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बिलासपुर। सरकार कीओरसेजिलाअस्पतालकबीरधाममेंकार्यरतसंविदास्टाफनर्स (Contract Staff Nurse) कोमातृत्वअवकाश (maternity leave) अवधिकापूरावेतन (salary)भुगतानकरदियागयाहै। यह जानकारी सरकार ने हाईकोर्ट में दी।
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संविदा कर्मचारियों की जीत !
यहफैसलाप्रदेशकीहजारोंमहिलासंविदाकर्मचारियोंकेलिएबड़ीजीतमानाजारहाहै, क्योंकिमामलासीधेतौरपरमहिलासम्मानऔरउनकेसंवैधानिकअधिकारोंसेजुड़ाहुआ था।
विभाग को दी थी जानकारी
याचिकाकर्तास्टाफनर्स ने 16 जनवरी 2024 से 16 जुलाई 2024 तक मैटरनिटीलीव ली थी। इसकी जानकारी उसने अपने विभाग को दी थी। 21 जनवरी को उसने बच्ची को जन्म दिया और 14 जुलाई को काम पर लौट आई।
छुट्टी की अवधि का नहीं मिला वेतन
मातृत्व अवकाश की अवधि का वेतन शासन की ओर से नहीं दिया गया। जबकि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 2010 में इसका प्रावधान है। इसी के चलते स्टाफ नर्स ने रिट याचिका और उसके पालन न होने पर अवमानना याचिका दायर की।
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पांच प्वॉइंट में समझें पूरी खबर1.मातृत्व अवकाश पर वेतन न मिलने का मामला: कबीरधाम जिला अस्पताल में कार्यरत संविदा स्टाफ नर्स ने 16 जनवरी 2024 से 16 जुलाई 2024 तक मातृत्व अवकाश लिया था, लेकिन इस अवधि का वेतन शासन ने नहीं दिया। 2. नियमों का उल्लंघन: जबकि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 2010 के अनुसार मातृत्व अवकाश के दौरान वेतन दिया जाना चाहिए, इसके बावजूद नियमों का पालन नहीं हुआ। 3. न्यायालय में याचिका: वेतन न मिलने पर स्टाफ नर्स ने पहले रिट याचिका और फिर आदेश की अनदेखी पर अवमानना याचिका हाईकोर्ट में दायर की। 4. कोर्ट की सख्ती: सुनवाई के दौरान जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल ने सरकार से कड़े शब्दों में पूछा कि आदेश के बावजूद वेतन क्यों नहीं दिया गया। 5. महिला कर्मचारी की जीत: आखिरकार सरकार ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता को वेतन दे दिया गया है। यह फैसला प्रदेश की हजारों महिला संविदा कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण और उनके अधिकारों की रक्षा में बड़ी जीत माना जा रहा है। |
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सरकार ने दी जानकारी
जस्टिसरविन्द्र कुमार अग्रवाल की एकलपीठ ने पूर्व सुनवाई में ही शासन से कड़े शब्दों में पूछा था कि आदेश के बावजूद वेतन भुगतान क्यों नहीं किया गया। आज हुई सुनवाई में शासन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता को अब मातृत्व अवकाश की अवधि का वेतन दे दिया गया है।
FAQ
Chhattisgarh High Court decision
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