MPPSC राज्य सेवा परीक्षा 2025 केस: आयोग के वकील मांगते रहे राहत, हाईकोर्ट ने 9 अक्टूबर लगाई

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की राज्य सेवा परीक्षा 2025 के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई तो हुई, लेकिन समय कम होने की वजह से अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को तय कर दी गई।

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Sanjay Gupta
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मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) की राज्य सेवा परीक्षा 2025 (MPPSC 2025 ) के केस को लेकर लगी दोनों याचिकाओं पर सुनवाई मुश्किल से दो-तीन मिनट चली। लेकिन हाईकोर्ट चीफ जस्टिस की बेंच ने इस मामले में समय की कमी को देखते हुए अगली तारीख लगा दी।

पीएससी के अधिवक्ता ने की भरसक कोशिश

इस पूरे मामले में पीएससी के अधिवक्ता ने पूरजोर तरीके से बात रखी। इसमें बताया गया कि हजारों उम्मीदवार मेंस के लिए अटके हुए हैं। आपके अंतिम आदेश में ही शेड्यूल पेश करने के लिए गया था, हम शेड्यूल पेश कर रहे हैं, कृपया इसे मंजूर किया जाए। लेकिन बेंच ने समय की कमी होते हुए इसे 15 अक्टूबर के लिए लगाया। लेकिन अधिवक्ता ने करीब दो मिनट तक बेंच को अपने तर्कों से सहमत कराने की पूरी कोशिश की।

अधिवक्ता ने कहा कि साल 2025 खत्म होने को है यह भर्ती 2025 की है, फिर 2026 आ जाएगा। मेंस जून में होना थी लेकिन अभी तक नहीं हो सकी है। जिसने याचिका भी लगाई है उनके नंबर बहुत कम हैं और फेल हैं, लेकिन पूरा शेड्यूल रुका हुआ है। केवल हाईकोर्ट से अंतरिम राहत चाहिए कि मेंस शेड्यूल को मंजूर कर लिया जाए। लेकिन इन तर्कों के बाद कहा कि हमें दूसरे पक्ष को भी सुनना है, यह करते हैं कि इसे 15 की जगह 9 अक्टूबर को सुनवाई के लिए लगा देते हैं। इसके साथ ही सुनवाई खत्म हो गई।

उम्मीदवारों के लिए यह निराशाजनक

यह पूरा मामला उम्मीदवारों के लिए निराशाजनक है जो मेंस के इंतजार में हैं। नौ जून को यह मेंस होना थी लेकिन परीक्षा नियम 2015 को लेकर लगी याचिका ने पूरे मामले को उलझा दिया। हालांकि वह यह मामला है जिस पर सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले हैं और एक फैसला तो 9 सितंबर को ही आया है और इसमें साफ कहा है कि आरक्षित वर्ग की कोई छूट लेने पर उम्मीदवार को मेरिट के बाद भी अनारक्षित में शिफ्ट नहीं किया जा सकता है।

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परीक्षा नियम 2015 को लेकर ये लगी है याचिका

याचिकाकर्ताओं ने याचिका क्रमांक WP 9253/2025 और 11444/2025 द्वारा परीक्षा नियम 2015 को लेकर आपत्ति ली है और कहा है कि यह नियम संविधान के विरुद्ध है। इस नियम के अनुसार यदि किसी उम्मीदवार ने किसी स्तर पर आरक्षित वर्ग को मिलने वाली किसी भी छूट का लाभ लिया है तो उसे फिर अंतिम मेरिट तक अपनी कैटेगरी में ही रहना होगा और वह अंकों के आधार पर मेरिट से अनारक्षित कैटेगरी में नहीं आ सकते हैं।

21 जुलाई को हाईकोर्ट ने मांगा था शेड्यूल

इस मामले में 21 जुलाई को अंतिम सुनवाई हुई थी और चीफ जस्टिस बेंच ने मेंस कराने पर सहमति दी थी और साथ ही आयोग से राज्य सेवा परीक्षा 2025 की मेंस का शेड्यूल मांगा था। इसके बाद दो सप्ताह बाद की तारीख लगाई थी जो 5 अगस्त थी। लेकिन इसके बाद यह केस लिस्ट पर नहीं आ सका। अब यह लिस्ट हुआ है।

आयोग मेंस के लिए कब की थी तैयारी

आयोग ने पूर्व में इस परीक्षा को अक्टूबर माह में ही कराने की तैयारी की थी लेकिन एमपी हाईकोर्ट में केस नहीं लगने के चलते अब इसमें देरी होगी। फिर भी आयोग इसे जल्द से जल्द कराने की तैयारी कर रहा था और इसके लिए नवंबर माह में विंडो देखी जा रही थी। लेकिन अब फिर यह मामला अटक गया है।

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सुप्रीम कोर्ट से आ चुका फैसला

