MPPSC की राज्य सेवा परीक्षा 2025 का हाईकोर्ट में जो केस, वह यूपीएससी टॉपर टीना डाबी से लिंक

मप्र लोक सेवा आयोग (MPPSC) की राज्य सेवा परीक्षा 2025 को लेकर हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई हैं, जो परीक्षा के नियमों की संवैधानिकता को चुनौती देती हैं।

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Sanjay Gupta
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मप्र लोक सेवा आयोग की राज्य सेवा परीक्षा 2025 को लेकर दो याचिकाएं 9253 और 11444/2025 लगी हैं। इसमें मप्र राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 के रूल 4 के विविध प्रावधान की संवैधानिकता को ही चुनौती दी गई है। इसी के चलते हाईकोर्ट जबलपुर ने पीएससी 2025 की मेंस पर स्टे किया है और इसी असमंजस के चलते पीएससी ने बाकी रिजल्ट भी होल्ड कर दिए जिसमें विविध कैटेगरी के पद हैं। लेकिन यह केस यूपीएससी की 2015 की टॉपर टीना डाबी से सीधे लिंक है। यदि उस केस को देखेंगे और अन्य केस में भी सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश किए हैं, इसमें इस वैधानिकता का जवाब मिल सकता है। वहीं रोके गए रिजल्ट को लेकर द सूत्र को एक बड़े अधिकारी ने भी अहम जानकारी दी है।

यह है परीक्षा सेवा नियम 2015 मप्र नियम

यह रूल कहता है कि यदि किसी उम्मीदवार ने आरक्षण संबंधी किसी तरह की छूट ली है (इसमें यात्रा व्यय लेना और परीक्षा शुल्क की छूट लेना शामिल नहीं) तो फिर उसे प्री, मेंस, इंटरव्यू के बाद की मेरिट बनने के दौरान अपने संबंधित आरक्षण वर्ग यानी एसटी, एससी, ओबीसी में ही रखा जाएगा और उसे अनारक्षित कैटेगरी में मेरिट अंकों के आधार पर शिफ्ट नहीं किया जाएगा। इस नियम को ही चैलेंज कर दिया गया, जिसमें 25 मार्च 2025 को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट चीफ जस्टिस की बैंच ने प्री के रिजल्ट घोषित करने पर रोक लगा दी, फिर 2 अप्रैल को कैटेगरी वाइज कटऑफ अंक मांगे और मेंस पर स्टे लगा दिया और अब 15 अप्रैल को कैटेगरी अंक आने के बाद इस नियम को लेकर जवाब मांगा है और 6 मई को सुनवाई होगी।

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परीक्षा नियम आज का नहीं साल 2000 से है

मप्र राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 आज से नहीं दरअसल नवंबर 2000 में तत्कालीन सीएम दिग्विजय सिंह की सरकार के समय यह नियम बना कि आरक्षित वर्ग को कई तरह की छूट दी जाती है (शुल्क व व्यय के अतिरिक्त उम्र की छूट, पास होने के कटऑफ की छूट आदि), ऐसे में यदि एक आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार उम्र या कटऑफ जैसी छूट भी लेता है (परीक्षा शुल्क व व्यय को छूट नहीं माना गया) तो फिर उसे मेरिट में अंकों के आधार पर अनारक्षित में नहीं जाना चाहिए। उसी वर्ग में रहना चाहिए। इसी नियम के आधार पर हमेशा भर्ती चली आ रही है।

टीना डाबी से और अन्य केस से कैसे हैं लिंक

  • टीना डाबी ने यूपीएससी 2015 में टॉप किया, लेकिन उन्हें इसके बाद भी एससी कैटेगरी की सीट मिली, अनारक्षित में नहीं शिफ्ट किया गया। इसका कारण है कि प्री 2015 के लिए अनारक्षित का कटऑफ 107 था और एससी के लिए 94, टीना डाबी को प्री में 96.66 फीसदी अंक मिले और वह एससी कैटेगरी के कटऑफ अंक छूट के साथ ही मेंस के लिए पास हुई। हालांकि वह मेंस में सबसे ज्यादा अंक हासिल कर टॉपर बनी, उनके मेंस में कुल 2025 अंक में से 1063 आए और वह टॉपर बनी। लेकिन एससी कैटेगरी के तहत प्री में कटऑफ छूट लेने के कारण वह अनारक्षित में शिफ्ट नहीं हुई और उन्हें अपना होम टाउन भी नहीं मिला था। वह राजस्थान कैडर की आईएएस हुई।

