नीलेश आदिवासी मौत का मामला : डीजीपी को दो दिन में SIT बनाकर तुरंत जांच शुरू करने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सागर के नीलेश आदिवासी की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी गठित करने के आदेश दिए हैं। यह तीन सदस्यीय विशेष जांच दल होगा। इसमें दो आईपीएस अधिकारी मप्र के बाहर के होंगे। कोर्ट ने गोविंद सिंह राजपूत की गिरफ्तारी पर रोक लगाई है।

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Ravi Awasthi
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BHOPAL. सागर के नीलेश आदिवासी की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के डीजीपी को एसआईटी गठन के आदेश दिए हैं। तीन सदस्यीय विशेष जांच दल में दो आईपीएस मप्र के बाहर के होंगे। इनमें एक सीधी भर्ती के आईपीएस को शामिल किया जाएगा। जांच दो दिन में शुरू करनी है।

आरोपी बने गोविंद सिंह को राहत

उच्चतम न्यायालय ने नीलेश की मौत के मामले में आरोपी बने गोविंद सिंह राजपूत की याचिका पर यह निर्णय सुनाया। यह गोविंद सिंह राजपूत मप्र के खाद्य मंत्री नहीं हैं, बल्कि मालथौन सागर के निवासी हैं। अदालत ने राजपूत की गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा दी है। न्यायालय ने कहा कि नीलेश की मौत के मामले में विरोधाभाषी बयान सामने आए हैं। कोर्ट चाहता है कि प्रकरण की निष्पक्ष,स्वतंत्र व तटस्थ जांच हो। 

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स्थानीय पुलिस,प्रमोटी आईपीएस पर भरोसा नहीं

कोर्ट ने मप्र पुलिस महानिदेशक को कहा है कि प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेष जांच दल बनाएं। इसमें प्रमुख सदस्य एमपी कैडर के बाहर के सीधे भर्ती वाले एवं सीनियर एसपी रैंक के अधिकारी को बनाया जाए। दूसरा सदस्य कोई युवा आईपीएस हो जिनकी जड़ें मध्यप्रदेश में न हों। वहीं तीसरे सदस्य के तौर पर डीएसपी रैंक से ऊपर की किसी महिला पुलिस अधिकारी को बनाया जाए। खास बात यह है कि न्यायालय ने इस मामले में स्थानीय पुलिस और प्रमोटी आईपीएस पर भी भरोसा नहीं किया।

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दो दिन में बने एसआईटी,जांच तुरंत शुरू करें

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दो दिनों के भीतर एसआईटी गठित हो। प्रकरण में दर्ज एफआईआर व अन्य संबंधित रिकॉर्ड जांच दल अपने कब्जे में लेकर इसकी तुरंत जांच करे। न्यायालय ने यह भी कहा कि मृतक की पत्नी रेवाबाई सहित किसी भी गवाह को प्रभावित न होने दिया जाए। कोर्ट ने विटनेस प्रोटेक्शन लागू करने पर जोर दिया। साथ ही नीरज आदिवासी या परिवार पर किसी भी प्रकार की दमनात्मक कार्रवाई पर भी रोक लगाई।

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गिरफ्तारी पर अंतरिम राहत

कोर्ट ने कहा कि विभिन्न बयानों और परिस्थितियों को देखते हुए फिलहाल याचिकाकर्ता (गोविंद सिंह राजपूत मालथौन) की गिरफ्तारी पर रोक रहेगी। यदि एसआईटी को कोई गंभीर आपत्तिजनक सामग्री मिले, तो वह सुप्रीम कोर्ट से कस्टोडियल इंट्रोगेशन की अनुमति मांग सकती है।

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हाईकोर्ट में लगी याचिका का जल्द करें निराकरण

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा ​कि मृतक की पत्नी रेवाबाई की ओर से मप्र हाईकोर्ट में दायर द्वारा याचिका का भी जल्द निपटारा हो। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आज के आदेश को ध्यान में रखा जाए।

