New transfer policy of mp : डॉक्टर मोहन यादव की सरकार एक्शन मोड में आ गई है। MP में बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की तैयारी है। मंत्रालय से लेकर ग्राउंड तक सभी जगह बदलाव होना तय है। आधे से ज्यादा जिलों के कलेक्टर और एसपी बदले जाने की तैयारियां हैं।
इसी बीच प्रदेश की तबादला नीति ( New transfer policy ) की सुगबुगाहट भी शुरू हो गई है। चर्चा है कि विधानसभा के मानसून सत्र के बाद मध्य प्रदेश की नई तबादला नीति जारी कर दी जाएगी।
मंत्रियों को फिर मिलेंगे अधिकार
मध्य प्रदेश की नई तबादला नीति में एक बार फिर जिले के प्रभारी मंत्रियों को ताकतवर बनाने की तैयारी की जा रही है। अब पहले की तरह ही प्रभारी मंत्री को जिले के अंदर तबादले करने के अधिकार होंगे।
किस जिले में कौन प्रभारी मंत्री होगा, इसकी सूची भी मानसून सत्र के बाद सार्वजनिक हो जाएगी। सूत्रों का कहना है कि तबादला नीति का प्रस्ताव GAD ने तैयार कर लिया है। सीएमओ के निर्देश मिलते ही कैबिनेट में लाया जाएगा। बता दें कि तबादला नीति लागू होने से पहले जरूरी तबादले सीएमओ के अनुमोदन से होंगे।
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मंत्रालय में भी बदलाव होंगे
जिलों के साथ ही मंत्रालय में भी अपर सचिव, प्रमुख सचिव और विभाग अध्यक्ष के पद पर लंबे समय से जमे अफसरों को बदला जाएगा। मंत्रालय और विभागाध्यक्ष कार्यालयों में दो और तीन साल से एक ही स्थान पर काबिज कुछ अफसर के विभागों में परिवर्तन किया जाएगा।
कुछ मंत्रियों की अपने विभागों के ACS, PS और सचिवों से पटरी नहीं बैठ रही है। बता दें कि जिलों में अभी तक 2014 बैच तक के IAS कलेक्टर बन चुके हैं। हालांकि अभी भी 2011, 2012, 2013 बैच के कुछ आईएएस को कलेक्टर बनाने का मौका नहीं मिला। इसी तरह प्रमोटी अफसर भी कलेक्टर बनने की राह देख रहे हैं।
सुनी जाएगी सासंद, मंत्री और विधायकों की
मैदानी पोस्टिंग में बदलाव के लिए मंत्रियों के साथ- साथ अब सांसदों और विधायकों से भी उनके क्षेत्र के लिए उनकी पसंद जानी जाएगी। इसी के साथ एक विभाग में लंबे समय से जमे मंत्रियों की नापसंद के अफसर बदले जाएंगे।
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