  • इसी तरह दीपी विरुद्ध भारत सरकार का भी केस है, उन्होंने भी ओबीसी से अनारक्षित में जाने की मांग की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि उन्होंने ओबीसी छूट का लाभ लिया है तो वह अनारक्षित में नहीं जा सकती।

  • जितेंद्र सिंह विरुद्ध भारत सरकार केस में भी यही बात उठी और साल 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में भी यही कहा कि यदि आरक्षित वर्ग की कोई छूट ली तो फिर अनारक्षित में शिफ्ट नहीं कर सकते हैं।

डीओपीटी ने भी बना रखा है नियम

केंद्र के डिपार्टमेंट आफ पर्सोनेल एंड ट्रेनिंग का भी यह नियम है कि एसटी, एससी, ओबीसी आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार यदि परीक्षा में किसी तरह की छूट कैटेगरी की लेते हैं, तो उन्हें अनारक्षित में शिफ्ट नहीं किया जाएगा। यही केंद्र का नियम मप्र सरकार ने भी लिया है।

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इस तरह की छूट मिलती है

केंद्र की छूट की बात करें तो अनारक्षित कैटेगरी में परीक्षा देने के अवसर कम हैं। वहीं कैटेगरी में कितने बार भी दे सकते हैं। इसी तरह प्री कटऑफ अंक, उम्रसीमा की छूट, योग्यता व अन्य छूट भी रहती है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है जब कोई छूट ली तो फिर उसी कैटेगरी में ही रहेंगे, क्योंकि इसी कैटेगरी में रहकर मेंस दी, इंटरव्यू दिया और अंत में सफलता पाई।

हाईकोर्ट जबलपुर में नियम 2015 खत्म करने की मांग

याचिका में परीक्षा नियम 2015 को ही चुनौती दी गई है और इसे खारिज करने की मांग उठी है। साथ ही नवंबर 2000 के गजट नोटिफिकेशन को भी खारिज करने की मांग इसमें की गई है। यही नहीं राज्य सेवा परीक्षा 2025 के लिए जारी नोटिफिकेशन जिसमें इस नियम 2015 का हवाला है उसे ही रद्द करने की मांग की गई है, यानी यह हुआ तो पूरी प्रक्रिया ही जीरो हो जाएगी।

इतने लोगों को आरक्षित से अनारक्षित में किया है

मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा जो हाईकोर्ट में कैटेगरी वाइज कटऑफ प्री 2025 का बताया है, इसमें साथ ही यह बताया कि अनारक्षित में जो 1140 कुल उम्मीदवार चुने गए हैं, इसमें मेरिट के आधार पर एससी के 42, एसटी के 5, ओबीसी के 381 और ईडब्ल्यूएस के 262 उम्मीदवार शामिल हैं। यानी अनारक्षित में 1140 उम्मीदवार में से 690 विविध आरक्षित कैटेगरी के हैं और जनरल कैटेगरी के केवल 450 उम्मीदवार ही हैं।

कैटेगरी वाइज कटऑफ यह रहा

यूआर- 158
एससी- 142
एसटी- 128.
ओबीसी मेल- 154
ओबीसी फीमेल- 152
13 फीसदी प्रोवीजनल में- यूआर के लिए 152 व ओबीसी का 150
(मूल 87 फीसदी रिजल्ट में प्री में 3866 और 13 फीसदी में 828 मेंस के लिए पास घोषित हुए हैं)

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इसी कारण रोके रिजल्ट- द सूत्र को अधिकारियों ने किया कन्फर्म

