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छत्तीसगढ़ में कोरबा के शांतिनगर, न्यू शांतिनगर और रिंग रोड क्षेत्र में बालको की 2004-2022 की विस्तार परियोजना के तहत बने विशाल कोल यार्ड और कूलिंग टावर से उत्पन्न प्रदूषण ने 200 से अधिक परिवारों के लिए जीवन मुश्किल कर दिया है। इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कोरबा कलेक्टर को 86 प्रभावित परिवारों के तत्काल पुनर्वास और लंबित मामलों के शीघ्र निपटारे के निर्देश दिए हैं।
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पुनर्वास और रोजगार देने का निर्देश
दिलेंद्र यादव द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण आदेश जारी किया। विशेष रूप से, राज्य सरकार ने इस आदेश पर कोई आपत्ति दर्ज नहीं की। पहले भी अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) ने बालको कंपनी को पत्र लिखकर 46 अतिरिक्त प्रभावित परिवारों को पुनर्वास और रोजगार प्रदान करने का निर्देश दिया था, लेकिन कंपनी ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।
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14 सालों से प्रदूषण का दंश झेल रहे परिवार
पिछले 14 वर्षों में बालको ने शांतिनगर और आसपास के आवासीय क्षेत्रों के निकट एक विशाल कोल यार्ड का निर्माण किया, जिसके कारण वायु प्रदूषण में भारी वृद्धि हुई। इससे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को सांस की बीमारियों, त्वचा रोगों और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कुल 206 परिवार इस प्रदूषण से सीधे प्रभावित हैं।
जनहित याचिका ने उठाया मुद्दा
प्रभावित परिवारों की दुर्दशा को देखते हुए दायर जनहित याचिका में प्रदूषण से सुरक्षा और पुनर्वास की मांग की गई थी। हाईकोर्ट के इस फैसले से प्रभावित परिवारों को राहत की उम्मीद जगी है, लेकिन बालको कंपनी की ओर से अब तक कोई ठोस कदम न उठाए जाने से स्थानीय लोगों में नाराजगी बनी हुई है।
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कलेक्टर पर आई जिम्मेदारी
हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब कोरबा कलेक्टर पर सभी प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और प्रदूषण से निपटने की जिम्मेदारी है। यह मामला न केवल पर्यावरणीय चिंताओं को उजागर करता है, बल्कि औद्योगिक गतिविधियों और स्थानीय समुदायों के बीच संतुलन की जरूरत को भी रेखांकित करता है।
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