो सवालों को गलत माना है... इसके आधार पर हाईकोर्ट ने 30 जून को प्रस्तावित राज्य वन सेवा मेन्स परीक्षा-2023 की प्री की मेरिट लिस्ट फिर से बनाने के आदेश दिए हैं... यानि फॉरेस्ट सर्विस की प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट अब फिर से घोषित किया जाएगा... उम्मीदवारों के अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने द सूत्र को बताया कि हाईकोर्ट ने दो सवालों को कंसीडर कर लिया है और आयोग की ओर से मान्य जवाबों को गलत पाया है... कोर्ट ने इसका लाभ सभी उम्मीदवारों को देने की बात भी कही है... बाकी बातें विस्तृत लिखित ऑर्डर से साफ होंगी... अब MPPSC को डॉ. दिव्यकीर्ति ने लड्डू बताया है... उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिन दो सवालों को कोर्ट ने गलत माना है... MPPSC उन्हें अब तक सही मानता रहा है... 
पहला सवाल था
निम्नलिखित में से किस वर्ष में लॉर्ड विलियम बैंटिक द्वारा प्रेस की स्वतंत्रता प्रदान की गई ?
विकल्प थे
A . 1832 ई.
B . 1833 ई.
C . 1834 ई.
D . 1835 ई.
और इस सवाल का सही जवाब है D . 1835 ई. 

दूसरा सवाल था

एमैच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एकेएफआई) का मुख्यालय कहां पर स्थित है ?
विकल्प थे
A . भोपाल
B . ग्वालियर
C . जयपुर 
D . दिल्ली

और इस सवाल का सही जवाब है D . जयपुर 

इन दोनों सवालों को हाईकोर्ट ने गलत पाया है और इसके आधार पर अपने पूर्व आदेश को हटाकर साफ किया कि इन सवालों का फायदा सिर्फ हाईकोर्ट की शरण लेने वालों को ही नहीं, बल्कि सभी प्रभावित उम्मीदवारों को मिलेगा। यानि वो सभी उम्मीदवार जो इन दोनों सवालों की वजह से कटऑफ पर अटक गए थे, उन्हें भी कोर्ट के आदेश का फायदा मिलेगा... और इसी आधार पर कोर्ट ने कहा चूंकि वन सेवा परीक्षा अभी नहीं हुई है लिहाजा प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट संशोधित किया जाए और इसी आधार पर मेन्स परीक्षा कराई जाए... लेकिन दूसरी तरफ मामला यहां फंसेगा कि 2023 की राज्य सेवा मेन्स तो हो चुकी है और चाहे राज्य सेवा हो या वन सेवा... दोनों के लिए प्रारंभिक परीक्षा तो एक ही होती है... लिहाजा अगर वन सेवा परीक्षा के रिजल्ट में संशोधन होता है तो राज्य सेवा परीक्षा के रिजल्ट में भी संशोधन होना चाहिए... क्योंकि जब उम्मीदवार फॉर्म भरता है उसी समय उससे पूछा जाता है कि वो किस परीक्षा में शामिल होना चाहता है... अब ऐसे उम्मीदवार जिन्होंने परीक्षाओं को चुना होगा... वो अगर कटऑफ की सीमा पर होंगे तो वो भी क्वालिफाय कर जाएंगे... इसीलिए राज्य सेवा मेन्स परीक्षा पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं और MPPSC की चतुराई देखिए कि फिलहाल वो इसका कोई जिक्र ही नहीं कर रहा है... इधर, कोर्ट भी राज्य सेवा मेन्स परीक्षा को लेकर अलग आदेश तब तक नहीं दे सकता जब तक कोर्ट में कैवियट दाखिल न हो... यानी साफ है कि इन दोनों सवालों का वेटेज लेने के लिए सभी उम्मीदवार पात्र माने जाएंगे...

अब स्पेशल मेंस के लिए जा सकते हैं उम्मीदवार

अब ये जो कुछ भी हो रहा है वो हमें 2019 की याद दिलाता है... जब आयोग की ऐसी ही गफलत और मनमर्जी की वजह से पहले नॉर्मल परीक्षा करानी ही पड़ी और फिर जब उम्मीदवार आयोग के अड़ियल रवैये की वजह से कोर्ट पहुंचे तो कोर्ट ने स्पेशल मेन्स के आदेश दे दिए... और इसका सीधा खामियाजा उन हजारों उम्मीदवारों को भुगतना पड़ा... जिन्होंने पहले क्वालिफाय कर लिया था... इंटरव्यू तक पहुंच गए थे और बाद में डिसक्वालिफाय कर दिए गए... और कमोबेश वही सीन 2023 की परीक्षा का भी बनता नजर आ रहा है... अब जो इन सवालों के कारण कटऑफ पर अटक गए थे, वो इसी आधार पर साल 2019 की तरह स्पेशल मेन्स की मांग कर सकते हैं... लेकिन उसके लिए कोर्ट में कैवियट दाखिल करना होगा... 

