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JABALPUR. नेशनल लीगल सर्विस डे पर राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। उन्होंने एक्स (X) पर पोस्ट करते हुए कहा कि NALSA और SALSA जैसी संस्थाएं न्याय प्रणाली में सराहनीय कार्य कर रही हैं। लेकिन, इनकी जन भागीदारी और सार्वजनिक पहुंच को और अधिक बढ़ाने की जरुरत है।
विवेक तन्खा ने लिखा
“#NALSA & #SALSA are working well, but need wider participation & public reach!! Must present as public bodies, than as an extended limb of our judicial delivery system!! Both bodies can do wonders to transform our ‘Justice Delivery System’.”
#NALSA & #SALSA are working well , but need wider participation & public reach !! Must present as public bodies , than as an extended limb of our judicial delivery system !! Both bodies can do wonders to transform our “ Justice Delivery System @LiveLawIndia@barandbench#NALSAhttps://t.co/MDKTouhZUr
— Vivek Tankha (@VTankha) November 9, 2025
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न्याय प्रणाली को जन-सरोकार से जोड़ने की जरूरत
इन संस्थाओं को केवल न्यायालय की सहायक इकाई के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। इन्हें जनसरोकार की सार्वजनिक संस्थाओं के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए। ऐसा करने से न्याय व्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ जनता को समय पर और सरल न्याय मिल सकेगा। NALSA और SALSA को समाज के हर वर्ग तक पहुंच बनाकर लीगल अवेयरनेस, लोक अदालतों और मुफ्त कानूनी सहायता योजनाओं का दायरा बढ़ाना चाहिए। ताकि कोई भी नागरिक कानूनी मदद से वंचित न रहे।
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क्या है NALSA और SALSA की भूमिका
NALSA (National Legal Services Authority) यानी राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की स्थापना 1987 में गरीब, वंचित और कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने और लोक अदालतों के माध्यम से त्वरित न्याय देने के उद्देश्य से की गई थी।
वहीं SALSA (State Legal Services Authority) यानी राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण राज्य स्तर पर NALSA की नीतियों को लागू करता है और जिला एवं तालुका स्तर पर कानूनी सहायता योजनाओं की निगरानी करता है।
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सुधार के लिए जरूरी कदम
इन संस्थाओं को केवल कानूनी ढांचे तक सीमित न रखकर, उन्हें एक पब्लिक फेस दिया जाना चाहिए। इसके तहत
- कानूनी सहायता कैंप और लिट्रेसी ड्राइव्स के माध्यम से जनजागरूकता बढ़ाई जाए।
- एनजीओ, विश्वविद्यालयों और विधि संस्थानों को जोड़कर एक व्यापक नेटवर्क बनाया जाए।
- स्पेशल लीगल सर्विस टीम्स तैयार की जाएं, जो लैंगिक, जातीय या साम्प्रदायिक मामलों में विशेषज्ञ सहायता दे सकें।
न्याय प्रणाली में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण संदेश
विवेक तन्खा की इस पोस्ट को न्याय प्रणाली में सुधार की दिशा में एक व्यावहारिक और दूरदर्शी दृष्टिकोण के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि NALSA और SALSA, यदि जनता के बीच सक्रिय सार्वजनिक संस्थाओं के रूप में कार्य करें, तो वे भारत की “जस्टिस डिलीवरी सिस्टम” को पूरी तरह रूपांतरित कर सकती हैं।
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