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Photograph: (the sootr)
JABALPUR. नरसिंहपुर जिले के करेली थाना क्षेत्र में एक हत्याकांड सामने आया है। यह हत्या बदले की भावना से की गई थी। आरोपी रिटायर्ड थाना प्रभारी था। उसने कानून को अपने हाथ में ले लिया। आरोपी ने समधी से पुरानी दुश्मनी का बदला लिया। इसके लिए उसने एक निर्दोष व्यक्ति को मारा। उसकी लाश समधी के खेत में फेंकी। पुलिस ने जांच की तो मामला उलझा हुआ मिला। सभी हैरान थे कि एक पूर्व पुलिस अधिकारी ऐसा कैसे कर सकता है।
गांव खिरिया के खेत के पास मिला था शव
घटना की शुरुआत तब हुई जब करेली थाना क्षेत्र के गांव खिरिया में रहने वाले अमोल सिंह झारिया के खेत में ग्रामीणों ने एक अज्ञात शव पड़ा देखा। खेत के एक कोने में मकान के बाहर पड़ी लाश को देख पहले तो लोग समझ ही नहीं पाए कि क्या हुआ है, लेकिन जब शव के आसपास खून और संघर्ष के निशान दिखे, तो सबने तुरंत पुलिस को सूचना दी।
करेली थाना प्रभारी प्रियंका केवट मौके पर अपनी टीम के साथ पहुंचीं और उन्होंने शव को कब्जे में लेकर मर्ग क्रमांक दर्ज किया। चूंकि मृतक की पहचान नहीं हो पाई थी, इसलिए पुलिस ने पूरे क्षेत्र में शव की पहचान और हत्या की परिस्थितियों की जांच शुरू की। ग्रामीणों में इस घटना को लेकर डर और चर्चा का माहौल बन गया था कि आखिर किसने और क्यों इस व्यक्ति की हत्या की?
मृतक की पहचान ने खोला जांच का पहला दरवाजा
पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। रिपोर्ट आने पर यह स्पष्ट हुआ कि व्यक्ति की मौत प्राकृतिक नहीं बल्कि किसी हथियार से हमला कर बेरहमी से हत्या की गई है। इसी बीच पुलिस ने शव की पहचान के प्रयास शुरू किए। चेहरे की तस्वीर और कपड़ों के आधार पर आस-पास के गांवों में पहचान के लिए सूचना फैलाई गई।
आखिरकार शव की पहचान हुई नारायण काछी के रूप में, जो खमरिया क्षेत्र में रहता था और अक्सर रेलवे स्टेशन के पास इधर-उधर काम करके और वहीं सोकर गुज़ारा करता था। नारायण एक गरीब, सीधा-सादा मजदूर था, जिसके किसी से कोई निजी दुश्मनी होने की बात समझ से बाहर थी।
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शक की सुई बसंत वंशकार पर टिकी
हत्या की कोई सीधी वजह न मिलने के कारण पुलिस ने इसे एक साजिश के तौर पर देखने की योजना बनाई। नारायण के संपर्कों, हालिया झगड़ों और मोबाइल कॉल डिटेल की छानबीन शुरू की गई। इस दौरान पुलिस को एक नाम बार-बार सुनाई दिया और वह था बसंत वंशकार, जो किशनगंज का रहने वाला था और जिसे अंतिम बार नारायण के साथ स्टेशन के पास देखा गया था।
पुलिस ने उसकी गतिविधियों की निगरानी की और कई साक्ष्य इकट्ठा करने के बाद उसे पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। शुरू में बसंत मुकरता रहा, लेकिन जब पुलिस ने सबूत सामने रखे, तो उसने आखिरकार सच उगल ही दिया।
रिटायर्ड थाना प्रभारी शंकर लाल झारिया निकला मास्टरमाइंड
बसंत वंशकार ने पुलिस को जो बताया, वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था। उसने खुलासा किया कि नारायण की हत्या उसने अपने मन से नहीं की, बल्कि उसे इसके लिए उकसाया और उभारा गया था। बसंत ने बताया कि यह पूरा षड्यंत्र नरसिंहपुर निवासी रिटायर्ड थाना प्रभारी शंकर लाल झारिया ने रचा था।
शंकर लाल ने उसे पहले अपने समधी अमोल सिंह झारिया का खेत दिखाया और कहा कि वहां शव डालना है। फिर उसने बसंत से कहा कि अगर वह यह काम कर देगा, तो उसे 50 हजार नगद इनाम मिलेगा और साथ ही वह अपनी बेटी की शादी बसंत से करवाएगा। इस लालच में आकर बसंत ने हत्या की साजिश के लिए हामी भर दी। यह सिर्फ हत्या नहीं थी, बल्कि एक गहरी व्यक्तिगत रंजिश को खत्म करने के लिए रची गई अपराध की योजना थी।
