करौली के 150 साल पुराने आम के बगीचे को मिल रहा जीवनदान, युवाओं का प्रण हो रहा साकार

राजस्थान के करौली जिले में 150 साल पुराना आम का बगीचा फिर से जीवित किया जा रहा है। गांव के युवाओं के प्रयास से आम का जाहिरा गांव को उसकी पुरानी पहचान मिल रही है।

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Amit Baijnath Garg
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aam ka jahira gaon

Photograph: (the sootr)

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राजस्थान के करौली जिले का आम का जाहिरा गांव अपनी अनूठी कहानी और ऐतिहासिक आम के बगीचे के लिए जाना जाता है। यह गांव लगभग 150 साल पहले इस क्षेत्र में प्रसिद्ध हुआ, जब यहां के पूर्वजों ने एक विशाल आम बगीचा लगाया था। इस बगीचे की वजह से गांव को न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि दूर-दूर तक प्रसिद्धि मिली थी।

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समय के साथ बगीचे का क्षय

हालांकि समय के साथ यह बगीचा धीरे-धीरे सूखने लगा और गांव की वह पुरानी रौनक खत्म हो गई। बगीचे की शान को देखते हुए गांव के लोग पहले तो दुखी हुए, लेकिन इसके बावजूद गांव के युवाओं ने हार नहीं मानी। उन्होंने तय किया कि आम का जाहिरा को फिर से उसकी खोई हुई शान दिलाएंगे।

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युवाओं का उत्साह और समर्पण

गांव के युवाओं ने इस सपने को साकार करने का संकल्प लिया। शिक्षा विकास समिति के साथ मिलकर गांव के लोगों ने 6 लाख रुपए की राशि जुटाई। फिर लखनऊ के मलिहाबाद से दशहरी, लंगड़ा, आम्रपाली और रामकेला जैसे बेहतरीन आम की किस्में मंगवाई गईं। इन पेड़ों को 3 किलोमीटर के क्षेत्र में पहाड़ों के बीच लगाया गया। पूरे गांव ने दिन-रात मेहनत करके इस कार्य को किया और बगीचे की पुनः शुरुआत की।

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खास बातें

युवाओं की मेहनत : गांव के युवाओं ने मिलकर 6 लाख रुपए जुटाए।
बेहतर किस्म के आम : दशहरी, लंगड़ा, आम्रपाली और रामकेला जैसी किस्मों का रोपण किया गया।
क्षेत्र में बगीचा : 3 किलोमीटर के क्षेत्र में बगीचा फिर से विकसित हो रहा है।

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पांच सालों में लगाए जाएंगे 500 पेड़

गांव के रिटायर्ड सीनियर सेक्शन इंजीनियर केदार लाल मीणा ने बताया कि गांव के लोग अब हर साल 100 नए आम के पेड़ लगाएंगे। पांच सालों के भीतर उनका लक्ष्य 500 पेड़ लगाकर बगीचे को फिर से हरा-भरा करना है। यह प्रयास न केवल गांव की पुरानी पहचान को पुनर्जीवित करेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा देगा।

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आने वाली पीढ़ियों के लिए नई उम्मीद

आम का जाहिरा आज गांव के युवाओं की मेहनत और उम्मीद का प्रतीक बन चुका है। इस गांव का भविष्य अब अपनी पुरानी शान के साथ पूरी दुनिया में फैलने वाला है। यह परियोजना न केवल स्थानीय लोगों के लिए गर्व का कारण बनेगी, बल्कि यह गांव एक बार फिर से अपने आमों की मिठास से क्षेत्र में अपना स्थान बनाएगा।

FAQ

Q1: आम का जाहिरा गांव का नाम क्यों पड़ा?
आम का जाहिरा गांव का नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि यहां करीब 150 साल पहले एक विशाल आम का बगीचा था, जो गांव को प्रसिद्धि दिलाने का कारण बना।
Q2: गांव के युवाओं ने आम के बगीचे को फिर से कैसे तैयार किया?
गांव के युवाओं ने 6 लाख रुपये जुटाकर लखनऊ से बेहतरीन किस्म के आम के पौधे मंगवाए और 3 किलोमीटर के क्षेत्र में उन्हें रोपा।
Q3: आम का जाहिरा गांव के बगीचे की पुनरुद्धार परियोजना से क्या लाभ होगा?
इस परियोजना से गांव की पुरानी पहचान वापस आएगी, पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

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