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मध्य प्रदेश के दो शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 ( National Teachers Award ) से सम्मानित किया जाएगा है। यह घोषणा केंद्र सरकार के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (MP Education Department) के जरिए की गई है। दोनों शिक्षक आज (5 सितंबर) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के जरिए नई दिल्ली में सम्मानित किए जाएंगे। इन शिक्षकों को यह पुरस्कार शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान, नवाचार और कठिन कार्य को देखते हुए दिया जाएगा। जानें कौन है ये दोनों शिक्षक...
दमोह और आगर-मालवा के शिक्षक होंगे सम्मानित
5 सितंबर को सम्मानित किए जानें वाले शिक्षकों में दमोह जिले की प्राथमिक शिक्षक शीला पटेल और आगर-मालवा जिले के माध्यमिक शिक्षक भेरूलाल ओसारा शामिल है। राज्य के सीएम मोहन यादव (Cm dr Mohan Yadav) ने इन दोनों शिक्षकों को इस शानदार सम्मान के लिए बधाई दी और उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं दीं। वहीं, स्कूल शिक्षा मंत्री उदयप्रताप सिंह ने भी चयनित शिक्षकों को शुभकामनाएं दी और कहा कि इन शिक्षकों ने अपने उत्कृष्ट कार्यों से मध्यप्रदेश का नाम रोशन किया है, जिससे प्रदेश को गर्व महसूस हो रहा है।
प्रदेश के दो शिक्षकों श्रीमती शीला पटेल एवं श्री भेरूलाल ओसारा को मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार
— School Education Department, MP (@schooledump) August 25, 2025
5 सितंबर को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा किया जाएगा सम्मानित @rashtrapatibhvn@DrMohanYadav51@CMMadhyaPradesh@JansamparkMP@udaypratapmp#nationalteachersawardpic.twitter.com/WpipKcnacC
गांव में शिक्षा की दीप जलाने वाली शिक्षक हैं शीला
दमोह जिले के टपरिया गांव में स्थित शासकीय प्राथमिक स्कूल की शिक्षक शीला पटेल (42) ने शिक्षा के क्षेत्र में अहम कार्य किया है। उन्होंने 15 साल पहले जब इस स्कूल में पढ़ाना शुरू किया, तो स्कूल की स्थिति बहुत खराब थी। विद्यार्थियों की उपस्थिति कम थी और शिक्षा का स्तर भी बहुत नीचे था। शीला ने न केवल बच्चों की शिक्षा में सुधार किया, बल्कि एक नई दिशा भी दिखाई।
शिक्षा का अपनाया नया तरीका
शीला ने अपनी शिक्षण विधि में कई बदलाव किए। उन्होंने बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाई कराने का तरीका अपनाया। इससे गणित और विज्ञान जैसे कठिन विषय भी सरल और मजेदार बन गए। इसके अलावा, उन्होंने स्कूल में एक छोटा सा पुस्तकालय भी स्थापित किया। जहां बच्चों को पाठ्यपुस्तकों के साथ-साथ प्रेरक कहानियां और पर्यावरण से जुड़ी किताबें भी मिलती हैं। उनके इस प्रयास के कारण स्कूल की ड्रॉपआउट दर 30% से घटकर 5% तक आ गई।
स्थानीय निवासी रमेश साहू का कहना है कि शीला मैम ने हमारे बच्चों को नई दिशा दी। अब हमारे बच्चे न केवल पढ़ाई में आगे हैं, बल्कि उनमें आत्मविश्वास भी बढ़ा है।
MP के दो शिक्षकों को मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार👉 मध्य प्रदेश के दो शिक्षकों, शीला पटेल (दमोह) और भेरूलाल ओसारा (आगर-मालवा), को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया जाएगा। 👉 दोनों शिक्षकों को शिक्षा में उनके योगदान, नवाचार और कठिन कार्य के लिए यह पुरस्कार दिया जाएगा। 👉 शीला पटेल ने बच्चों की शिक्षा में सुधार के लिए खेल-खेल में पढ़ाई की विधि अपनाई और स्कूल की ड्रॉपआउट दर को 30% से घटाकर 5% किया। 👉 भेरूलाल ओसारा ने "स्मार्ट लर्निंग प्रोजेक्ट" के तहत डिजिटल नवाचार का उपयोग किया और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक हरित क्लब स्थापित किया। 👉 चयन प्रक्रिया में 145 शिक्षकों ने आवेदन किया था, जिनमें से 6 शिक्षकों का राज्य स्तर पर चयन हुआ और अंतिम रूप से शीला पटेल और भेरूलाल ओसारा का चयन किया गया। |
भेरूलाल ओसारा ने शिक्षा में डिजिटल नवाचार को किया शामिल
आगर-मालवा जिले के खेरिया सुसनेर स्थित शासकीय ईपीईएस माध्यमिक स्कूल के शिक्षक भेरूलाल ओसारा (48) ने शिक्षा में डिजिटल नवाचार को शामिल किया। उन्होंने "स्मार्ट लर्निंग प्रोजेक्ट" की शुरुआत की, जिसमें पुराने स्मार्टफोन्स और सस्ते प्रोजेक्टर्स का उपयोग कर बच्चों को डिजिटल बोर्ड पर पढ़ाया गया। इससे बच्चों की रुचि बढ़ी और विषयों को समझना भी आसान हुआ।
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पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पहल
भेरूलाल ने स्कूल में एक हरित क्लब भी स्थापित की। इसके तहत बच्चों को पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण और पौधरोपण जैसे कार्यों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। उनके इस प्रयास से स्कूल के आसपास 500 से अधिक पौधे लगाए गए और स्कूल को हरित स्कूल का दर्जा भी मिला।
भेरूलाल कहते हैं कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। हमें बच्चों को जीवन के लिए तैयार करना है, ताकि वे अपनी दुनिया को बदल सकें।
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 का चयन प्रक्रिया
मध्य प्रदेश के 55 जिलों में से 145 शिक्षकों ने इस पुरस्कार के लिए आवेदन किया था। इसमें से 6 शिक्षकों को राज्य स्तर पर चुना गया था। इनमें से शीला पटेल और भेरूलाल ओसारा का चयन अंतिम रूप से हुआ। चयन प्रक्रिया में नवाचार, स्कूल में उपस्थिति बढ़ाना, ड्रॉपआउट दर घटाना, और सामुदायिक योगदान जैसे मानकों को प्रमुखता दी गई।
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