अब ई-ऑफिस प्रणाली पर ही करना होगा विभागों में सरकारी काम

मध्य प्रदेश के अलग-अलग विभागों में ई-ऑफिस सिस्टम लागू करने सरकार ने कमिश्नर-कलेक्टर और एसपी से 31 जुलाई तक इस संबंध में लिखित में जवाब भी मांगा गया है। 

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. सीएस के सख्त आदेश के बावजूद विभागों में ई-ऑफिस सिस्टम लागू करने में हो रही देरी पर अब सरकार ने गंभीरता दिखाई है। मंत्रालय के बाद संभाग और जिला और तहसील स्तर तक ई-ऑफिस सिस्टम पर सरकारी कार्रवाई सुनिश्चित करने 31 जुलाई तक का समय दिया गया है। इसके साथ ही कमिश्नर-कलेक्टर और एसपी से 31 जुलाई तक इस व्यवस्था के लागू होने के संबंध में लिखित में जवाब भी मांगा गया है। 

जिला-तहसील स्तर पर अड़ंगे

प्रदेश में सरकारी कामकाज में होने वाली देरी और फाइलों के घूमते रहने, गायब होने की स्थिति रोकने सरकार ई-ऑफिस प्रणाली करने पर संजीदा है। पहले चरण में सीएस अनुराग जैन के निर्देशन में मंत्रालय में यह काम पूरा हो चुका है।

हालांकि तहसील, ब्लॉक, जिला और संभाग मुख्यालय पर अभी ई-ऑफिस प्रणाली शुरू नहीं हो पाई है। कुछ जिलों में इस पर काम तेजी से आगे बढ़ा है तो कई जिलों में अधिकारी अब भी इस प्रणाली को लागू करने में रोड़े अटका रहे हैं। इस वजह से सारी तैयारियों के बावजूद यह काम पिछड़ रहा है। 

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4 पॉइट्स में समझें पूरी खबर

  • ई-ऑफिस प्रणाली लागू करने में देरी: मुख्यमंत्री सचिवालय के सख्त आदेश के बावजूद ई-ऑफिस प्रणाली लागू करने में देरी हो रही है, जिससे सरकार ने अब 31 जुलाई तक इसे लागू करने का समय दिया है।

  • कलेक्टर और एसपी होंगे जिम्मेदार: प्रदेश के सभी कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को 31 जुलाई तक जिला, तहसील और ब्लॉक स्तर पर ई-ऑफिस प्रणाली लागू करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है और लिखित जवाब मांगा गया है।

  • ई-ऑफिस प्रणाली की पिछली देरी: सरकार ने नवंबर 2024 से ही इस प्रणाली को लागू करने की योजना बनाई थी, लेकिन 31 मार्च 2025 तक कई जिलों में इसे लागू नहीं किया जा सका, जिससे प्रशासनिक कामकाज में देरी हुई।

  • सख्ती की आवश्यकता: प्रशासनिक और विभागीय कामकाज में ई-ऑफिस प्रणाली की अनिवार्यता की समीक्षा के बाद सीएस ने नाराजगी व्यक्त की थी, जिसके बाद अब सरकार ने सख्त निर्देश जारी किए हैं।

कलेक्टर-एसपी होंगे जिम्मेदार 

ई-ऑफिस प्रणाली को पूरे प्रदेश में लागू करने में हो रही देरी की सीएस स्तर पर समीक्षा भी हो चुकी है। उनके द्वारा इस संबंध में सीएम डॉ.मोहन यादव को भी अवगत कराया गया है। इसके बाद अब सरकार ने सख्त रुख अपनाया है।

हाल ही में जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को जिला, तहसील और ब्लॉक मुख्यालयों तक विभागों में ई-ऑफिस प्रणाली के माध्यम से ही काम शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं।

इसके साथ ही प्रदेश के सभी कलेक्टर-पुलिस अधीक्षकों से इसे लागू करने के संबंध में लिखित प्रतिवेदन भी मांगा गया है। यानी कलेक्टर और एसपी को 31 जुलाई तक जिलों में ई-ऑफिस प्रणाली लागू कराने की जिम्मेदारी आ गई है। 

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क्यों पड़ी सख्ती की जरूरत

जीएडी ने नवंबर 2024 से ही प्रदेश में विभागों में ई-ऑफिस प्रणाली लागू करने की तैयारी कर ली थी। इसके लिए विभागों को मुख्यालय से लेकर तहसील स्तर तक अपने कार्यालयों में इस प्रणाली को लागू करने के निर्देश भी दिए गए थे।

जीएडी के निर्देशों के बावजूद 31 मार्च 2025 बीतने पर भी अधिकारी अपने कार्यालयों में ई-ऑफिस प्रणाली लागू नहीं कर पाए। वहां पहले ही तरह ऑफलाइन ही कार्रवाई होती रही। प्रशासनिक और विभागीय कामकाज ई-ऑफिस प्रणाली के माध्यम से नहीं होने की स्थिति समीक्षा में उजागर होने पर सीएस ने भी नाराजगी जताई थी।

इसके बाद जिला स्तर पर ई-ऑफिस क्रियान्वयन टीम बनाने के निर्देश दिए गए। अब संभाग और जिला स्तर पर यह काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। हांलाकि डेडलाइन खत्म हो चुकी है। इस वजह से सरकार ने अब सख्त निर्देश और हिदायत दी है।  

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