मध्य प्रदेश सरकार ने महिलाओं के लिए एक महत्वाकांक्षी पहल "नारी सशक्तिकरण मिशन (Nari Shashaktikaran Mission)" का ड्राफ्ट तैयार किया है। इसके तहत पूरे राज्य में 15 हजार 650 वन और टू बीएचके (1BHK and 2BHK) घर बनाने, हर ब्लॉक में 50 बेड वाले वर्किंग वूमन हॉस्टल, और डे-केयर सेंटर बनाने की योजना है।
हालांकि, इस योजना के लिए बजट का प्रबंधन सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। प्रारंभिक गणना के अनुसार, इस योजना को लागू करने में करीब सात हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा।
हर विकास खंड में 10 वन बीएचके और 40 टू बीएचके घर बनाए जाएंगे। एक वन बीएचके की लागत 20 लाख और टू बीएचके की 35 लाख रुपए होगी। पूरे प्रदेश में 15 हजार 650 घर बनाने के लिए करीब 5 हजार करोड़ रुपए की जरूरत होगी।
वर्किंग वूमन हॉस्टल:
हर ब्लॉक में 50 बेड वाले हॉस्टल बनाए जाएंगे। इनकी निर्माण लागत 6-7 करोड़ प्रति हॉस्टल आंकी गई है। इसके लिए लगभग 1 हजार 900 करोड़ रुपए का बजट चाहिए।
डे-केयर सेंटर:
हर विकासखंड मुख्यालय पर एक डे-केयर सेंटर स्थापित किया जाएगा। इसे बनाने और चलाने के लिए प्रति सेंटर सालाना 5.5 लाख रुपए का खर्च होगा।
योजना के लिए सरकार को सबसे बड़ी उम्मीद केंद्र सरकार से मिलने वाले "निर्भया फंड (Nirbhaya Fund)" से है। 2013 में शुरू किए गए इस फंड का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तीकरण के लिए योजनाएं बनाना था।
मध्य प्रदेश को निर्भया फंड से आवंटन:
2015-16 से 2019-20 के बीच 111.59 करोड़ रुपए मिले, लेकिन केवल 84.44 करोड़ रुपए खर्च हुए।
सरकार ने लाड़ली बहना योजना (Ladli Behna Yojana) के तहत महिलाओं को वित्तीय और डिजिटल साक्षरता के लिए शॉर्ट-टर्म सर्टिफिकेट (Short-Term Certificate) प्रोग्राम भी शामिल किया है।