नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा : 284 नर्सिंग कॉलेजों में नियमों की उड़ी धज्जियां, एक ही महिला 8 कॉलेज की प्रिंसिपल

हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी नर्सिंग काउंसिल ने 2022-23 में 284 ऐसे नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दे दी, जहां एक ही फैकल्टी की कई कॉलेजों में नियुक्त थी।

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Deeksha Nandini Mehra
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nursing college fraud

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Nursing College Fraud : मध्य प्रदेश के नर्सिंग फर्जीवाड़े के बाद अब MP नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल ( MP Nurses Registration Council ) पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी नर्सिंग काउंसिल ने 2022-23 में 284 ऐसे नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दे दी, जहां एक ही फैकल्टी की कई कॉलेजों में नियुक्त थी। इन कॉलेजों ने एक ही फैकल्टी को कई- कई कॉलेज में दिखाकर मान्यता ली। वहीं नर्सिंग काउंसिल के साल 2020- 21 के रिकॉर्ड में लीना नाम की महिला को आठ महाविद्यालयों की प्रिंसिपल बताया गया। फरवरी 2023 में यह गड़बड़ी पकड़ने के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग के डायरेक्टर ने कार्रवाई करने के लिए तीन बार पत्र लिखा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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14 हजार फैकल्टी में 4500 सिर्फ कागजों पर 

नर्सिंग काउंसिल के साल 2020-21 के रिकॉर्ड में लीना नाम की महिला को बड़वानी के योगेश्वर नर्सिंग शिक्षा महाविद्यालय आठ और नर्सिंग कॉलेजों की प्रिंसिपल बताया गया। इसी तरह विष्णु कुमार स्वर्णकार 15 नर्सिंग कॉलेजों में प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल और एसोसिएट प्रोफेसर हैं। नियमों के अनुसार किसी भी नर्सिंग कॉलेज में प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल, प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर के अलावा 10 स्टूडेंट पर एक फैकल्टी होना चाहिए। 284 कॉलेजों में 14 हजार फैकल्टी बताई गई इसमें 4500 सिर्फ कागजों पर हैं।

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नर्सिंग जांच में रिश्वतखोरी का आरोपी सस्पेंड

अनफिट नर्सिंग कॉलेजों को फिट बताने के लिए लाखों रुपए की रिश्वत लेने के मामले में एमपी पुलिस ने कार्रवाई की है। पुलिस से प्रतिनियुक्ति पर सीबीआई भोपाल में पदस्थ और रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार किए गए इंस्पेक्टर सुशील कुमार मोजका को सस्पेंड कर दिया है। इसके साथ सीबीआई भोपाल में पदस्थ दो इस्पेक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें से सुशील कुमार मोजका जिला पुलिस बल से तो ऋषिकांत असाटी एसएएफ से हैं। सुशील को सीबीआई ने अपनी कस्टडी में लिया है। गौरतलब है कि सीबीआई ने इस पूरे रिश्वत कांड के मास्टर माइंड राहुल राज को बर्खास्त कर दिया था, वहीं मप्र पुलिस के दोनों अफसरों की सेवाएं वापस कर दी थीं।

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