MPPSC राज्य सेवा परीक्षा 2025 केस में शिक्षक वर्ग-2 के फैसले की दो लाइन खास, इसी से सुलझेगा मामला

मप्र राज्य सेवा परीक्षा 2025 पर हाईकोर्ट में 4 सितंबर को सुनवाई होगी। इसमें परीक्षा नियम 2015 पर विचार किया जाएगा। वहीं, शिक्षक वर्ग-2 के फैसले से उम्मीदें बढ़ी हैं।

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Sanjay Gupta
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मप्र लोक सेवा आयोग (MPPSC) की राज्य सेवा परीक्षा 2025 की मेंस को लेकर 4 सितंबर को संभावित सुनवाई हाईकोर्ट जबलपुर में होगी। इसमें मेंस का शेड्यूल आयोग द्वारा प्रस्तावित किया जाना है, जिस पर हाईकोर्ट की मुहर लगेगी। यह मामला परीक्षा नियम 2015 को लेकर लगी दो याचिकाओं से जुड़ा है। हालांकि, इस कठिन मामले का हल निकलने की उम्मीद बढ़ गई है। इसकी वजह है हाल ही में जबलपुर हाईकोर्ट चीफ जस्टिस की बेंच द्वारा दिए गए अंतरिम आदेश में लिखी गई दो लाइनें।

पहले बताते हैं परीक्षा नियम 2015 को लेकर क्या है याचिका

याचिकाकर्ताओं ने याचिका क्रमांक WP 9253/2025 और 11444/2025 के द्वारा परीक्षा नियम 2015 को लेकर आपत्ति जताई है और कहा है कि यह नियम संविधान के विरुद्ध है। इस नियम के अनुसार, यदि किसी उम्मीदवार ने किसी स्तर पर आरक्षित वर्ग को मिलने वाली किसी भी छूट का लाभ लिया है, तो उसे फिर अंतिम मेरिट तक अपनी कैटेगरी में ही रहना होगा और वह अंकों के आधार पर मेरिट से अनारक्षित कैटेगरी में नहीं आ सकता।

हालांकि, यह नियम साल 2000 से ही लागू है और केंद्र के कार्मिक मंत्रालय भी यूपीएससी में यह नियम लागू करता है। इसी कारण से यूपीएससी टॉपर रही टीना डाबी को मेरिट में टॉप के बाद भी उनकी आरक्षित सीट में ही रखा गया था और अनारक्षित में शिफ्ट नहीं किया गया था, क्योंकि उन्होंने प्री में आरक्षित कैटेगरी के कटऑफ अंक की छूट ली थी।

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शिक्षक वर्ग-2 के अंतरिम आदेश में यह दो लाइन खास

ईएसबी (कर्मचारी चयन मंडल) द्वारा हुई शिक्षक वर्ग-2 के 10758 पदों का रिजल्ट भी होल्ड पर था। इसमें भी विविध छूट के साथ कुछ उम्मीदवारों ने यह मामला उठाया था कि उन्हें मेरिट में आने के बाद भी अनारक्षित कैटेगरी में शिफ्ट नहीं किया गया है। इस पर 28 अगस्त को आदेश जारी करते हुए चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ ने ईएसबी को रिजल्ट जारी करने की अंतरिम राहत दे दी। साथ ही इसमें लिखा गया- प्रतिवादियों द्वारा दाखिल रिटर्न के अनुसार, याचिकाकर्ता ने आरक्षित वर्ग के लिए उपलब्ध छूट का लाभ पहले ही प्राप्त कर लिया है, इसलिए याचिकाकर्ता अनारक्षित सीट के लिए पात्र नहीं होगा।

इस तरह यह लाइन अहम

इस फैसले की यह दो लाइन बेहद खास हैं, क्योंकि परीक्षा नियम 2015 को लेकर राज्य सेवा परीक्षा 2025 संबंधी याचिकाओं में इसी बात को मुद्दा बनाया गया है। इसमें एक राहत की बात और है कि इसी बेंच को ही राज्य सेवा परीक्षा 2025 की याचिका पर भी सुनवाई करना है। ऐसे में जब एक मामले में लिखित आदेश में बेंच मान रही है कि आरक्षित वर्ग की छूट पहले ली जा चुकी है, तो फिर याचिकाकर्ता अनारक्षित सीट के लिए पात्र नहीं होगा, ऐसे में इस पर आयोग और मप्र शासन दोनों राहत की उम्मीद कर रहे हैं।

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25 मार्च- इस सुनवाई में तत्कालीन चीफ जस्टिस सुरेश कैत की बेंच ने प्री के रिजल्ट घोषित होने पर रोक लगा दी। लेकिन इसके पहले आयोग रिजल्ट जारी कर चुका था, यह बात हाईकोर्ट के सामने बाद में आई।

2 अप्रैल- इस सुनवाई में आयोग से प्री के रिजल्ट की डिटेल मांगी गई, कटऑफ क्या है और कितने उम्मीदवार आरक्षित से अनारक्षित में गए। साथ ही दो लाइन लिखी गई कि हाईकोर्ट की मंजूरी के बिना मेंस नहीं होगी।

15 अप्रैल- इस सुनवाई में आयोग ने पूरा डिटेल रिजल्ट प्री का बताया। इसमें था कि प्री में अनारक्षित कटऑफ 158, एससी का 142 अंक, एसटी का 128 अंक, ओबीसी का 154 (महिलाओं का 152) गया। 13 फीसदी प्रोवीजनल रिजल्ट में अनारक्षित कटऑफ 152 व ओबीसी का 150 अंक गया। यह भी बताया कि मेरिट अंक के आधार पर अनारक्षित कैटेगरी में मेरिट से जो 1140 उम्मीदवार मेंस के लिए चुने गए, उनमें एससी के 42, एसटी के 5, ओबीसी के 381 व ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के 262 उम्मीदवारों ने यानि विविध कैटेगरी के कुल 690 अभ्यर्थियों ने जगह बनाई है।

21 जुलाई- करीब तीन माह बाद फिर सुनवाई हुई। इसमें आयोग ने मेंस कराने की मंजूरी मांगी, जिस पर बेंच ने कहा कि आपने प्री का रिजल्ट डिटेल बता दिया फिर मेंस पर रोक नहीं बची। इस पर आयोग ने बताया कि 2 अप्रैल के आदेश में बिना हाईकोर्ट मंजूरी के मेंस कराने पर रोक है। इस पर बेंच ने कहा कि आप मेंस का शेड्यूल दीजिए, अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद करेंगे। इसके बाद 5 अगस्त तारीख लगी, लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी और अब नई तारीख 4 सितंबर शो हो रही है। इसी बीच 28 अगस्त को यह अहम अंतरिम आदेश आ गया।

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