आजीविका मिशन में चौथी बार जांच पर विवेक तन्खा ने उठाए सवाल

तीन जांच के बाद अब विभाग के मंत्री प्रहलाद पटेल ने यह लिखते हुए चौथी जांच के आदेश दिए हैं कि उनको (फर्जीवाड़े के आरोपी अफसर) भी सुना जाना चाहिए, क्योंकि यही नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत से महत्वपूर्ण है

Advertisment
author-image
Pratibha ranaa
एडिट
New Update
आजीविका मिशन में भ्रष्टाचार!
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ( National Rural Livelihood Mission ) में 9 साल पहले 2015 में संविदा नियुक्ति में फर्जीवाड़े हुए थे। फर्जीवाड़े की अभी तक कुल 3 बार जांच हो चुकी है। अब इसी मामले में चौथी जांच शुरू होने वाली है। इस मामले में राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने आपत्ति जताई है। 

विवेक तन्खा ने किया ट्वीट

एसआरएलएम में मंत्री के चौथी जांच के आदेश के बाद राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने एक्स पर ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा-

कब तक यह तमाशा चलता रहेगा। inquiry पे inquiry। रिपोर्ट पे रिपोर्ट... यह कवायद किसको बचाने के लिए कर रहे हैं। मोहन जी , अपराधियों को सरंक्षण देना भी अपराध है। कवर अप की कांस्पीरेसी के भागीदार मत बनिए। एक्शन लीजिए !! हमे विवश मत करिए। 

कौन करेगा चौथी जांच ?

आजीविका मिशन में मनमानी नियुक्तियों का यह खेल कैसे सामने आया, अब इसकी बात करते हैं। जब पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में बड़े स्तर पर नियुक्तियों की चर्चा हुई, तब शिकायतें शासन स्तर पर उछलीं। फिर इन नियुक्तियों की जांच की गई। पहली तीन जांच बड़े स्तर के अधिकारियों ने की है, लेकिन अब चौथी जांच पंचायत राज के आयुक्त मनोज पुष्प और मप्र राज्य रोजगार गारंटी परिषद के सीईओ एस. कृष्ण चैतन्य को सौंपी गई है।

बता दें, 2015 में एसआरएलएम भोपाल में तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने भर्ती की थी। इसमें राज्य स्तरीय नियुक्तियों को लेकर कई शिकायतें मिली थी। इसके बाद मामले की जांच की गई थी। 

पटेल ने दिए जांच के आदेश 

विभागीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने चौथी जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने लिखा (फर्जीवाड़े के आरोपी अफसर) भी सुना जाना चाहिए, क्योंकि यही नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत से जरूरी है।

खास बात यह है कि पहली जांच के बाद ठीक ऐसी ही लाइनें पूर्व पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया ने भी फर्जी नियुक्ति देने व पाने वालों के लिए लिखी थी, जिसके बाद जांच के घेरे में आ रहे अफसरों ने भी अपना पक्ष रखा था।

बता दें, 2015 आजीविका मिशन में नियुक्तियों से जुड़े कई फर्जीवाड़े सामने आए थे। यह घोटाला इसलिए बड़ा है, क्योंकि इसमें कई अधिकारी सीधे तौर पर शामिल हैं।  

आजीविका मिशन घोटाला ऐसे समझें... 

आजीविका मिशन में मिशनकर्मियों की नियम विरुद्ध नियुक्ति और इसमें किए गए भ्रष्टाचार के मामले में जिम्मेदार अफसरों पर शिकंजा कसने लगा है। परिवाद से दर्ज किए गए मामले में अब भोपाल कोर्ट ने EOW को आरोपी अफसर का जांच प्रतिवेदन कोर्ट को देने के निर्देश दिए हैं। 

बता दें कि इस हाई प्रोफाइल मामले में पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के अलावा अशोक शाह और ललित मोहन बेलवाल सहित कई अफसरों के नाम जुड़े हुए हैं। 

क्या है पूरा मामला ?

