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Photograph: (the sootr)
ओबीसी आरक्षण पर लंबे समय से जारी कानूनी लड़ाई अब नए मोड़ पर पहुंच गई है। दिल्ली स्थित मध्य प्रदेश भवन में 4 सितंबर को महाधिवक्ता की अगुवाई में हुई बैठक में ओबीसी आरक्षण से जुड़े वरिष्ठ अधिवक्ताओं और संगठनों ने मध्यप्रदेश सरकार के सामने बड़ा प्रस्ताव रखा।
बैठक में वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और अधिवक्ता विनायक शाह ने महाधिवक्ता से साफ कहा कि सरकार को तुरंत 13% होल्ड पदों को अनहोल्ड कर देना चाहिए, क्योंकि इसमें किसी तरह की कानूनी बाध्यता नहीं है।
कानूनी पेच फंसता है तो मुफ्त में लड़ेंगे केस
वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने इस दौरान सरकार को अंडरटेकिंग भी दी है। उन्होंने कहा कि यदि 13% पद अनहोल्ड करने के बाद सरकार को किसी भी तरह का कानूनी पेच फंसता है तो वह और उनकी पूरी टीम हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से मुफ्त में केस लड़ेंगे। ठाकुर का कहना था कि इस मुद्दे पर अब और देरी करना ओबीसी समाज और लाखों अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होगा, इसलिए सरकार को साहस दिखाना चाहिए।
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महाधिवक्ता ने अधिवक्ताओं के साथ बनाई रणनीति
बैठक में ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई को लेकर गहन विचार-विमर्श हुआ। महाधिवक्ता ने प्रकरण से जुड़े सभी अधिवक्ताओं को आमंत्रित कर रणनीति बनाने की प्रक्रिया शुरू की। यह तय हुआ कि 23 सितंबर से सुप्रीम कोर्ट में होने वाली रोजाना सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से मजबूत पक्ष रखा जाएगा।
2019 से होल्ड है 13 प्रतिशत ओबीसी पद
गौरतलब है कि 2019 में कांग्रेस सरकार ने अध्यादेश से 27% ओबीसी आरक्षण लागू किया था, जिसे बाद में विधानसभा ने कानून का रूप दिया। लेकिन जबलपुर हाई कोर्ट ने पीजी-नीट में इस पर रोक लगाते हुए केवल 14% आरक्षण को मान्यता दी।
इसके बाद से सौ से ज्यादा याचिकाएं दायर हुईं और करीब 70 याचिकाएं दिसंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर हो चुकी हैं। इस बीच सरकार ने भर्ती परीक्षाओं में 87-13 का फॉर्मूला लागू कर दिया, जिसके तहत 13% पदों पर परिणाम रोक दिए गए। नतीजतन हजारों पद वर्षों से होल्ड हैं और लाखों उम्मीदवार परेशान हैं।
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23 सितंबर से रोजाना होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
अब जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को "टॉप ऑफ द बोर्ड" घोषित कर 23 सितंबर से रोजाना सुनवाई का ऐलान किया है, तो 4 सितंबर की यह बैठक बेहद अहम साबित हो रही है। ओबीसी अधिवक्ताओं का यह प्रस्ताव सरकार पर दबाव बढ़ाता है कि वह तुरंत 13% पद अनहोल्ड कर अभ्यर्थियों को राहत दे।
वहीं, अधिवक्ताओं की यह पेशकश भी खास है कि वे बिना किसी फीस के सरकार की तरफ से केस लड़ेंगे। इससे ओबीसी समाज की उम्मीदें और भी मजबूत हो गई हैं कि आने वाले दिनों में वर्षों से लंबित आरक्षण विवाद का हल निकल सकता है।
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