महाकाल छठी सवारी : हाथी पर निकले मनमहेश, सीएम मोहन यादव बोले- बाबा का प्रांगण स्वर्ग लोक जैसा

महाकाल की राजसी सवारी उज्जैन में शुरू हुई। हेलिकॉप्टर से फूल बरसाए गए और दस ड्रोन से रजत पालकी पर पुष्पवर्षा की गई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इसे स्वर्ग लोक जैसा बताया। लाखों भक्तों की उम्मीद है।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (thesootr)

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मध्यप्रदेश में उज्जैन महाकाल सवारी एक भव्य और ऐतिहासिक आयोजन है, जो हर वर्ष श्रद्धा और आस्था के साथ निकाली जाती है। इस वर्ष की सवारी की शुरुआत कड़ाबीन के उद्घोष के साथ हुई, जो सवारी के महत्व को दर्शाता है। इस शाही सवारी में विशेष रूप से छह मुखारविंद (main priests) शामिल हैं और कई अन्य महत्वपूर्ण आयोजन भी किए गए हैं।

महाकाल की छठी सवारी 

श्रावण-भाद्रपद माह में महाकाल की छठी सवारी निकाली जाती है। इस बार की सवारी में रजत पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरुड़ रथ पर श्री शिवतांडव, नंदी रथ पर श्री उमा-महेश, डोल रथ पर होल्कर स्टेट का मुखारविंद और रथ पर सप्तधान मुखारविंद शामिल थे। यह सवारी महाकाल के प्रति भक्तों की श्रद्धा को और भी प्रगाढ़ करती है।

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शाही सवारी से पहले पूजा और अर्चना

सवारी के शुरू होने से पहले महाकाल मंदिर में पूजा-अर्चना की गई। इस अवसर पर मंदिर के पुजारियों ने विशेष पूजा की और सशस्त्र पुलिस बल द्वारा मुख्य द्वार पर गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। यह आयोजन न केवल धार्मिक था, बल्कि सुरक्षा के मामले में भी बेहद महत्व था।

हेलिकॉप्टर से पुष्पवर्षा

इस बार महाकाल की सवारी को और भी विशेष बनाने के लिए हेलिकॉप्टर से फूल बरसाए गए। यह दृश्य भक्तों के लिए एक अद्भुत अनुभव था। हेलिकॉप्टर से फूलों की वर्षा ने सवारी की भव्यता को और भी बढ़ा दिया।

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सात किलोमीटर का भव्य मार्ग 

सवारी का मार्ग लगभग सात किलोमीटर लंबा था। इस मार्ग पर रजत पालकी पर 10 ड्रोन से फूलों की वर्षा की गई। यह दृश्य न केवल भक्तों के लिए उत्साहवर्धक था, बल्कि यह एक अद्वितीय अनुभव भी था। 70 भजन मंडलियों के साथ साधु-संत, पुलिस बैंड, महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी और पुरोहित भी सवारी के साथ चल रहे थे।

सीएम मोहन यादव भी पहुंचे

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने महाकाल की सवारी में भाग लेते हुए कहा, "बाबा महाकाल का प्रांगण स्वर्ग लोक जैसा लग रहा है।" उनका यह बयान इस आयोजन की भव्यता और महाकाल के प्रति श्रद्धा का प्रतीक था। मुख्यमंत्री ने सवारी की भव्यता और आयोजन की सफलता की सराहना की।

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महाकाल मंदिर समिति की योजना 

महाकाल मंदिर समिति ने इस आयोजन को लेकर खास तैयारियां की थीं। मंदिर प्रशासन ने उम्मीद जताई है कि इस बार करीब 10 लाख भक्त महाकाल की सवारी में शामिल होंगे। यह संख्या पिछले वर्षों से कहीं अधिक है, जो महाकाल की बढ़ती श्रद्धा और आस्था को दर्शाती है।

इस सवारी में ये था खास... 

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  • हेलिकॉप्टर से फूलों की वर्षा: यह एक नई और खास पहल थी, जिसने सवारी को और भी रोमांचक बना दिया।
  • 10 ड्रोन से पुष्पवर्षा: सात किलोमीटर लंबे मार्ग पर ड्रोन के माध्यम से फूलों की वर्षा की गई, जिससे आयोजन में और भी आकर्षण आया।
  • मुखारविंद की संख्या: इस बार सवारी में छह मुखारविंद शामिल थे, जो सवारी की धार्मिक महत्ता को और बढ़ाते हैं।

महाकाल की सवारी का महत्व 

महाकाल की सवारी का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह आयोजन भक्तों की आस्था और विश्वास को प्रगाढ़ करने का एक माध्यम है, जिससे हर साल लाखों लोग महाकाल के दर्शन करने आते हैं।

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