आजीविका मिशन में मिशनकर्मियों की नियम विरुद्ध नियुक्ति और इसमें किए गए भ्रष्टाचार की शिकायत EOW को की गई थी। मगर कोई कार्रवाई नहीं होने पर आवेदक आरके मिश्रा ने सीजेएम कोर्ट में परिवाद दायर कर दिया।

इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में की गई जांच और कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट तलब की थी। जैसे की कोर्ट का निर्देश मिला तो आनन- फानन EOW ने इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग ( GAD ) से अनुमति मांगी थी। फिलहाल EOW को इसकी अनुमति नहीं मिल सकी है। मामला शासन स्तर पर पेंडिंग है। 

इन अफसरों के खिलाफ जांच की मांग

  • पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस
  • अशोक शाह, महिला एवं बाल विकास विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव
  • ललित मोहन बेलवाल, आजीविका मिशन के तत्कालीन राज्य प्रबंधक 

पूरा मामला इस तरह समझें

मामला आजीविका मिशन के तहत 15 नए जिलों में मिशनकर्मियों की नियुक्ति से जुड़ा हुआ है। आरोप है कि इन नियुक्तियों में अफसरों ने खुलकर नियमों की अनदेखी की गई। साथ ही विभागीय मंत्री के आदेशों को भी नहीं माना।

शिकायत में कहा गया है कि तत्कालीन राज्य स्तरीय परियोजना प्रबंधक ललित मोहन बेलवाल ने 8 मार्च 2017 को प्रशासकीय स्वीकृति के लिए फाइल तत्कालीन अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग इकबाल सिंह बैंस को भेजी थी। इसमें रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करने की बात कही गई।

एक अन्य विभागीय अधिकारी ने इस मामले में चयन प्रक्रिया के लिए पांच सदस्यीय समिति बनाने की टीप लिखी, जिसे बैंस ने नकार दिया। साथ ही इस फाइल को विभागीय मंत्री के पास भेजा ही नहीं गया। मंत्री ने भर्ती प्रक्रिया को प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड से करवाने को कहा, तो मंत्री के उस निर्देश को भी दरकिनार कर दिया
इस तरह मामला दबाने की कोशिश

मामले का खुलासा होने पर जांच का जिम्मा आईएएस नेहा मारव्या को सौंपा गया था। उन्होंने 8 जून 2022 को रिपोर्ट दी, जिसमें नियुक्तियों में गड़बड़ियों को स्वीकारा गया। इसके बावजूद प्रकरण दर्ज नहीं कराया गया।

दो सीनियर आईएएस अशोक शाह ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में ललित मोहन बेलवाल से इस्तीफा दिलवाकर मामला दबाने की कोशिश की गई।

कोर्ट ने ये कहा था

प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट तरुणेंद्र सिंह ने अब EOW को निर्देश दिए थे कि इस मामले में आजीविका मिशन के तत्कालीन राज्य प्रबंधक ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ जांच प्रतिवेदन को 7 जुलाई को होने वाली सुनवाई से पहले कोर्ट को प्रस्तुत करें।

बता दें कि इस मामले में पहले भी कोर्ट का निर्देश मिलने के बाद EOW ने सामान्य प्रशासन विभाग ( GAD ) से अनुमति मांगी थी। फिलहाल EOW को इसकी अनुमति नहीं मिल सकी है। मामला शासन स्तर पर पेंडिंग है। 

समझें क्या होता है परिवाद

कई बार फरियादी की शिकायत के बाद भी पुलिस आरोपी व्यक्ति या मामले में FIR दर्ज नहीं करती है। ऐसे में फरियादी कोर्ट के माध्यम से मामला दर्ज करवा सकता है। इसे परिवाद या इस्तिगासा भी कहा जाता है।

 ऐसे मामलों में कोर्ट देखता है कि शिकायत में कितना दम है या फरियादी के पास अपनी बात साबित करने के लिए क्या सबूत है। इसके बाद कोर्ट को लगता है तो वह पुलिस को FIR दर्ज करने का निर्देश देता है।

ये खबर भी पढ़िए...नियमों की धज्जियां उड़ाकर कीं गलत नियुक्तियां, EOW ने पूर्व सीएस इकबाल सिंह बैंस समेत 3 पूर्व IAS के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी

ये खबर भी पढ़िए...कसेगा पूर्व मुख्य सचिव सहित कई अफसरों पर शिकंजा, कोर्ट ने EOW से 15 दिन में मांगी जांच रिपोर्ट

ये खबर भी पढ़िए...आजीविका मिशन में नियुक्ति घोटाले को दबाए बैठे अफसर, कोर्ट ने EOW से तलब की स्टेटस रिपोर्ट

thesootr links

 

  द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें 

 

 

प्रहलाद पटेल राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन National Rural Livelihood Mission NRLM News