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मध्यप्रदेश में निकाय चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों को अब पहले से ज्यादा पारदर्शिता दिखानी होगी। अब उन्हें नामांकन भरते समय एक शपथ-पत्र देना जरूरी है।
इसमें उनकी पत्नी या पति का टैक्स रिटर्न, आय और अन्य जरूरी जानकारियां देना अनिवार्य है। अगर जानकारी अधूरी या गलत दी गई तो नामांकन रद्द हो सकता है।
उम्मीदवारों के लिए शपथ-पत्र क्यों जरूरी है?
अब एमपी निकाय चुनाव में नामांकन करते समय उम्मीदवार को अपना व्यक्तिगत शपथ-पत्र भरना जरूरी है। इसमें आपराधिक मामलों के साथ यह भी पूछना जरूरी है कि उनके और उनके परिवार पर कितने केस चल रहे हैं? कितने बकाया टैक्स या कर्ज हैं?
इससे आम जनता को हर उम्मीदवार के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी। पारदर्शिता बढ़ेगी और विश्वास बनेगा।
किन-किन जानकारियों का देना होगा ब्यौरा?
हर उम्मीदवार को शपथ-पत्र में अपनी, अपने पति या पत्नी और तीन बच्चों की जानकारी देनी होती है। इसमें आय, टैक्स, लोन, सेविंग्स और संपत्तियों का पूरा विवरण देना जरूरी है।
इसके अलावा अगर कोई संयुक्त संपत्ति, शेयर या कंपनी में निवेश है, उसका भी ब्यौरा देना जरूरी है। शैक्षिक योग्यता की भी जानकारी मांगना अनिवार्य कर दिया गया है।
5 प्वाइंट में समझें क्या है पूरा मामला
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ये नियम किस स्थिति में लागू होंगे?
प्रदेश में अगला बड़ा निकाय चुनाव साल 2027 में होना है। वहीं, यदि किसी नगर पालिका, नगर परिषद या नगर निगम में उपचुनाव होता है तो भी ये नियम लागू रहेंगे। सभी महापौर, पार्षद, अध्यक्ष समेत सभी पदों के इच्छुक उम्मीदवारों को शपथ-पत्र देना होगा।
पारदर्शिता बढ़ाने के लिए है यह बदलाव
राज्य निर्वाचन आयोग का मानना है कि इन नियमों से चुनावी प्रक्रिया ज्यादा सही और साफ होगी। जनता को अपने प्रत्याशी की सच्ची तस्वीर मिलेगी। उम्मीदवार के अपराध, संपत्ति और कर्ज का ब्यौरा आयोग के पास जमा होगा। इससे चुनावी धोखाधड़ी भी कम होगी और नेताओं पर जनता की निगरानी बढ़ेगी।
सोर्स-
मप्र राज्य निर्वाचन आयोग की अधिसूचना
मप्र नगरपालिका निर्वाचन नियम (नया संशोधन)
नगरीय विकास विभाग, मध्यप्रदेश
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