हाईकोर्ट में चल रहे इसी केस के कारण यह आयोग ने सारे रिजल्ट होल्ड कर दिए हैं, जिसमें खासकर विविध कैटेगर में पद हैं और जिसमें आरक्षित से अनारक्षित कैटेगरी में जाने का मुद्दा है। द सूत्र को उच्च स्तर पर अधिकारी ने यह कन्फर्म कर दिया है। उन्होंने यहां तक सलाह दी है कि उम्मीदवारों को हाईकोर्ट में जाकर यह बताना चाहिए कि उनके रिजल्ट भी रुक गए हैं।

इसलिए रोके गए रिजल्ट

असिस्टेंट प्रोफेसर, हैंडलूम, राज्यवन सेवा सहित अन्य परीक्षाओं के रिजल्ट इंटरव्यू के बाद भी दो-तीन महीने से रुके हुए हैं। यह रिजल्ट मार्च अंत में ही जारी होने थे, लेकिन तभी यह केस हाईकोर्ट में आ गया। अब सवाल है कि यह केस तो 2025 राज्य सेवा के लिए है, फिर इसका अन्य रिजल्ट से क्या लेना-देना। बात सही है लेकिन पूरे नियम को ही चुनौती दे दी गई है। उसकी संवैधानिकता ही संकट में आ चुकी है, क्योंकि इसमें मूल नोटिफिकेशन जो 7 नवंबर 2000 का है, उसे भी चुनौती दी गई है। यदि यह निरस्त होता है तो फिर इस आधार पर हर परीक्षा में खासकर जिनके रिजल्ट होल्ड हैं और आने की क्रम में हैं, उन पर सवाल हो सकते हैं। ऐसे में रिजल्ट हो गया और मेरिट सामने आ गई तो आयोग बाद में और मुश्किल में आ जाएगा। इसी बात को लेकर आयोग के अंदर गहन विचार चल रहा है और सभी ने फिलहाल हाथ ख़ड़े कर रखे हैं, इसलिए मामला आयोग के अंदर बुरी तरह अटका हुआ है, ना सरकार और ना ही आयोग के जिम्मेदार इस मामले में आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं।

फिर आयोग ने कुछ रिजल्ट तो जारी किए हैं

फिर सवाल आता है कि 25 मार्च के बाद की बात करें जब हाईकोर्ट ने इसमें पहला निर्देश जारी किया था इसके बाद आयोग ने असिस्टेंट प्रोफेसर सांख्यिकी, संगीत, पर्यावरण विज्ञान, विधि के साथ ही सहायक पंजीयक का भी रिजल्ट जारी किया है। वो कैसे आ गए।

जवाब- तो इसका जवाब कि इनमें पद ही गिनती के हैं और इसमें आरक्षित कैटेगरी से अनारक्षित में आने का कोई सवाल खड़ा नहीं हो रहा, इसके चलते

आयोग ने इसके रिजल्ट दे दिए, लेकिन बाकी में यह पेंच फंसा है जैसे

  • असिस्टेंट प्रोफेसर सांख्यिकी- रिजल्ट 7 अप्रैल को आया, इसमें केवल 5 पद थे जिसमें अनारक्षित के दो पद थे, इसमें कैटेगरी संबंधी कोई मामला नहीं बना, क्योंकि दो ही पद थे।
  • असिस्टेंट प्रोफेसर पर्यावरण विज्ञान- रिजल्ट 8 अप्रैल को आया, इसमें केवल एक ओबीसी पोस्ट
  • असिस्टेंट प्रोफेसर विधि- रिजल्ट 9 अप्रैल को आया, क्योंकि सभी 29 पद एसटी वर्ग से ही हैं
  • संहायक पंजीयक- रिजल्ट 7 अप्रैल को आया, क्योंकि केवल 1 पद ओबीसी का
  • असिस्टेंट प्रोफेसर संगीत- रिजल्ट 15 अप्रैल को आया, क्योंकि अनारक्षित में केवल दो पद।

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