नीमच के बंशी गुर्जर फर्जी एनकाउंटर में एडिशनल एसपी पाटीदार, एसीपी कुरैशी को मिली राहत

नीमच में 8 फरवरी 2009 को हुए फर्जी बंशी गुर्जर एनकाउंटर कांड में पुलिस अधिकारियों को राहत मिली है। सीबीआई जांच में यह सामने आया कि बंशी गुर्जर को मारा नहीं गया था, बल्कि उसे... नीचे पढ़ें पूरी खबर

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Sanjay Gupta
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मप्र के नीमच में 8 फरवरी 2009 को हुए फर्जी बंशी गुर्जर एनकाउंटर कांड में आखिरकार पुलिस अधिकारियों को मेरिट पर राहत मिल गई है। इस मामले में तीन पुलिस अधिकारी गिरफ्तार हैं, उन्हें फिलहाल राहत नहीं मिली है। लेकिन बड़वानी एडिशनल एसपी अनिल पाटीदार और भोपाल एसीपी मुख्तार रशीद कुरैशी की अग्रिम जमानत याचिका मंजूर हो गई है। इन दोनों को 25-25 हजार रुपए के मुचलके पर हाईकोर्ट इंदौर ने अग्रिम जमानत दी है।

नीरज प्रधान को भी जमानत

वहीं इस केस में पाटीदार और कुरैशी की अग्रिम जमानत के आधार पर हाईकोर्ट ने एक अप्रैल से जेल में बंद नीरज प्रधान की भी जमानत मंजूर कर ली है।

हाईकोर्ट ने मेरिट पर यह कहा

हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में सामने आया है कि जिन्होंने भी पहले बंशी गुर्जर की बॉडी को पहचाना था, वह बाद में पलट गए और सीबीआई के सामने बयान में कहा कि उन्होंने दबाव में बंशी गुर्जर का नाम बोला था, जबकि एनकाउंटर में मारा गया व्यक्ति दूसरा था। इसमें टीआई परशुराम परिहार जो उस समय थाना कुकरेशवर में पदस्थ थे, उनकी भूमिका रही है। आश्चर्यजनक रूप से उन्हें लेकर सीबीआई की डायरी में कुछ नहीं है। किसी ने भी अनिल पाटीदार का नाम नहीं लिया है, इसलिए अग्रिम जमानत मंजूर की जाती है। इसी तरह मुख्तार कुरैशी जो उस समय अन्य थाने में पदस्थ थे और ड्यूटी आदेश पर गए थे, उनकी भी ऐसी भूमिका नहीं मिली है, जिससे कस्टडी में रखकर पूछताछ की जरूरत हो। इसलिए दोनों की अग्रिम जमानत मंजूर की जाती है।

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अभी जेल में यह तीन अधिकारी बंद हैं

सीबीआई इस मामले में डीएसपी ग्लैडविन एडवर्ड कर, दुर्गाशंकर तिवारी और नीरज प्रधान को गिरफ्तार कर चुकी है और ये जेल में हैं। वहीं कुल 18 पुलिस अधिकारी, कर्मचारी आरोपी हैं। अनिल पाटीदार जो अभी बड़वानी एडिशनल एसपी हैं और उस समय मनासा एसडीओ थे, उन्हें जमानत मिल गई। विवेक गुप्ता जो पीथमपुर सीएसपी थे और अभी हटाए गए हैं, उस समय मनासा टीआई थे, इन्हें राहत नहीं मिली है। मुख्तार कुरैशी एसीपी भोपाल जो उस समय टीआई बघाना थे, उन्हें जमानत मिल गई है।

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बाकी यह पुलिसवाले भी बने हैं आरोपी

बाकी आरोपियों में- परशुराम सिंह परमार, मंगल सिंह पपोला, बेनीराम, अनोखेलाल राठौर, श्यामपाल सिंह भदौरिया, शेख अनवर, भगवानसिंह, कमलेंद्र सिंह, मुनब्बरूद्दीन, सैय्यद उवैश अली, चतर्भुज गुर्जर पर भी सीबीआई ने आईपीसी धारा 307, 353, 332, 302, 193, 201 व अन्य धाराओं में केस किया है।

यह है पूरा बंशी गुर्जर फर्जी एनकाउंटर कांड

नीमच में यह कांड हुआ था। जिसे एनकाउंटर में मृत बताया वह 2014 में बंशी जीवित मिला। इसके बाद सीबीआई ने केस दर्ज कर जांच की। अप्रैल 2025 में जाकर गिरफ्तारी शुरू की। सीबीआई ने इस मामले में रिपोर्ट बनाई है कि इस एनकाउंटर के लिए पुलिस और नामी गुंडे बंशी गुर्जर के बीच 35 लाख रुपए की डील हुई थी। इसके तहत बंशी को मृत बताया जाना था।

