OBC भर्ती गड़बड़ी पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार और आयोग से 9 सितंबर तक जवाब तलब

जबलपुर हाईकोर्ट ने ओबीसी बैकलॉग भर्ती में गड़बड़ी पर सरकार और MPPSC से 9 सितंबर तक जवाब मांगा। सरकार और आयोग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। मामले में 2019 की अंग्रेजी सहायक प्राध्यापक भर्ती से जुड़े विवाद को लेकर अदालत ने कड़ी कार्रवाई की।

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Neel Tiwari
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Photograph: (THESOOTR)

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जबलपुर हाइकोर्ट में सहायक प्राध्यापक भर्ती के ओबीसी वर्ग के बैकलॉग पदों में गड़बड़ी को लेकर दायर याचिका की आज तीसरी सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान फिर यह सामने आया कि न तो मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) और न ही राज्य सरकार अब तक इस विवादित मामले में स्पष्ट जवाब दाखिल कर पाई है। इस पर अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए साफ कहा कि दोनों पक्षों को 9 सितंबर तक हर हाल में जवाब देना होगा।

एक दूसरे पर डाल रहे जवाबदारी

आज की सुनवाई में सबसे बड़ा सवाल यह रहा कि आखिर इस गंभीर मामले में जवाब देगा कौन? लोक सेवा आयोग ने जिम्मेदारी सरकार पर डाल दी और सरकार ने जवाबदारी आयोग पर। नतीजा यह रहा कि तीन सुनवाई बीत जाने के बावजूद अदालत को ठोस उत्तर नहीं मिल पाया। अदालत ने इस रवैये पर नाराजगी जताई और कहा कि “अब और समय बर्बाद नहीं किया जाएगा, 9 सितंबर तक जवाब दाखिल करना ही होगा।”

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क्या है पूरा विवाद?...

  • 2019 में अंग्रेजी विषय के सहायक प्राध्यापक पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया चलाई गई थी।
  • उस समय ओबीसी वर्ग के 31 बैकलॉग पद रिक्त थे।
  • याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की अनदेखी करते हुए इन पदों को 2019 या 2022 की भर्ती में शामिल नहीं किया।
  • वर्ष 2022 में अंग्रेजी विषय के 200 पदों का विज्ञापन निकाला गया, लेकिन उसमें ओबीसी बैकलॉग का कोई उल्लेख नहीं था।
  • इसके बाद अचानक 30 दिसंबर 2024 के नए विज्ञापन में 2019 के बैकलॉग पद शामिल कर दिए गए।

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उम्मीदवारों ने लगाया अन्याय का आरोप

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे सभी 2019 की भर्ती परीक्षा में शामिल हुए थे, लेकिन उन्हें इंटरव्यू में जानबूझकर कम अंक देकर बाहर कर दिया गया, जबकि कई अभ्यर्थियों को “13% होल्ड” में डाल दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि बैकलॉग पद अगली भर्ती में सिर्फ उसी वर्ग से भरे जाएंगे, लेकिन आयोग ने यह नियम तोड़ते हुए 2019 के रिक्त पदों को 2024 में नए सिरे से विज्ञापित किया।

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सरकार या आयोग ने नहीं दिया कोर्ट में जवाब 

यह मामला याचिका क्रमांक WP/25130/2025 सागर निवासी लीलाधर लोधी, दीपक सिंह ठाकुर, इंदौर निवासी शुभम चौधरी, प्रेमलता, बलाघाट निवासी खुशबू चौरसिया और तोपेंद्र लिलाहरे की ओर से दाखिल की गई है। उनकी ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, हितेंद्र कुमार गोहलानी और अभिलाषा सिंह लोधी कर रहे है।

सुनवाई जस्टिस एमएस भट्टी की सिंगल बेंच में हुई जिसमें कोर्ट ने पहले 29 जुलाई और 31 जुलाई की सुनवाई में भी महाधिवक्ता प्रशांत सिंह (जो इस मामले में आयोग का पक्ष रख रहे हैं) को याचिका की अग्रिम प्रति सौंपने और जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। लेकिन अब तक कोई ठोस उत्तर प्रस्तुत नहीं किया गया।

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने बताया कि आज की सुनवाई में कोर्ट ने दो टूक कहा कि “यह मामला हजारों ओबीसी उम्मीदवारों के भविष्य से जुड़ा है, सरकार और आयोग दोनों जवाब दाखिल करें और भर्ती प्रक्रिया को अदालत के अंतिम निर्णय के अधीन ही रहेगी।”

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अगली सुनवाई में सरकार को देना होगा जवाब

अदालत ने स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई 9 सितंबर 2025 को होगी और तब तक राज्य सरकार एवं लोक सेवा आयोग दोनों को अपना जवाब दाखिल करना ही होगा। साथ ही यह भी तय कर दिया गया है कि पूरी भर्ती प्रक्रिया अब अदालत के अंतिम फैसले के अधीन रहेगी।

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