बिना सबूत पत्नी के चरित्र पर शक मानसिक क्रूरता... छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खारिज की पति की अपील

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक पारिवारिक विवाद में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पति की अपील को खारिज कर फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। जानिए पूरी खबर।

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Harrison Masih
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Raigarh divorce dispute: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक पारिवारिक विवाद मामले में अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि बिना सबूत के पत्नी के चरित्र पर सवाल उठाना उसके साथ मानसिक क्रूरता के समान है। कोर्ट ने पति की अपील को खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट के आदेश को सही ठहराया है।

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क्या है पूरा मामला?

रायगढ़ जिले के युवक और ओडिशा के सुंदरगढ़ की युवती का विवाह 24 जून 2012 को हिंदू रीति-रिवाजों से हुआ था। इस दंपति के दो बच्चे हैं एक बेटा और एक बेटी, जो फिलहाल मां के साथ रहते हैं। साल 2018 में पत्नी दोनों बच्चों को लेकर मायके चली गई। इसके बाद पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की और पत्नी के चरित्र पर शक जताते हुए अवैध संबंधों के आरोप लगाए।

पत्नी का पक्ष

पत्नी ने अदालत में बताया कि उसे पति और परिवार की तरफ से प्रताड़ना झेलनी पड़ी। उसने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पति ने झूठे आधार पर तलाक की अर्जी दी है।

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हाईकोर्ट की सुनवाई और निष्कर्ष

पति ने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की और बच्चों की कस्टडी की भी मांग की। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि पत्नी के खिलाफ एक भी ठोस सबूत मौजूद नहीं है।

मोबाइल पर बातचीत को छोड़कर कोई इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य रिकॉर्ड पर नहीं था। यह साबित करने वाला कोई प्रमाण नहीं मिला कि पत्नी का विवाह के बाहर किसी से संबंध है।

हाईकोर्ट का तर्क

हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी की पवित्रता पर सवाल उठाना, बिना किसी साक्ष्य के, क्रूरता की श्रेणी में आता है। पति ने ऐसा कर पत्नी के साथ मानसिक यातना दी, जिसके चलते पत्नी का अलग रहना उचित है।

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क्या है रायगढ़ तलाक विवाद केस?

1. शादी और पारिवारिक विवाद

रायगढ़ के युवक और ओडिशा की युवती की शादी 24 जून 2012 को हुई थी। दो बच्चे हैं, जो अभी मां के साथ रह रहे हैं।

2. पति का आरोप

साल 2018 में पत्नी मायके चली गई। इसके बाद पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दी और पत्नी पर अवैध संबंधों का आरोप लगाया।

3. पत्नी का पक्ष

पत्नी ने अदालत में कहा कि उसे प्रताड़ित किया गया और पति के आरोप निराधार हैं।

4. सबूतों की कमी

हाईकोर्ट ने पाया कि पत्नी के खिलाफ एक भी ठोस सबूत नहीं है। केवल मोबाइल बातचीत का हवाला दिया गया, लेकिन किसी बाहरी संबंध का प्रमाण नहीं मिला।

5. हाईकोर्ट का फैसला

कोर्ट ने कहा कि बिना सबूत पत्नी के चरित्र पर शक करना मानसिक क्रूरता है। फैमिली कोर्ट का आदेश सही मानते हुए पति की अपील खारिज कर दी गई।

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हाईकोर्ट का फैसला

अदालत ने माना कि फैमिली कोर्ट का निर्णय सही था और उसमें दखल देने की कोई आवश्यकता नहीं है। नतीजतन हाईकोर्ट ने पति की अपील को खारिज कर दिया।

FAQ

भारतीय कानून में चरित्र हनन को किस श्रेणी में माना जाता है?
भारतीय कानून में पत्नी पर झूठे चरित्र आरोप लगाना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है, जो वैवाहिक संबंध को नुकसान पहुँचाता है।
हाईकोर्ट ने पत्नी के चरित्र पर शक करने के मामले में क्या फैसला सुनाया?
हाईकोर्ट ने कहा कि बिना सबूत पत्नी के चरित्र पर शक करना मानसिक क्रूरता है और पति की तलाक अपील खारिज कर दी।
क्या चरित्र पर बेबुनियाद आरोप तलाक का आधार बन सकता है?
नहीं, भारतीय कानून में बिना साक्ष्य के चरित्र पर आरोप लगाना तलाक का आधार नहीं है, बल्कि इसे पत्नी के प्रति मानसिक उत्पीड़न माना जाता है।

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