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कोर्ट के आदेश की अवमानना पर MPRTC के मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष सिंह और लेबर ऑफिसर बिंदु बहादुर सिंह के खिलाफ हाईकोर्ट ने 100 रुपए का जमानती वारंट जारी किया। यह 100 रुपए का जमानती वारंट अब कोर्ट में भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
एमपी हाईकोर्ट ने आदेश की अवहेलना करने वाले अधिकारियों पर सख्त कदम उठाया है। कोर्ट ने एमपीआरटीसी के प्रबंध निदेशक मनीष सिंह और श्रम एवं कार्मिक अधिकारी बिंदु बहादुर सिंह के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर दिया है।
यह कार्रवाई एक अवमानना याचिका के तहत हुई, जिसमें एक रिटायर्ड बस ड्राइवर ने कोर्ट के पुराने आदेश का पालन न करने की शिकायत की थी।
ड्राइवर ने लगाई याचिका
यह मामला कटनी जिले के बहोरीबंद तहसील के बदखेड़ा गांव के निवासी और एमपीआरटीसी के रिटायर्ड ड्राइवर राम प्रकाश सोनी से जुड़ा है। राम प्रकाश सोनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि उनकी सेवा समाप्ति का आदेश पहले ही कोर्ट द्वारा रद्द किया जा चुका था।
कोर्ट ने न सिर्फ उन्हें नौकरी में बहाल करने का आदेश दिया था, बल्कि रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले सभी वित्तीय लाभों का निपटारा 90 दिनों के भीतर करने का भी निर्देश दिया था।
कोर्ट के आदेश के बावजूद नहीं हुई कार्रवाई
याचिकाकर्ता का कहना है कि हाईकोर्ट के इस स्पष्ट आदेश के बावजूद एमपीआरटीसी के जिम्मेदार अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने कई बार लिखित और मौखिक रूप से अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन हर बार उन्हें टालमटोल का सामना करना पड़ा। यह स्थिति उनके लिए मानसिक और आर्थिक दोनों रूप से तकलीफ देने वाली रही।
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अवमानना पर कोर्ट की नाराजगी
आखिरकार राम प्रकाश सोनी ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की, जिसमें आरोप लगाया गया कि अधिकारियों की यह लापरवाही न केवल कोर्ट की अवमानना है, बल्कि एक रिटायर्ड कर्मचारी के अधिकारों का हनन भी है।
जस्टिस विनय सराफ की एकल पीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि नोटिस जारी होने के बाद भी दोनों अधिकारी अदालत में हाजिर नहीं हुए।
100 रुपए के जमानती वारंट जारी
अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए दोनों अधिकारियों के खिलाफ 100 रुपए के जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया। कोर्ट ने साफ किया कि सरकारी या निगम अधिकारी यदि अदालत के आदेश की अनदेखी करते हैं, तो उन्हें आसानी से माफ नहीं किया जाएगा।
कोर्ट के गलियारों में चर्चा का विषय बना 100 रुपए का वारंट
हाईकोर्ट के गलियारों में अधिवक्ताओं के बीच 100 रुपए के जमानती वारंट को लेकर भी चर्चाएं हो रही हैं। कुछ लोग इसकी इंदौर पुलिस द्वारा बदमाशों पर घोषित 1 रुपए के इनाम से तुलना कर रहे हैं। हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस तुलना को उचित नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि यह एक न्यायिक आदेश है। कानून के तहत जमानती वारंट चाहे किसी भी रकम का हो, उसका पालन करना और कोर्ट में हाजिर होना अनिवार्य होता है।
अगली सुनवाई में कोर्ट में हाजिर होंगे अधिकारी
राम प्रकाश सोनी की ओर से अधिवक्ता असीम त्रिवेदी, आनंद शुक्ला, पंकज तिवारी, विनीत टेहेनगुनिया और शुभम पाटकर ने पैरवी की। इस टीम ने अदालत के समक्ष स्पष्ट रूप से बताया कि आदेश का पालन न होना एक गंभीर अवमानना है और इससे न केवल याचिकाकर्ता, बल्कि अन्य कर्मचारियों के लिए भी गलत मिसाल कायम होगी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर 2025 को तय की गई है। उस दिन संबंधित अधिकारियों को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर जवाब देना होगा कि अब तक आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया।
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