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नारायण को बनाया साजिश का आसान शिकार
बसंत ने नारायण को एक साधारण आदमी मानते हुए उसे अपने शिकार के तौर पर चुना। वह जानता था कि नारायण अकेला और कमजोर है, और आसानी से किसी लालच में आ सकता है। उसने पहले स्टेशन पर उसे देखा और शराब पीने का बहाना बनाया। फिर उसे खिरिया गांव ले गया जहां दोनों ने नहर के पास बैठकर शराब पी।
जब नारायण नशे में पूरी तरह बेसुध हो गया, तब बसंत ने पहले से छिपाकर रखी लोहे की रॉड से उस पर ताबड़तोड़ वार किए और उसकी हत्या कर दी। इसके बाद उसने शव को अमोल सिंह झारिया के खेत में ले जाकर वहां के मकान के सामने पटक दिया और वहां से भाग निकला। साजिश का मकसद था कि लाश मिलने के बाद अमोल सिंह को आरोपी समझा जाए।
बेटे-बहू में हुई सुलह तो भड़का रिटायर्ड टीआई
जांच में यह भी सामने आया कि इस पूरे घटनाक्रम की जड़ एक घरेलू विवाद था, जो शंकर लाल झारिया को नागवार गुज़रा। उसका बेटा और बहू आपसी अनबन के बाद अलग हो गए थे, जिससे वह संतुष्ट था। लेकिन कुछ समय बाद दोनों के बीच सुलह हो गई और वे फिर साथ रहने लगे। इस बात से शंकर लाल झारिया इतना नाराज हुआ कि उसने बहू के पिता, यानी अपने समधी अमोल सिंह झारिया को ही दोषी मान लिया।
इसी दुश्मनी और तिलमिलाहट में उसने अपने समधी को सबक सिखाने के लिए इस साजिश को अंजाम दिया। लेकिन अपनी इस योजना में वह भूल गया कि निर्दोष नारायण की हत्या से सिर्फ एक जान नहीं जाएगी, बल्कि एक परिवार उजड़ जाएगा।
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एसपी मृगांखी डेका ने किया खुलासा, दोनों आरोपी भेजे गए जेल
जांच पूरी होने के बाद जिला पुलिस अधीक्षक मृगांखी डेका ने प्रेसवार्ता कर पूरे हत्याकांड की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह मामला बेहद पेचीदा था, लेकिन करेली थाना प्रभारी प्रियंका केवट और उनकी टीम ने सूझबूझ और तकनीकी सहायता से इसे सुलझा लिया।
उन्होंने बताया कि आरोपी शंकर लाल झारिया और बसंत वंशकार को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। यह हत्या सिर्फ एक इंसान की नहीं, बल्कि न्याय और मानवता के भरोसे की हत्या थी।
इन पुलिसकर्मियों की मेहनत से खुला बड़ा राज
इस जघन्य अपराध की परतें उधेड़ने में जिन पुलिसकर्मियों ने मेहनत की, उनकी भूमिका सराहनीय रही। करेली थाना प्रभारी प्रियंका केवट, उप निरीक्षक विजय ध्रुवे, आरक्षक रोहित पटेल, प्रधान आरक्षक अनुराग कौरव, राजेंद्र पटेल, सुदीप बागरी और राजेश बागरी ने संयुक्त रूप से इस पूरे केस की जांच को पूरी सच्चाई तक पहुंचाया। उनकी टीमवर्क और सजगता की वजह से न सिर्फ निर्दोष को इंसाफ मिला, बल्कि एक रिटायर्ड अफसर के पीछे छिपे अपराधी के चेहरे को भी समाज के सामने लाया है।
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अब भी कई सवाल बाकी, पुलिस तलाश रही आगे की कड़ियां
फिलहाल पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या इस पूरे षड्यंत्र में और कोई शामिल था? क्या बसंत वंशकार के संपर्क में और लोग थे जिन्हें शंकर लाल ने प्रभावित किया था? क्या शंकर लाल ने पहले भी किसी और को धमकाया था? इन तमाम सवालों के जवाब ढूंढ़ने में पुलिस की जांच जारी है।
यह मामला न केवल कानून की सख्ती का उदाहरण बना है, बल्कि समाज को यह सोचने पर भी मजबूर करता है कि जब वर्दीधारी ही पाला बदल ले, तो अपराध कितनी गहराई तक धंस सकता है।
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