स्वरोजगार योजनाओं पर कारोबारियों का कब्जा, युवा काट रहे चक्कर

मध्यप्रदेश में युवाओं को रोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने चल रही योजनाओं पर कारोबारियों का कब्जा है। सरकार से स्वीकृत प्रकरणों पर बैंक युवाओं को ऋण देने में आनाकानी कर रहे हैं ।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. मध्यप्रदेश में युवाओं को रोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने चल रही योजनाओं पर कारोबारियों का कब्जा है। सरकार से स्वीकृत प्रकरणों पर जहां बैंक युवाओं को ऋण देने में आनाकानी कर रही हैं वहीं पहले से सक्षम कारोबारियों को बेहिचक लोन बांटे जा रहे हैं।

प्रदेश में युवा उद्यमी, उद्यम क्रांति, पीएम स्वनिधि और स्वरोजगार की योजनाएं इन अड़गों के कारण युवाओं की पहुंच से दूर हो रही हैं। मामला सरकार के संज्ञान में आने के बाद मुख्य सचिव अनुराग जैन ने बैंकर्स की प्रदेश स्तरीय बैठक बुलाकर प्रकरणों की समीक्षा की है। इस दौरान अकेले पीएम स्वनिधि योजना के ही 19 हजार से ज्यादा ऋण प्रकरण लंबित होने पर सीएस ने नाराजगी जताई है। 

मध्यप्रदेश में बीते पांच साल से सरकार बेरोजगारी की स्थिति और सरकारी नौकरियों में अवसरों की कमी को देखते हुए स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए प्रदेश और केंद्र सरकार की स्वरोजगार योजनाओं के जरिए युवाओं को खुद के कारोबार शुरू करने ऋण भी स्वीकृत किए जा रहे हैं। इसके बाद भी युवा इन योजनाओं का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं।

बीते तीन साल में सरकार की इन योजनाओं के तहत युवा उद्यमियों को मिलने वाले लाभ का ग्राफ भी नीचे आ गया है। इस स्थिति के पीछे ऋण देने में बैंकों की टालमटोल और योजनाओं पर कारोबारियों के कब्जे को मुख्य वजह माना जा रहा है। इसकी शिकायतें भी लगातार सरकार तक पहुंच रही हैं लेकिन फिर भी स्वरोजगार और एमएसएमई में युवाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है। 

पीएम स्वनिधि पर बैंकों का ब्रेक

प्रदेश में बैंकों द्वारा सरकार की स्वीकृति के बावजूद ऋण न देने से युवा खुद के कारोबार स्थापित करने चक्कर काट रहे हैं। सरकार की गारंटी को बैंकों द्वारा मान्य नहीं किया जा रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण पीएम स्वनिधि योजना के मामलों के रूप में सामने आया है। प्रदेश में इस योजना के तहत 19,196 छोटे कामकाजियों ने आवेदन किए थे। यह योजना युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना है। इसमें ऋण की राशि भी बेहद सीमित है फिर भी आवेदनों के निराकरण में बैंकर्स रुचि नहीं दिखा रहे हैं। सीएस अनुराग जैन इसको लेकर बैंकर्स के साथ बैठक कर नाराजगी जता चुके हैं। सीएस ने ऋण स्वीकृत नहीं करने की वजह के साथ ही एक पखवाड़े में इनके निराकरण के निर्देश भी दिए हैं। 

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मुश्किलों से युवाओं का मोहभंग

प्रदेश में मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन, मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण, कृषक उद्यमी, उद्यम क्रांति जैसी योजनाएं चल रही हैं। इनके तहत हर साल लाखों आवेदन किए जाते हैं लेकिन उनमें से गिने चुने युवाओं को ही मौका मिलता है। बाकी मामलों में युवा बैंकों के चक्कर ही लगाते रह जाते हैं। बीते तीन साल की बात करें तो प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत ऋण के लिए आवेदनों की संख्या में कमी आई है। इसकी वजह भी बैंकों की टालमटोल बताई जा रही है। वित्त वर्ष 2021-22 इस योजना के तहत अपना व्यवसाय शुरू करने 4859 युवाओं ने आवेदन किया था जिन्हें 121.70 करोड़ का ऋण उपलब्ध कराया गया। 2022-23 में 3653 आवेदनों को 108.13 करोड़ के ऋण की स्वीकृति दी गई वहीं 2023-24 में 3036 आवेदनों पर 104.45 का ऋण दिया गया। यानी पहले साल में आवेदनों की संख्या 4859 से घटकर 3653 हुई और फिर 2023-24 में यह 3036 रह गई। यानी तीन साल में ही योजना के आवेदकों की संख्या जहां 1800 तक घट हुई वहीं फंडिंग भी 121 करोड़ से घटकर 104 करोड़ पर आ गई है। 

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उद्यम क्रांति पर काबिज कारोबारी 

स्वरोजगार के लिए मध्यप्रदेश सरकार की उद्यम क्रांति योजना भी युवाओं की पहुंच से दूर हो रही है। सरकार युवाओं को स्वरोजगार के अवसर मुहैया करा रही है लेकिन ऋण हासिल करने में बैंक रोड़े अटकाने में आगे हैं। इस योजना के तहत वित्त वर्ष 2023-24 में 5 हजार से ज्यादा आवेदकों के प्रकरण स्वीकृत किए गए  थे। जिस पर उन्हें 333 करोड़ का ऋण उपलब्ध हुआ है लेकिन यह सिर्फ खुश करने वाले आंकड़े हैं क्योंकि ऋण पाने वाले चंद जरूरतमंद युवा ही उद्यमी बन पाए हैं। इस सूची में हितग्राही के नाम पर वे लोग हैं जो पहले से स्थापित कारोबार संचालित कर रहे हैं। बैंक भी अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए इन उद्यमियों को ऋण देकर अपनी हिस्सेदारी सुरक्षित कर निश्चिंत हैं। जमीनी हकीकत ये है कि न केवल बीते वित्त वर्ष बल्कि उससे से भी पहले से युवा प्रोजेक्ट फाइल लेकर चक्कर काटते नजर आ रहे हैं। 
 

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