BHOPAL. मध्यप्रदेश में सालों से अनुकंपा नियुक्ति के लिए भटक रहे सरकारी कर्मचारियों के परिजनों का इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा। सरकार ने अप्रेल माह में जिस पोर्टल को शुरू करने की घोषणा की थी वो अब तक शुरू नहीं हुई है। इस वजह से ऐसे हजारों परिवार नियुक्ति के लिए सरकार की अनुकंपा की बाट जोह रहे हैं। हालांकि अब तक यह साफ नहीं किया गया है कि जीएडी अनुकंपा नियुक्ति के लिए इस पोर्टल को कब तक शुरू करने वाला है। इस पोर्टल के शुरू होने के बाद दिवंगत सरकारी कर्मचारियों के परिजनों को सालों तक ऑफिसों के चक्कर नहीं काटने होंगे। अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों को लालफीताशाही या बाबूगिरी के अड़गों का भी सामना नहीं करना होगा। प्रदेश के फिलहाल 5 हजार से ज्यादा ऐसे मामले विभागों के अलग-अलग ऑफिसों में फाइलों में दबे हुए हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ने बनाया पोर्टल
सीएम डॉ. मोहन यादव के निर्देश के बाद जीएडी ने मध्यप्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स डेव्लपमेंट कॉर्पोरेशन को इसका जिम्मा सौंपा था। कॉर्पोरेशन ने अनुकंपा नियुक्ति से संबंधित मामलों के निराकरण के लिए ऑनलाइन सिस्टम तैयार कर लिया है। पोर्टल पर आवेदकों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा जिसके बाद विभागीय स्तर पर होने वाली सारी जानकारी, जरूरी दस्तावेज अपलोड करने की व्यवस्था उपलब्ध होगी। कॉर्पोरेशन ने पोर्टल तैयार करने के बाद विभागों को भी जानकारी दे दी है। जल्द ही विभागीय स्तर पर अधिकारियों को इसके लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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ऑनलाइन होगी अनुकंपा नियुक्ति की सेवा
पोर्टल बनने के बाद अब इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस काम के पूरा होते ही जीएडी इसे अपने हाथ में ले लेगा। संभवतया इसी माह में पोर्टल की कमान जीएडी के हाथ में आ जाएगी। जिसके बाद इसे सरकार की ऑनलाइन सेवाओं से लिंक कर दिया जाएगा। इसके लिंक होते ही सेवारत कर्मियों के निधन के बाद अनुकंपा नियुक्ति हासिल करने के लिए परिजन ऑनलाइन आवेदन सहित सारी प्रक्रिया पोर्टल के माध्यम से ही कर पाएंगे। उन्हें न तो पहले ही तरह विभाग के जिला, संभाग या मुख्यालय के चक्कर काटने होंगे और न बाबूगिरी के सामने गिड़गिड़ाना पड़ेगा।
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अभी फाइलों में दबे हजारों आवेदन
प्रदेश में अब तक अनुकंपा नियुक्ति के मामलों में सालों की लेटलतीफी हो रही है। दिवंगत शासकीय सेवक के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन करने से लेकर छोटी-छोटी पूर्ति और अन्य कमियों बताकर पांच-पांच साल से भी ज्यादा समय तक भटकाया जा रहा है। यही वजह है कि प्रदेश के विभिन्न विभागों में अनुकंपा नियुक्ति से संबंधित 5 हजार से भी ज्यादा आवेदन दो से 10 साल या इससे भी ज्यादा समय से अटके हुए हैं। कर्मचारी कल्याण आयोग के पूर्व सदस्य वीरेंद्र खोंगल का आरोप है विभागीय अधिकारी और बाबू मिलकर पात्र परिजन को भी अनुकंपा नियुक्ति में रोड़ा बनते हैं। प्रकरणों को लटकाकर परिजनों से कमाई की जाती है। वहीं कर्मचारी नेता महेन्द्र शर्मा ने भी प्रदेश के कर्मचारियों के हित में अनुकंपा नियुक्ति के लिए पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन सेवा जल्द शुरू करने की मांग की है।
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