MSME की स्टडी ने दिया CM डॉ. मोहन यादव का साथ, इस काम से 3 लाख को मिलेगा रोजगार

मध्य प्रदेश में सीएम डॉ. मोहन यादव ने तीन लाख नौकरियों का लक्ष्य रखा है, जो हाल ही में हुए ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से मिलने वाले निवेश से संभव हो सकता है।

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Sanjay Gupta
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MP News : मप्र में तीन लाख नौकरियों की बात सीएम डॉ. मोहन यादव कर रहे हैं। हाल ही में हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद निवेश आने से इसके रास्ते खुलने की बात कही है। अब सीएम के सपने को MSME निर्यात संवर्धन परिषद की स्टडी ने सपोर्ट कर दिया है। मप्र की इस स्टडी में कई अहम बातें निवेश को लेकर कही गई हैं।

इस तरह मिलेगा 3 लाख को रोजगार

स्टडी रिपोर्ट जारी करते हुए MSME EPC के अध्यक्ष डॉ. डी.एस. रावत ने कहा कि मप्र में कुल निवेश परियोजनाएं 6 लाख 71 हजार 726 करोड़ रुपए की हैं ये आंकड़े सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी (CMIE) द्वारा 4 मार्च 2025 को बताए गए हैं। अगर ये लंबित परियोजनाएं क्रियान्वित होती हैं, तो राज्य कम से कम तीन लाख प्रत्यक्ष और दो लाख अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित कर सकेगा, विकास को गति देगा और निर्यात को बढ़ाएगा।

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लेकिन स्टडी ने इसके लिए भी चेताया

साथ ही स्टडी रिपोर्ट में चेताया गया है कि अगर इसमें और देरी होती है तो लागत बढ़ने का भी खतरा है। इसलिए प्रत्येक लंबित परियोजना की जांच करने और कार्यान्वयन के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति के गठन का सुझाव दिया गया है।

एक साल में 1 लाख करोड़ का निवेश आया

स्टडी में है कि मध्य प्रदेश ने 2023-24 के दौरान सभी परियोजनाओं में 1 लाख 04 हजार 315 करोड़ रुपए का नया निवेश आकर्षित किया है और उक्त अवधि के दौरान 32,043 करोड़ रुपए की परियोजनाएं पूरी की हैं। "MP: निवेश, वृद्धि और विकास 2020-21 से 2023-24" पर हाल ही में संपन्न अध्ययन में भी यह बताया गया है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया

MSME निर्यात संवर्धन परिषद द्वारा किए गए अध्ययन से पता चलता है कि 2020-21 से 2023-34 के बीच 2 लाख 77 हजार 525 करोड़ रुपए की नई निवेश परियोजनाओं (सरकारी और निजी क्षेत्र) की घोषणा की गई और 97,095 करोड़ रुपए की परियोजनाएं पूरी हुईं।

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मप्र में इतनी रजिस्टर्ड MSME, यह समस्याएं

राज्य में 16.50 लाख से अधिक पंजीकृत MSME हैं, जिनका कुल निवेश 53,000 करोड़ रुपए से अधिक है और 86 लाख से अधिक व्यक्तियों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं। लेकिन उनमें से बड़ी संख्या में तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी, किफायती समय पर वित्त की अनुपलब्धता, गंभीर वैश्विक प्रतिस्पर्धा और नियामक तंत्र जैसे कारकों के कारण अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

इसलिए, डॉ. रावत ने किफायती वित्त, प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे, बाजारों तक पहुंच और उद्योग-विशिष्ट-क्लस्टर-दृष्टिकोण को अपनाकर MSME के लिए एक मजबूत और सहायक पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता पर बल दिया है।

MSME इसलिए बहुत जरूरी

स्टडी में है कि राज्य में MSME का विकास अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके आर्थिक महत्व से परे, वे समावेशी विकास, आजीविका का समर्थन, आय असमानताओं को कम करने और आर्थिक लचीलापन बढ़ाने में भूमिका निभा रहे हैं, जो कुशल और अकुशल लोगों के लिए सतत विकास और नौकरियों में योगदान दे रहे हैं।

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राज्य से इतना हुआ निर्यात

वित्त वर्ष 22-23 में 65,878 करोड़ रुपए के निर्यात की तुलना में 2023-24 में राज्य द्वारा कुल 65,254 करोड़ रुपये के निर्यात में MSME का योगदान बहुत महत्वपूर्ण रहा है। चूंकि मध्य प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है और राज्य के जीएसडीपी में 47% की सबसे बड़ी हिस्सेदारी के साथ अर्थव्यवस्था का आधार बना हुआ है, इसके बाद सेवा क्षेत्र 34% और विनिर्माण 19% है, जैविक खेती तेजी से विस्तार कर रही है। जैविक खेती में मध्य प्रदेश महाराष्ट्र के बाद दूसरे स्थान पर है। अध्ययन में राज्य में विभिन्न फसलों के उत्पादन में कृषि की अग्रणी भूमिका, रोजगार और आजीविका के प्रमुख स्रोत के संदर्भ में कृषि को समर्थन प्रदान करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।

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