इसी डील के तहत पुलिस ने रामपुरा थाने में बंद एक व्यक्ति की हत्या की। सीबीआई ने उस दौरान थाने में काम करने वाले एक व्यक्ति के बयान से बताया कि थाने में बंद एक पागल जैसे दिखने वाले व्यक्ति को प्रेस किए दूसरे कपड़े पहनाए गए। सुबह उसे बंशी बताया गया, लेकिन जब उसका चेहरा और कपड़े देखे तो मैं पहचान गया कि यह तो वही है जो रात में थाने में था और अब इसे बंशी बताया जा रहा है और यह मर चुका है, इसके सिर पर चोट लगी है।

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बंशी ने बताया उदयपुर से लाया लाश

उधर बंशी गुर्जर ने सीबीआई में जो बयान दिए हैं, इसमें इस एनकाउंटर को लेकर कहानी यह है कि उसने खुद ही उदयपुर राजस्थान से एक लाश का इंतजाम किया और उसे मृत बताया। इसके लिए पूरी डील की गई थी। उसने भी टीआई परशुराम परिहार का नाम लिया और कहा था कि वह सब संभाल लेगा।

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आरोपी पुलिस अधिकारियों ने ऐसे एनकाउंटर बताया

इस एनकाउंटर मामले में पुलिस ने जो रामपुरा थाने नीमच में एफआईआर लिखवाई, जो तत्कालीन थाना प्रभारी ग्लैडविन ने ही लिखवाई थी। इसके अनुसार बात करें तो- ग्लैडविन रामपुरा टीआई थे, मनासा एसडीओपी अनिल पाटीदार थे। सात फरवरी 2009 को एसपी वेदप्रकाश शर्मा ने जानकारी दी कि बंशी गुर्जर गांधीसागर की ओर से छिपा हुआ है और रात को अपने घर पर पैशन मोटरबाइक से नलवा जा रहा है। इसके पास हथियार रहते हैं। थाना प्रभारी कुकरेशवर पीएस परमार और टीआई बघाना मुख्त्यार कुरैशी व मनासा टीआई विवेक गुप्ता को भी खबर दी गई।

गुजर्र को पकड़ने के लिए दो दल बने एक में टीआई परमार, कुरैशी के साथ प्रधान आरक्षक श्याम पाल सिंह, वेणीराम, आर अनोखी लाल, आर अनवर, मंगल सिंह थे। दूसरे दल में ग्लैडविन, विवेक गुप्ता, अनिल पाटीदार, भगवान सिंह, नीरज प्रधान, फतेह सिंह दुर्गाशंकर तिवारी, आर मनुरव्दीन, कमलेंद्र थे। एक दल बाइक की जांच कर रहा था तभी पहले दल के लोगों की आवाज आई गुर्जर सरेंडर कर दो, उनकी बात सुनकर दूसरे दल वालों ने बाइक वाले को देखा और आवाज लगाई सरेंडर कर दो, तभी उसने दो फायर किए एक ग्लैडविन की बाजू पर और दूसरी गुप्ता के रगड़ करते हुए लगी। ग्लैडविन और गुप्ता ने गोली चलाई, वहीं मनासा एसडीओ पाटीदार ने भी गोली चलाई, वह गिर गया। उसके पास डायरी व अन्य कागज थे, इसमें बंशी गुर्जर नाम लिखा था, वह घायल था, उसे रामपुरा अस्पताल ले गए, वहां मौत हुई।

अब कैसे पता चला गुर्जर जिंदा

गुर्जर का एक साथी घनश्याम कुछ दिन बाद सड़क एक्सीडेंट में मारा गया। इसका भी केस हुआ। लेकिन एक मुखबिर की सूचना पर पुलिस को पता चला कि घनश्याम तो जिंदा है और उज्जैन जेल में है। इस पर उससे पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि यह गुर्जर ने ही उसे बताया था कि मरने की नौटंकी करो, सारे केस खत्म हो जाएंगे। घनश्याम के पास मोबाइल में एक वीडियो मिला जिसमें एक कार्यक्रम में बंशी नाचते हुए दिखा। इस पर पुलिस चौंक गई। उसका पता निकाला और आईजी उज्जैन उपेंद्र जैन ने टीम बनाकर बंशी गुर्जर को जिंदा पकड़ लिया।

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