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आयोग के अड़ियल रवैए को इस बात से भी समझा जा सकता है

अब आयोग के अड़ियल रवैए को इस बात से भी समझा जा सकता है कि करीब दो लाख उम्मीदवारों ने प्रारंभिक परीक्षा दी थी और पदों की संख्या थी सिर्फ 229 
प्रारंभिक परीक्षा क्लीयर कर 5589 उम्मदीवारों ने मेन्स के लिए क्वालिफाय किया
आयोग ने दिसंबर 2023 में प्री की परीक्षा कराई और जनवरी 2024 में रिजल्ट घोषित किया
फिर आयोग ने मेन्स के लिए 11 से 16 मार्च की तारीख दी
और इन्हीं तारीखों का उम्मीदवारों ने इंदौर स्थित आयोग के दफ्तर के सामने विरोध प्रदर्शन किया कि आखिर प्री और मेन्स के बीच इतना कम वक्त क्यों दिया गया
परीक्षा की तैयारी के लिए इतना कम वक्त मिलने से उम्मीदवार बेहद निराश थे और लगातार मानसिक पीड़ा झेल रहे थे
लेकिन MPPSC ने उम्मीदवारों की एक नहीं सुनी और अपनी जिद पर अड़े रहकर परीक्षा आयोजित करा दी
जबकि उसी समय हाईकोर्ट में इन्हीं दोनों प्रश्नों को लेकर केस चल रहा था
मामले को लेकर हाईकोर्ट ने मेन्स की पहली सुनवाई में कहा कि सिर्फ सवालों पर आपत्ति लगाने वाले और हाईकोर्ट आने वाले उम्मीदवारों को ही राहत दी जाएगी
इस आधार पर केवल ऐसे ही उम्मीदवारों को मेन्स परीक्षा में बैठने की सशर्त पात्रता मिल गई
कोर्ट ने MPPSC को फटकार भी लगाई थी कि आयोग सिर्फ अपनी चलाता है... उसे उम्मीदवारों की कोई परवाह नहीं है

द सूत्र ने लगातार कहा पीएससी को धीरज रखना चाहिए

द सूत्र लगातार उम्मीदवारों के हक में दमदारी से आवाज उठा रहा है... मेन्स परीक्षा को लेकर हुए बड़े आंदोलन के वक्त भी द सूत्र ने कहा था कि परीक्षा की तारीख बढ़नी चाहिए और यह भी कहा था कि जब हाईकोर्ट ने कुछ सवालों पर आपत्ति लेकर याचिकाकर्ताओं को मेन्स में बैठने की पात्रता दे दी है तो फिर सभी को फायदा मिलना चाहिए। लेकिन MPPSC ने सिर्फ अपनी ही चलाई और नियमों का हवाला देकर फौरी तौर पर हाईकोर्ट से राहत ले ली... जिसका परिणाम ये हुआ कि प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट उस समय रिवाइज्ड होने से रहा गया... लेकिन अब उसका खामियाजा वो तमाम उम्मीदवार भुगत रहे हैं, जिन्हें पहले तैयारी करने का वक्त नहीं मिला और हकदार होने के बावजूद वो मेन्स परीक्षा नहीं दे सके... अब आप ही बताइए कि एक ही परीक्षा एक ही रिजल्ट लेकिन वही परीक्षा देने वाले उम्मीदवार एक जैसे मार्क्स लेकर आ रहे हैं तो फिर वो इस परीक्षा में शामिल क्यों नहीं हो सकते... यानी MPPSC के अड़ियल रवैए और परीक्षाओं में गफलतों का दौर अभी थमा नहीं है... और न जानें ये दौर कब तक यूं ही चलता रहेगा... और न जानें कब तक प्रदेश के हजारों उम्मीदवार निराश, हताश और परेशान होते रहेंगे...

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अब स्पेशल मेंस के लिए जा सकते हैं उम्मीदवार

इसका सबसे बड़ा असर होगा कि अब जो इन सवालों के कारण कटऑफ पर अटक गए थे, वह इसी आधार पर साल 2019 की तरह स्पेशल मेंस की मांग कर सकते हैं। क्योंकि तकनीकी रूप से जबलपुर हाईकोर्ट के आदेश का इन्हें लाभ होगा और दो सवालों के कारण उनकें जो अंक बढ़ेंगे और जो कटऑफ के दायरे में आएगा उसका अधिकार बनता है कि वह पीएससी मेंस दे सके। लेकिन इसके लिए हाईकोर्ट ने अलग से आदेश नहीं दिया है यानि उम्मीदवारों को अपने अंक खुद ही एनालिस कर अलग से याचिका दायर करना होगी और स्पेशल मेंस की मांग करना होगी।

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