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छत्तीसगढ़ के एकमात्र सेंदरी मेंटल हॉस्पिटल में बदहाल व्यवस्थाओं और सुविधाओं की कमी को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। मंगलवार को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अगुवाई वाली डबल बेंच ने अस्पताल की स्थिति पर गहरी नाराजगी जताई। कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को अगली सुनवाई तक विस्तृत निरीक्षण रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि निगरानी के बावजूद व्यवस्थाओं में सुधार न होना अस्वीकार्य है।
डॉक्टरों की लापरवाही, स्टाफ की कमी
कोर्ट कमिश्नर राहुल ऋषि और हिमांशु पांडेय की जांच रिपोर्ट ने मेंटल हॉस्पिटल की दयनीय स्थिति को उजागर किया। रिपोर्ट में बताया गया कि डॉक्टर और स्टाफ ड्यूटी पर पूरे समय नहीं रहते हैं। स्टाफ की भारी कमी के कारण मरीजों की देखभाल प्रभावित हो रही है, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कोर्ट की फटकार, सुधार क्यों नहीं?
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने शासन के रवैये पर कड़ी आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि बार-बार निगरानी और निर्देशों के बावजूद अस्पताल की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ, जो गंभीर चिंता का विषय है। कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट में उजागर कमियों, जैसे अपर्याप्त स्टाफ, खराब हाइजीन, और बुनियादी चिकित्सा सुविधाओं की कमी, को लेकर कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।
शासन का जवाब और कोर्ट का निर्देश
मेंटल हॉस्पिटल में मरीजों की देखभाल और उपचार के लिए जरूरी संसाधनों का अभाव है। अल्ट्रासाउंड जैसी महत्वपूर्ण जांच सुविधाएं न होने से मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा। कोर्ट ने इस स्थिति को गंभीर बताते हुए स्वास्थ्य सचिव को अगली सुनवाई तक विस्तृत निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। साथ ही, कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने को कहा कि अस्पताल में तत्काल सुधार किए जाएं।
मरीजों और परिजनों की मुश्किलें
सेंदरी मेंटल हॉस्पिटल में सुविधाओं की कमी और स्टाफ की अनुपस्थिति का सबसे ज्यादा असर मरीजों और उनके परिजनों पर पड़ रहा है। जांच रिपोर्ट के अनुसार, खराब हाइजीन और अपर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के कारण मरीजों को उचित देखभाल नहीं मिल पा रही। डॉक्टरों और स्टाफ के समय से पहले चले जाने से मरीजों की स्थिति और बिगड़ रही है। यह स्थिति मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को दर्शाती है, जो राज्य में एकमात्र मेंटल हॉस्पिटल होने के कारण और भी गंभीर है।
हाईकोर्ट का कड़ा रुख
हाईकोर्ट का यह कड़ा रुख दर्शाता है कि वह मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीर है। स्वास्थ्य सचिव को दी गई समय सीमा और कोर्ट की सख्त टिप्पणियां शासन पर सुधार के लिए दबाव बढ़ा रही हैं। अगली सुनवाई में प्रस्तुत होने वाली रिपोर्ट से यह स्पष्ट होगा कि शासन इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाता है। जनहित याचिका के जरिए उठाया गया यह मुद्दा न केवल मेंटल हॉस्पिटल की स्थिति को सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
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मेंटल हॉस्पिटल में अव्यवस्था | sendri mental hospital