छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का NHAI को कड़ा निर्देश, आवारा मवेशियों से हादसे रोकें, पेंड्रीडीह में अतिक्रमण पर लगाम

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नेशनल हाईवे 45 पर आवारा पशुओं के कारण हो रहे हादसों और पशुओं की मौत पर कड़ी नाराजगी जताई है। यह मामला खासकर रतनपुर-केंदा मार्ग पर बड़ी संख्या में पशुओं की मौत के बाद सामने आया।

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Krishna Kumar Sikander
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Chhattisgarh High Court strict instructions to NHAI the sootr
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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नेशनल हाईवे 45 पर आवारा पशुओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं और हादसों में पशुओं की मौतों पर सख्त नाराजगी जताई है। दरअसल, हाल के दिनों में नेशनल हाईवे 45 पर रतनपुर-केंदा मार्ग पर बड़ी संख्या में आवारा पशु सड़क हादसे में मारे गए थे।

इस मामले में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को इन हादसों को रोकने के लिए ठोस और प्रभावी उपाय करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने मौजूदा उपायों को नाकाफी बताते हुए NHAI के परियोजना निदेशक को शपथपत्र के साथ विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। साथ ही, पेंड्रीडीह बाईपास पर अतिक्रमण को लेकर ग्राम पंचायत को कड़ी चेतावनी दी गई।

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चीफ सेक्रेटरी के जवाब में बताए गए उपाय

चीफ सेक्रेटरी ने कोर्ट को सूचित किया कि आवारा मवेशियों की समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें शामिल हैं।
संयुक्त निगरानी दल : शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मवेशियों की निगरानी के लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं।
रेडियम पट्टी और टैगिंग : 2,000 से अधिक मवेशियों पर रात में दृश्यता के लिए रेडियम पट्टियां लगाई गई हैं, और पशुपालन विभाग के सहयोग से नसबंदी और कान टैगिंग अभियान शुरू किया गया है।
गौशालाएं और आश्रय स्थल : सड़कों पर घूमने वाले मवेशियों के लिए आश्रय स्थल बनाए गए हैं।
जागरूकता अभियान : राजमार्गों के किनारे बसे गांवों में लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
उच्च जोखिम क्षेत्रों का चिह्नांकन : हादसों की संभावना वाले क्षेत्रों की पहचान कर उन्हें चिह्नित किया गया है।
कानूनी कार्रवाई : लापरवाह पशुपालकों के खिलाफ FIR दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।

कोर्ट ने इन उपायों को अपर्याप्त माना और कहा कि ये समस्या का स्थायी समाधान प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं। बेंच ने NHAI को निर्देश दिया कि वह मवेशियों से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए और अधिक प्रभावी कदम उठाए।

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जन जागरूकता पर जोर

डिवीजन बेंच ने NHAI अधिकारियों को जनता में जागरूकता फैलाने के लिए सक्रिय कदम उठाने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि NHAI को होर्डिंग्स, स्थानीय मीडिया और सामुदायिक कार्यक्रमों के माध्यम से वाहन चालकों को सड़क पर मवेशियों के प्रति सावधानी बरतने के लिए प्रेरित करना चाहिए। कोर्ट ने जोर दिया कि सड़क सुरक्षा केवल सरकारी प्रयासों से नहीं, बल्कि जनता की जागरूकता और सहभागिता से ही सुनिश्चित की जा सकती है।

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पेंड्रीडीह बाईपास पर अतिक्रमण का मुद्दा

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पेंड्रीडीह बाईपास के पास सरकारी जमीन पर अतिक्रमण की गंभीर समस्या पर भी ध्यान दिया। ग्राम पंचायत द्वारा किराए पर दी गई दुकानों का उपयोग ट्रक चालकों और वाहन मालिकों द्वारा जलपान और वाहन मरम्मत के लिए किया जा रहा है, जिससे सड़क पर अव्यवस्था और हादसों का खतरा बढ़ रहा है।

कोर्ट ने अपने पिछले आदेश का हवाला देते हुए कहा कि पेंड्रीडीह बाईपास के पास पुल के नीचे कोई अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। बेंच ने निर्देश दिया कि इस क्षेत्र को साफ-सुथरा रखा जाए, पर्याप्त स्ट्रीट लाइट्स और सौंदर्यीकरण के उपाय किए जाएं।

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ग्राम पंचायत को कड़ा संदेश

कोर्ट ने पेंड्रीडीह ग्राम पंचायत को चेतावनी दी कि वह बाईपास के पास दुकानों से अवैध गतिविधियों को तुरंत रोके। पंचायत को यह सुनिश्चित करना होगा कि ट्रक चालक या अन्य व्यक्ति वहां वाहन खड़ा करके जलपान या अन्य गतिविधियां न करें। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि पंचायत इस आदेश का पालन करने में विफल रही, तो उसके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

NHAI की पायलट परियोजना

NHAI ने नेशनल हाईवे पर पशु के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट के तहत हाईवे के किनारे गौशालाएं बनाई जा रही हैं, जिनमें चारा, पानी, प्राथमिक चिकित्सा और देखभाल की व्यवस्था होगी। इसके अलावा, घायल मवेशियों के लिए पशु एम्बुलेंस और 50 किमी के दायरे में प्राथमिक चिकित्सा केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। 

अगली सुनवाई 19 अगस्त को

हाईकोर्ट ने इस जनहित याचिका की अगली सुनवाई के लिए 19 अगस्त 2025 की तारीख तय की है। कोर्ट ने NHAI और राज्य सरकार से मवेशी हादसों को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की प्रगति रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सड़क सुरक्षा और मवेशियों की जान बचाना अब प्राथमिकता होनी चाहिए।

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