विरोधाभाषी बयानों ने उलझाई नीलेश की मौत की गुत्थी

सागर जिले के मालथौन कस्बे में 25 जुलाई को 42 वर्षीय नीलेश आदिवासी ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पत्नी रेवाबाई ने कहा कि उनकी जमीन हथियाने के लिए कुछ लोगों ने दबाव डाला। पहले उन्हें खाटू श्याम जाने को कहा गया। फिर इंदौर में एक ठेकेदार के पास जाने के लिए दबाव बनाया गया। जब वह इंदौर पहुंचे तो यही लोग मेरे पति को जबरिया मालथौन ले आए। उन्हें प्रताड़ित किया गया। इस प्रताड़ना से तंग आकर उसके पति नीलेश ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। 

प्रकरण में अचानक जुड़ा गोविंद का नाम

प्रकरण में पहले मनोज जैन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए कहा। बाद में एक प्रभावी नेता का फोन आने पर अचानक गोविंद सिंह राजपूत को आरोपी बना दिया गया। मृतक के मृत्यु पूर्व दिए गए बयान वाले वायरल वीडियो में भी यही बात कही गई। लेकिन मृतक के भाई ने वही बयान दिए जो पुलिस ने प्रकरण में दर्ज किए। आरोपी बने राजपूत ने पहले हाईकोर्ट बाद में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। जहां से उन्हें आज राहत मिली। 

कौन हैं ​गोविंद सिंह राजपूत

सागर जिले के मालथौन निवासी गोविंद सिंह राजपूत वास्तव में बीजेपी के एक साधारण लेकिन इलाके के प्रभावशाली नेता हैं। गांव का सरपंच बीते 65 सालों से उनके परिवार से ही बना। उनकी पत्नी ग्रामीण कांग्रेस की जिला अध्यक्ष रहीं। साल 2009 में पूर्व गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह के कहने पर वह भाजपा में शामिल हुए। साल 2015 में अचानक राजपूत व भूपेंद्र सिंह के सियासी रिश्तों में खटास आ गई। बाद में राजपूत इस प्रकरण में आरोपी बने। 

खाद्य मंत्री को लेकर हमनाम ने पैदा किया भ्रम

इधर,सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही हमनाम व एक ही क्षेत्र के रहवासी होने से प्रदेश के खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत सोशल मीडिया पर ट्रोल हो गए। सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत मिलने की खबर इतनी तेजी से वायरल हुई कि न्यूज एजेंसी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले वाली अपनी खबर के साथ स्पष्टीकरण भी जारी करना पड़ा।

क्या है पूरा मामला

सागर की आदिवासी महिला रेवा आदिवासी का मामला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में उठ चुका था। उसने अपने पति नीलेश की संदिग्ध मौत की सीबीआई जांच की मांग की थी। याचिका में आरोप था कि पति को झूठी एफआईआर में फंसाया गया। विधायक भूपेंद्र सिंह के इशारे पर झूठी रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए 10 लाख रुपये का लालच दिया गया था।

रेवा ने यह भी कहा था कि नितिन जैन, राघवेंद्र परिहार और अजीत राय ने पति को बहाने से अपने साथ ले गए थे। उस पर दबाव बढ़ाया गया था। पति ने अदालत को बताया था कि अगर और दबाव डाला गया, तो वह आत्महत्या कर लेगा। 25 जुलाई 2025 को नीलेश की रहस्यमय मौत हो गई।

महिला ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने पर्याप्त साक्ष्यों के बावजूद मर्ग दर्ज किया। हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग पर राज्य सरकार से जवाब मांगा था। 1 दिसंबर 2025 को यह मामला जस्टिस देवनारायण मिश्रा की कोर्ट में लिस्ट हुआ था। इस पर सुनवाई नहीं हो पाई थी।

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