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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के करौली जिले के इनायती गांव में हाल ही में एक अजीबोगरीब घटना सामने आई, जब स्थानीय सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्य के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए छात्रों और ग्रामीणों ने स्कूल के मुख्य दरवाजे पर ताला जड़ दिया।
यह विरोध उन पर एपीओ के आदेश के खिलाफ था। यह आदेश एक प्रकार का पदस्थापन आदेश है, जिसके तहत किसी भी सरकारी कर्मचारी को उसके वर्तमान पद से हटाकर मुख्यालय भेज दिया जाता है। इस विरोध ने शिक्षा और राजनीति के बीच गहरे अंतर्संबंध को उजागर किया है।
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प्रधानाचार्य को एपीओ किए जाने का विरोध
यह विरोध प्रदर्शन शुक्रवार सुबह सात बजे से शुरू हुआ, जब छात्र स्कूल में दाखिल होने की बजाय बाहर आकर नारेबाजी करने लगे। उनका एक ही नारा था कि हमारे प्रधानाचार्य को वापस लाओ। छात्र और ग्रामीण इस फैसले से इतने नाराज थे कि उन्होंने पूरे गांव में विरोध फैलाया। छात्रों ने साफ कहा कि प्रधानाचार्य के वापस नहीं आने तक नहीं पढ़ेंगे। कई छात्रों ने स्कूल से नाम कटाने के लिए भी बोल दिया।
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राजनीतिक द्वेष का आरोप
ग्रामीणों का कहना था कि यह मामला केवल एक प्रधानाचार्य के तबादले का नहीं है, बल्कि यह एक राजनीतिक द्वेष का परिणाम है। गांव के लोग यह आरोप लगा रहे हैं कि जब से संतराम मीणा ने प्रधानाचार्य का पद संभाला है, तब से स्कूल का माहौल सुधर गया है, पढ़ाई और अनुशासन में सुधार हुआ है। ऐसे में उनका अचानक तबादला समझ से परे है। ग्रामीणों ने इस कार्रवाई को पूरी तरह से गलत बताते हुए कहा कि कुछ स्थानीय नेता अपनी व्यक्तिगत खुन्नस निकालने के लिए शिक्षा के भविष्य से खेल रहे हैं।
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प्रशासन ने की स्थिति को संभालने की कोशिश
विरोध की जानकारी मिलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया। मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी लखनलाल, सपोटरा के डीएसपी कन्हैयालाल और तहसीलदार महेश शर्मा भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने छात्रों और ग्रामीणों को शांति बनाए रखने और अपनी समस्याओं को उचित तरीके से ऊपर तक पहुंचाने की अपील की। विरोधी पक्ष अपनी मांग पर अड़ा रहा और स्थिति पर काबू पाना मुश्किल हो गया।
बाजार बंद कर समर्थन में प्रदर्शन
विरोध प्रदर्शन का असर केवल स्कूल तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे इनायती गांव में भी यह आंदोलन फैल गया। गांव के सभी बाजार बंद रहे और छात्रों के समर्थन में पूरे गांव ने एकजुटता दिखाई। दिनभर स्कूल में पढ़ाई ठप रही। यह न सिर्फ करौली प्रधानाचार्य के तबादले का मामला है, बल्कि यह गांव की एकजुटता और शिक्षा के प्रति उनके समर्पण का भी प्रतीक बन गया है।
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