परीक्षा नियम 2015 में जिस मुद्दे को लेकर याचिका लगी है, यह मुद्दा कोई पहली बार नहीं उठाया गया है। इसके पहले ही सुप्रीम कोर्ट अपने विविध केस में इस संबंध में फैसला दे चुका है। और तो और सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर को ही त्रिपुरा हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ लगी याचिका में फिर दोहराया है और आदेश दिया है कि यदि आरक्षित कैटेगरी में कोई छूट ली है और भर्ती विज्ञापन में लिखा है कि छूट लेने पर उसे अनारक्षित में शिफ्ट नहीं करेंगे तो इसमें कोई राहत नहीं दी जाएगी और उन्हें संबंधित कैटेगरी में ही रहना होगा।

कानूनी जानकारों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बहुत साफ कर दिया है। इसलिए इस याचिका का अब कोई तुक नहीं बनता है। वैसे भी यह नियम साल 2000 से ही चल रहा है और केंद्र के कार्मिक मंत्रालय भी यूपीएससी (UPSC ) में यह नियम लागू करता है। इसी कारण से यूपीएससी टॉपर रह चुकीं टीना डाबी को मेरिट में टॉप के बाद भी उनकी आरक्षित सीट में ही रखा गया था और अनारक्षित में शिफ्ट नहीं किया गया था। क्योंकि उनके द्वारा प्री में आरक्षित कैटेगरी के कटऑफ अंक की छूट ली गई थी।

शिक्षक वर्ग टू के अंतरिम आदेश में भी यह आदेश

ईएसबी (एमपी कर्मचारी चयन मंडल) द्वारा हुई शिक्षक वर्ग टू के 10758 पदों का रिजल्ट भी होल्ड पर था इसमें भी विविध छूट के साथ कुछ उम्मीदवारों ने यह मामला उठाया था कि उन्हें मेरिट में आने के बाद भी अनारक्षित कैटेगरी में शिफ्ट नहीं किया गया है। इस पर 28 अगस्त को आदेश जारी करते हुए चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ ने ईएसबी को रिजल्ट जारी करने की अंतरिम राहत दे दी। साथ ही इसमें लिखा है कि-

प्रतिवादियों द्वारा दाखिल रिटर्न के अनुसार, याचिकाकर्ता ने आरक्षित वर्ग के लिए उपलब्ध छूट का लाभ पहले ही प्राप्त कर लिया है, इसलिए याचिकाकर्ता अनारक्षित सीट के लिए पात्र नहीं होगा।

राज्य सेवा परीक्षा 2025 याचिका में अभी तक क्या हुआ

25 मार्च
इस सुनवाई में तत्कालीन चीफ जस्टिस सुरेश कैत की बेंच द्वारा प्री के रिजल्ट घोषित होने पर रोक लगाई गई। लेकिन इसके पहले आयोग रिजल्ट जारी कर चुका था, यह बात हाईकोर्ट के सामने बाद में आई।

2 अप्रैल

इस सुनवाई में आयोग से प्री के रिजल्ट की डिटेल मांगी गई, कटऑफ क्या है और कितने उम्मीदवार आरक्षित से अनारक्षित में गए। साथ ही दो लाइन लिखी गई कि हाईकोर्ट की मंजूरी के बिना मेंस नहीं होगी।

15 अप्रैल

इस सुनवाई में आयोग ने पूरा डिटेल रिजल्ट प्री का बताया। इसमें था कि प्री में अनारक्षित कटऑफ 158, एससी का 142 अंक, एसटी का 128 अंक, ओबीसी का 154 (महिलाओं का 152) गया। 13 फीसदी प्रोवीजनल रिजल्ट में अनारक्षित कटऑफ 152 व ओबीसी का 150 अंक गया।

यह भी बताया कि मेरिट अंक के आधार पर अनारक्षित कैटेगरी में मेरिट से जो 1140 उम्मीदवार मेंस के लिए चुने गए। इसमें एससी के 42, एसटी के 5, ओबीसी के 381 व ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के 262 उम्मीदवारों ने यानि विविध कैटेगरी के कुल 690 अभ्यर्थियों ने जगह बनाई है।

21 जुलाई

करीब तीन माह बाद फिर सुनवाई हुई। इसमें आयोग ने मेंस कराने की मंजूरी मांगी, जिस पर बेंच ने कहा कि आपने प्री का रिजल्ट डिटेल बता दिया फिर मेंस पर रोक नहीं बची। इस पर आयोग ने बताया कि दो अप्रैल के आदेश में बिना हाईकोर्ट मंजूरी के मेंस कराने पर रोक है। इस पर बेंच ने कहा कि आप मेंस का शेड्यूल दीजिए, अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद करते हैं। इसके बाद 5 अगस्त तारीख लगी, लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी। फिर नई तारीख 4 सितंबर लगी लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी। इसे बाद केस 23 सितंबर को लिस्ट हुआ है। अब 9 अक्टूबर को सुनवाई होगी।

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