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अगर इन दिनों आप 'मीठे राजमार्ग' यानी NH-45 से गुजर रहे हैं, तो जरा रुकिए और सड़क पर लगे इस अनूठे श्रृंगार को देखिए। ताजे गुड़ की मदहोश कर देने वाली महक के साथ, इस सड़क पर एक सुंदर लाल बिंदी जैसी छवि नजर आती है। यह केवल सुंदरता नहीं है, बल्कि आपकी और वन्यजीवों की सुरक्षा का पहरेदार है।
रेड कार्पेट की चर्चा क्यों?
भोपाल से जबलपुर का सफर अब आसान हो गया है। National Highway 45 पर कोई रुकावट नहीं है। यह हाईवे आजकल 'रेड कार्पेट' से मशहूर है। ये कार्पेट टेबल टॉप जैसे बने हैं। ये सड़क को बहुत सुंदर बनाते हैं। यह लाल रंग सड़क की खूबसूरती बढ़ा रहा है। यह माथे पर लगी लाल बिंदी जैसा दिखता है। जैसे बिंदी सुरक्षा का प्रतीक है। वैसे ही यह लाल परत ड्राइवरों की सुरक्षा करती है।
टेबल टॉप मार्किंग क्या है?
NHAI (National Highways Authority of India) ने देश में शायद पहली बार यह अभिनव प्रयोग किया है। नरसिंहपुर और जबलपुर के बीच पड़ने वाली सड़क के एक हिस्से पर 5 मिलीमीटर मोटी लाल रंग की एक परत बिछाई गई है, जिसे तकनीकी भाषा में टेबल टॉप मार्किंग नाम दिया गया है।
जब कोई वाहन चालक रफ्तार से इस लाल मोटी परत के ऊपर से गुजरता है, तो उसे हल्के झटके महसूस होते हैं। ये झटके ड्राइवर को तुरंत सतर्क करते हैं और वे अपनी स्पीड कम कर लेते हैं। इसके अलावा, लाल रंग को खतरे का प्रतीक भी माना जाता है, इसलिए इसे दूर से देखते ही वाहन चालकों की रफ्तार साइकोलॉजिकल तौर पर भी कम हो जाती है।
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रात की नींद और सफेद पैवर शोल्डर लाइन
सिर्फ लाल रंग ही नहीं, इस राजमार्ग पर रात में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक और खास इंतजाम किया गया है। रात में ड्राइविंग के दौरान नींद या झपकी लगने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए है। सड़क के दोनों किनारों पर 5 मिलीमीटर मोटी सफेद पैवर शोल्डर लाइन भी बनाई गई है।
इसका सीधा फायदा यह है कि यदि ड्राइवर को अचानक नींद आती है। कार लहराकर किनारे की ओर बढ़ने लगती है, तो टायर इस मोटी लाइन से टकराएंगे। इससे कार में झटके लगेंगे और वाहन चालक तत्काल सतर्क हो जाएगा। इस उपाय से दुर्घटनाओं और जानमाल की क्षति को कम करने में मदद मिलेगी।
वन्यजीवों की सुरक्षित आवाजाही को पहली प्राथमिकता
राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 45 का यह महत्वपूर्ण हिस्सा मध्य प्रदेश के सबसे बड़े वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व की सीमा से होकर गुजरता है। रात के समय वन्य जीवों का सड़क पर आ जाना एक सामान्य बात है।
NH-45 रेड कार्पेट प्रयोग दोहरी सुरक्षा प्रदान करता है:
वाहनों की रफ्तार कम हो जाती है।
सड़क के बीचों-बीच लाल निशान देखकर ड्राइवर सतर्क हो जाते हैं।
परिणामस्वरूप, वन्य प्राणियों की मौत और वाहनों की दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी। फिलहाल यह प्रयोग करीब दो किलोमीटर के इलाके में किया गया है और इसकी सफलता के अध्ययन के बाद भविष्य में इसका विस्तार किया जाएगा।
इस परियोजना की सबसे अहम खासियत यह है कि पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। करीब 122 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुए इस राजमार्ग के चौड़ीकरण के दौरान, पहले से मौजूद डबल लेन को 4 लेन में बदला गया है, साथ ही 25 अंडरपास बनाए गए हैं।
ये अंडरपास यह सुनिश्चित करते हैं कि अभ्यारण्य से गुजरने वाले वन्य जीव दिन या रात में कभी भी आसानी से आवाजाही कर सकें।
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