ओबीसी वर्ग को सीधी भर्ती में नहीं दी छूट, HC से याचिकाकर्ता को मिली अंतरिम राहत

मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड की सीधी भर्ती में ओबीसी वर्ग को शैक्षणिक योग्यता में छूट नहीं देने पर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत दी है। कोर्ट ने कंपनी से जवाब मांगा और मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को तय की है।

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Neel Tiwari
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Photograph: (The Sootr)

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JABALPUR. मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड द्वारा 350 से अधिक पदों पर निकाली गई सीधी भर्ती में ओबीसी वर्ग को शैक्षणिक योग्यता में कोई भी छूट न देने के मामले ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने का अंतरिम आदेश जारी किया है और कंपनी से एक सप्ताह में शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा है।

विज्ञापन में ओबीसी को अनारक्षित वर्ग के बराबर रखा

मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड ने 24 जून 2025 को नियमित आधार पर विभिन्न पदों के लिए सीधी भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। इस भर्ती में कुल 350 से अधिक पद शामिल हैं, जिनमें सहायक अभियंता के 42 पद, विधि अधिकारी का 1 पद, कनिष्ठ अभियंता (इलेक्ट्रिकल) के 114 पद, कनिष्ठ अभियंता (सिविल) के 10 पद, लाइन परिचारक के 20 पद, उप केंद्र परिचारक के 158 पद और सर्वेयर परिचारक के 8 पद शामिल हैं।

विज्ञापन में एससी, एसटी और ईडब्ल्यूएस वर्ग के अभ्यर्थियों को शैक्षणिक योग्यता में 10% अंकों की छूट दी गई है, जबकि ओबीसी वर्ग को अनारक्षित वर्ग के बराबर न्यूनतम 65% अंक की अनिवार्यता रखी गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह सीधे-सीधे आरक्षण कानून का उल्लंघन है, क्योंकि नियमों में ओबीसी को भी छूट देने का प्रावधान है।

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👉 मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड की भर्तीः MPPTCL ने 350 से अधिक पदों पर सीधी भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था, जिसमें ओबीसी वर्ग को शैक्षणिक योग्यता में छूट नहीं दी गई, जबकि एससी, एसटी और ईडब्ल्यूएस को 10% की छूट मिली।

👉 हाईकोर्ट का अंतरिम आदेशः याचिकाकर्ता सौरभ सिंह लोधी की याचिका पर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने का अंतरिम आदेश दिया है और कंपनी से एक सप्ताह में शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा है।

👉 ओबीसी को छूट न देना आरक्षण कानून का उल्लंघनः याचिकाकर्ता का कहना है कि ओबीसी को शैक्षणिक योग्यता में छूट न देना आरक्षण कानून का उल्लंघन है। 1995 में सामान्य प्रशासन विभाग ने ओबीसी को एससी और एसटी के समान छूट देने का निर्देश दिया था।

👉 कंपनी की ओर से 2002 का राजपत्र पेशः कंपनी ने ओबीसी को छूट न देने का कारण बताते हुए 2002 का राजपत्र पेश किया, जिसमें केवल एससी और एसटी को छूट का उल्लेख था, लेकिन याचिकाकर्ता ने इसे गलत ठहराया।

👉 EWS को छूट पर भी सवालः याचिकाकर्ता ने यह सवाल भी उठाया कि कंपनी ने किस संवैधानिक प्रावधान के तहत ईडब्ल्यूएस वर्ग को 10% अंकों की छूट दी है। हाईकोर्ट ने इन बिंदुओं पर कंपनी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

हाईकोर्ट में दाखिल हुई याचिका

टीकमगढ़ निवासी सौरभ सिंह लोधी ने हाईकोर्ट में याचिका (Wp/31114/2025) दाखिल की। वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट के सामने पक्ष रखा और जस्टिस एम.एस. भट्टी की सिंगल बेंच ने प्रारंभिक सुनवाई में ही याचिकाकर्ता को भर्ती में शामिल करने का अंतरिम आदेश पारित कर दिया। सुनवाई के दौरान कंपनी ने ओबीसी को छूट न देने का कारण बताते हुए 28 अगस्त 2002 का राजपत्र पेश किया, जिसमें केवल एससी और एसटी को छूट का उल्लेख था।

अधिवक्ता ने बताया कंपनी का रवैया ‘ओबीसी विरोधी’

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने दलील दी कि 1995 में सामान्य प्रशासन विभाग ने अधिसूचना जारी कर ओबीसी को भी एससी, एसटी के समान छूट देने का निर्देश दिया था। कंपनी जिस राजपत्र का हवाला दे रही है, उसमें कहीं भी यह नहीं लिखा है कि ओबीसी को छूट नहीं दी जाएगी। अधिवक्ता ने कंपनी के आचरण को ‘ओबीसी विरोधी’ बताते हुए कहा कि विज्ञापन जारी करने वाला जिम्मेदार अधिकारी आरक्षण अधिनियम की धारा 6(2) के तहत आपराधिक कृत्य का दोषी है, जिसमें एक साल की सजा का प्रावधान है।

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EWS को छूट पर भी सवाल

याचिकाकर्ता की ओर से यह भी सवाल उठाया कि कंपनी ने किस संवैधानिक प्रावधान के तहत ईडब्ल्यूएस वर्ग को 10% अंकों की छूट दी है। हाईकोर्ट ने इन बिंदुओं पर कंपनी को शपथ पत्र के साथ जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त 2025 को होगी।

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