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MP BJP Congress names screw Mohan Yadav Jeetu Patwari Photograph: (the sootr)
NEWS STRIKE : मध्यप्रदेश में सर्दी का सितम कुछ ज्यादा हो गया है। तापमान लगातार गिर रहा है। लेकिन सियासी गलियारों का हाल कुछ अलग है। खासतौर से बीजेपी के गलियारों में इतनी सियासी गर्माहट है कि सर्दी का अहसास होना ही मुश्किल होगा। ये सियासी तपिश बीजेपी की एक नई लिस्ट ने बढ़ाई है। जिसके चक्कर में खुद प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को दिल्ली तक दौड़ लगानी पड़ रही है। इन सियासी हालातों का हाल ये है कि इधर भी हैं और उधर भी भी हैं। यानी बीजेपी अपनी एक लिस्ट को लेकर परेशान है तो कांग्रेस में भी एक लिस्ट कलह का कारण बन गई है। बीजेपी के जिलाध्यक्षों की लिस्ट को लेकर और कांग्रेस की प्रवक्ता और पैनालिस्ट की लिस्ट को लेकर...
जिलाध्यक्षों की लिस्ट को लेकर मारामारी
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही की वजह से दोनों ही पार्टियों में कलह मची हुई है। बीजेपी जिलाध्यक्षों की लिस्ट को लेकर इतनी मारामारी है कि दिल्ली तक दौड़ लगाने की नौबत आ गई है। ये पहली बार है जब बीजेपी में जिलाध्यक्षों के पद को लेकर इतनी खींचतान मची है। अभी तक बीजेपी जिलाध्यक्षों की लिस्ट जारी नहीं हुई थी। इसलिए बात उस खींचतान पर है जो बीजेपी में पहली बार देखने को मिली है।
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कुछ जिले दो भागों में विभाजित
जिलाध्यक्षों की लिस्ट तकरीबन तय मानी जा रही थी लेकिन कुछ मतभेदों के चलते लिस्ट को बार बार टाला जा रहा है। ये मतभेद कुछ खास जिलों को लेकर ज्यादा हैं। जिसमें भोपाल, जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर के नाम शामिल हैं। अगर आप गौर करेंगे तो ये जान जाएंगे कि सारे नाम ऐसे जिलों के हैं जो प्रदेश के बड़े और महत्वपूर्ण जिले हैं। जिसे लेकर जंग आलाकमान के दरबार तक छिड़ी है। खबर है कि इन शहरों में अपने चहेतों का नाम फाइनल करवाने के लिए या खुद उस पद पर काबिज होने के लिए कुछ बड़े नेता दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। संघ ने भी कुछ नामों की सिफारिश की है। लेकिन नेताओं के बीच के मतभेद के चलते उन नामों पर भी मुहर नहीं लग पा रही है। जिलाध्यक्ष जैसा पद कितना अहम हो सकता है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इसको लेकर राजनीति फर्जी लिस्ट और हॉर्डिंग्स तक जा पहुंची है। आपको बता दें की बीजेपी में करीब 60 जिलाध्यक्ष नियुक्त होंगे। वो इसलिए कि कुछ जिलों को बीजेपी ने दो भागों में विभाजित किया है। जहां दो जिलाध्यक्ष भी हो सकते हैं। मसलन सागर और धार जैसे जिले जो बीजेपी संगठन की दृष्टि से बड़े जिले हैं। इसे सागर के नजरिए से समझते हैं। सागर जैसे बड़े जिले में सागर, खुरई, सुरखी, बीना औऱ नरयावली में एक जिलाध्यक्ष होगा और रहली, देवरी और बंडा में मिलाकर एक जिलाध्यक्ष होगा।
प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए दौड़
बीजेपी जैसी पार्टी में जिलाध्यक्ष का पद ही काफी दमखम वाला पद होता है। यही वजह है कि इस पद को लेकर इतनी उठापटक हो रही है। इसे आप इत्तेफाक कहें या सोचा समझा फैसला कि जिस वक्त प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा इस लिस्ट के साथ दिल्ली पहुंचे हैं उसी वक्त पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा और प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह भी दिल्ली रवाना हुए हैं। उनके इस दिल्ली प्रवास को जिलाध्यक्षों की लिस्ट से जोड़कर ही देखा जा रहा है। कुछ अटकलें ये भी हैं प्रदेशाध्यक्ष पद की रेस में आगे निकलने के लिए ये दिल्ली दौड़ की जा रही है।
प्रदेश प्रवक्ता और पैनालिस्टों की लिस्टो को लेकर कांग्रेस में कलह
हाल तो कांग्रेस में भी बुरा है। जीतू पटवारी ने जब से अपनी टीम की घोषणा की तब से ही वो सियासी खींचतान में उलझे हैं। अब प्रदेश प्रवक्ता और पैनालिस्टों की लिस्टो को लेकर भी कांग्रेस में कलह मची हुई है। इस लिस्ट के बाद कांग्रेस में विवाद इतना बड़ा की जीतू पटवारी ने लिस्ट भी होल्ड पर डलवा दी। अब खबर है कि सूचि में बदलाव किए जा सकते हैं। कांग्रेस ने 40 प्रवक्ता और 8 पैनालिस्ट के नाम की लिस्ट जारी की थी। पैनालिस्टों के रूप में विधायक झूमा सोलंकी, जिला पंचायत सदस्य ज्योति पटेल, नेहा लिम्बोदिया, नेहा पालीवाल, प्रतिभा विक्टर, प्रदीप अहिरवार, तनय अग्रवाल, सीताशरण सूर्यवंशी को शामिल किया गया था। इस लिस्ट के जारी होने के बाद से प्रदेश कांग्रेस में खेमेबाजी भी खुलकर सामने आई है और एक बार फिर जीतू पटवारी अपने ही फैसले से कदम पीछे लेने पर मजबूर हुए हैं। अब देखना ये है कि लिस्ट पर शुरू हुई दोनों दलों के भीतर की ये जंग किस अंजाम पर जाकर खत्म होगी।
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